शहरीकरण और शहरी विकास : राजस्थान आर्थिक समीक्षा 2023-24
परिचय
शहरीकरण का तात्पर्य जनसंख्या का ग्रामीण क्षेत्रों से शहरी क्षेत्रों की और स्थानान्तरण, “शहरी क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के अनुपात के क्रमिक वृद्धि” तथा प्रत्येक समाज के द्वारा इस तरह के बदलाव को स्वीकार करने से है।
संयुक्त राष्ट्र ग्लोबल सतत् विकास रिपोर्ट, 2023 :-
इसके अनुसार विश्व की आधी से अधिक आबादी शहरों में निवास कर रही है, और इसकी हिस्सेदारी वर्ष 2050 तक 66.66% तक होने का अनुमान है।
शहरीकरण आर्थिक विकास का इंजन है और यह इस तथ्य से स्पष्ट है कि शहरों और महानगरीय क्षेत्रों का वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में लगभग 80% योगदान है।
राजस्थान में शहरीकरण
भारत और राजस्थान की कुल जनसंख्या में शहरी जनसंख्या की हिस्सेदारी
1961
2011
2021 (अनुमानित)
2031 (अनुमानित)
भारत
17.97%
31.14%
34.43%
37.55%
राजस्थान
16.28%
24.87%
26.33%
27.74%
नोट :- राष्ट्रीय जनसंख्या आयोग, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा जनसंख्या अनुमानों पर तकनीकी समूह की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2021 व 2031 का अनुमान।
जनसंख्या
राजस्थान की कुल जनसंख्या
2001
2011
2021 (अनुमानित)
2031 (अनुमानित)
पुरुष
2.94 करोड़
3.55 करोड़
4.08 करोड़
4.44 करोड़
महिला
2.71 करोड़
3.30 करोड़
3.85 करोड़
4.28 करोड़
कुल
5.65 करोड़
6.85 करोड़
7.93 करोड़
8.72 करोड़
राजस्थान की शहरी जनसंख्या
2001
2011
2021 (अनुमानित)
2031 (अनुमानित)
पुरुष
70 लाख
89 लाख
109 लाख
126 लाख
महिला
62 लाख
81 लाख
100 लाख
116 लाख
कुल
132 लाख
170 लाख
209 लाख
242 लाख
राजस्थान में बच्चों की जनसंख्या (0-6 आयु वर्ग)
2001
2011
लड़के
52.34 %
52.83 %
लड़किया
47.66 %
47.17 %
कुल जनसंख्या
100 % (107 लाख)
100 % (106 लाख)
राजस्थान के शहरी क्षेत्रों में बच्चों की जनसंख्या (0-6 आयु वर्ग)
2001
2011
लड़के
52.98 %
53.37 %
लड़किया
47.02 %
46.63 %
कुल जनसंख्या
100 % (20.64 लाख)
100 % (22.35 लाख)
लिंगानुपात
लिंगानुपात : प्रति हजार पुरुषों पर महिलाओं की संख्या लिंगानुपात कहलाता है।
बाल लिंगानुपात (0-6 वर्ष) : प्रति हजार लड़कों पर लड़कियों की संख्या बाल लिंगानुपात कहलाता है।
राजस्थान के शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में लिंगानुपात
2001
2011
वृद्धि
शहरी क्षेत्र
890
914
+ 24
ग्रामीण क्षेत्र
930
933
+ 3
राजस्थान में सर्वाधिक एवं न्यूनतम शहरी लिंगानुपात वाले जिलें
क्र. सं.
सर्वाधिक
लिंगानुपात
न्यूनतम
लिंगानुपात
1
टोंक
985
जैसलमेर
807
2
बांसवाड़ा
964
धौलपुर
864
3
प्रतापगढ़
963
अलवर
872
4
डूंगरपुर
951
गंगानगर
878
5
राजसमंद
948
भरतपुर
887
राजस्थान के शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में बाल लिंगानुपात (0-6 वर्ष)
2001
2011
कमी
शहरी क्षेत्र
887
874
– 13
ग्रामीण क्षेत्र
914
892
– 22
राजस्थान में सर्वाधिक एवं न्यूनतम शहरी बाल लिंगानुपात वाले जिलें
क्र. सं.
सर्वाधिक
लिंगानुपात
न्यूनतम
लिंगानुपात
1
नागौर
907
धौलपुर
841
2
बीकानेर
906
गंगानगर
842
3
भीलवाड़ा
904
दौसा
847
4
बारां
901
अलवर
851
5
चूरू
899
भरतपुर
852
साक्षरता दर
राजस्थान में साक्षरता दर
1961
2001
2011
शहरी साक्षरता दर
44.50 %
76.20 %
79.70 %
ग्रामीण साक्षरता दर
12.90 %
55.30 %
61.40 %
साक्षरता दर
18.12 %
60.40 %
66.11 %
राजस्थान में सर्वाधिक एवं न्यूनतम शहरी साक्षरता वाले जिलें
क्र. सं.
सर्वाधिक
साक्षरता दर
न्यूनतम
साक्षरता दर
1
उदयपुर
87.5 %
नागौर
70.6 %
2
बांसवाड़ा
85.2 %
जालौर
71.1 %
3
प्रतापगढ़
84.8 %
चूरू
72.6 %
4
डूंगरपुर
84.4 %
धौलपुर
72.7 %
5
अजमेर
83.9 %
करौली
72.8 %
एक लाख और उससे अधिक की जनसंख्या वाले शहर/ शहरी समूह
जनसंख्या की दृष्टि से राजस्थान का सबसे बड़ा शहर जयपुर (30.46 लाख) है। जबकि बांसवाड़ा (1.01 लाख) सबसे छोटा शहर है।
जनसंख्या की दृष्टि से राजस्थान के सबसे बड़े शहर
क्र. सं.
शहर
जनसंख्या
1
जयपुर
30.46 लाख
2
जोधपुर
11.38 लाख
3
कोटा
10.02 लाख
4
बीकानेर
6.44 लाख
नोट :- जनगणना 2011 के अनुसार
शहरीकरण में स्थानिक परिवर्तन
शहरी जनसंख्या की दृष्टि से राजस्थान में सबसे अधिक व सबसे कम शहरीकृत जिलें
क्र. सं.
सर्वाधिक
शहरी जनसंख्या
न्यूनतम
शहरी जनसंख्या
1
कोटा
60.31 %
डूंगरपुर
6.39 %
2
जयपुर
52.40 %
बाड़मेर
6.98 %
3
अजमेर
40.08 %
बांसवाड़ा
7.10 %
4
जोधपुर
34.30 %
प्रतापगढ़
8.27 %
5
बीकानेर
33.86 %
जालौर
8.30 %
नोट :- जनगणना 2011 के अनुसार
राजस्थान में माइग्रेशन (ग्रामीण से शहरी)
जनगणना 2011 के अनुसार राजस्थान में पुरुष मुख्यतः रोजगार के अवसरों के लिए तथा महिलाएं मुख्यतः वैवाहिक कारणों से ग्रामीण से शहरी क्षेत्रों की ओर पलायन करती हैं।
जनगणना 2011 के अनुसार राष्ट्रीय स्तर पर 794 लाख व्यक्तियों ने और राजस्थान में 32 लाख व्यक्तियों ने ग्रामीण से शहरी क्षेत्रों की ओर पलायन किया है, जो अखिल भारतीय स्तर पर ग्रामीण से शहरी क्षेत्रों की ओर पलायन करने वाले व्यक्तियों का 4 % है।
भारत व राजस्थान में कुल पलायन करने वाले पुरुषों एवं महिलाओं में पुरुष काम/ रोजगार व महिलाएं वैवाहिक कारणों से ग्रामीण से शहरी क्षेत्रों की ओर पलायन करने का प्रतिशत निम्न है-
पुरुष (काम/ रोजगार)
महिला (विवाह)
भारत
45.06 %
51.80 %
राजस्थान
49.16 %
59.11 %
नोट :- जनगणना 2011 के अनुसार
राजस्थान में शहरी आवासों की स्थिति
भारत की जनगणना में घरों को उनकी स्थिति के आधार पर तीन श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है। जैसे-
अच्छी
रहने योग्य
जीर्ण-शीर्ण
भारत और राजस्थान में शहरी घरों की स्थिति
भारत
राजस्थान
अच्छी
68 %
69 %
रहने योग्य
29 %
29 %
जीर्ण-शीर्ण
3 %
2 %
नोट :- जनगणना 2011 के अनुसार
राजस्थान में झुग्गी-झोपड़ी/ कच्ची बस्ती के निवासी (शहरी)
देश के विभिन्न भागों में कच्ची बस्तियों का निर्माण और विकास कई कारणों से होता है, जैसे-
ग्रामीण से शहरी प्रवास
उच्च बेरोजगारी
गरीबी
आर्थिक ठहराव
कमजोर योजना
जनगणना संगठन ने निम्नलिखित क्षेत्रों को कच्ची बस्तियों में वर्गीकृत किया है :-
ऐसे सभी क्षेत्र जो राज्य/ स्थानीय सरकार या केन्द्र शासित क्षेत्रों द्वारा कच्ची बस्तियों के रूप में किसी कानून द्वारा अधिसूचित किए गए हों।
ऐसे सभी क्षेत्र जिनकी पहचान राज्य/ स्थानीय सरकार एवं केन्द्र शासित क्षेत्रों द्वारा कच्ची बस्तियों के रूप में की गयी है एवं किसी कानून द्वारा अधिसूचित किए गये हैं।
ऐसे सभी घने क्षेत्र जिसमें कम से कम 300 की जनसंख्या अथवा 60-70 परिवार रहते हों एवं ऐसे आवासीय समूह में हों जो पूरी तरह अनियोजित तरीके से बसे हुए हों जिनमें आधारभूत नागरिक सुविधाओं यथा- प्रकाश, पीने का पानी, जल-मल व्ययन व स्वच्छ हवा का पूरी तरह से अभाव हो।
2011 की जनगणना के अनुसार राजस्थान में झुग्गियों में रहने वालों की जनसंख्या 20.68 लाख है, जो राजस्थान की कुल शहरी जनसंख्या का 12.13 % है।
कच्ची बस्ती में रहने वाले निवासियों की सबसे अधिक जनसंख्या
क्र. सं.
सबसे अधिक
जनसंख्या
राजस्थान की कच्ची बस्ती जनसंख्या का प्रतिशत
1
जयपुर नगर निगम
3.23 लाख (जयपुर नगर निगम की कुल जनसंख्या का 10.62 %)
15.64 %
2
कोटा (नगर निगम)
15.44 %
3
जोधपुर (नगर निगम + आउट ग्रोथ)
12.29 %
4
बीकानेर (नगर निगम)
5.89 %
5
अजमेर (नगर निगम)
5.35 %
6
उदयपुर (नगर निगम)
3.13 %
7
गंगानगर (नगर परिषद + आउट ग्रोथ)
2.44 %
शहर की कुल जनसंख्या में सबसे अधिक कच्ची बस्ती निवासियों का प्रतिशत
क्र. सं.
सबसे अधिक
प्रतिशत
1
पीलीबंगा (न.प.)
74.53 %
2
जहाजपुर (न.प.)
63.79 %
3
केसरीसिंहपुर (न.प.)
61.46 %
राजस्थान में शहरी विकास
राजस्थान सरकार द्वारा व्यवस्थित और समन्वित तरीके से शहरी आबादी की आधारभूत आवश्यकताओं को पूर्ण करने के लिए राज्य में विकास प्राधिकरणों, शहरी न्यासों, राजस्थान आवासन मण्डल, नगर नियोजन कार्यालय, जयपुर मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन आदि का गठन किया गया।
वर्तमान में राजस्थान में नागरिकों की सुविधाओं के विकास हेतु निम्न कार्यरत हैं-
विकास प्राधिकरण (5)
शहरी न्यास (12)
राजस्थान आवासन मण्डल (RHB)
जयपुर मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड
1. विकास प्राधिकरण :-
वर्तमान में राजस्थान में कुल 5 विकास प्राधिकरण हैं। जैसे-
जयपुर विकास प्राधिकरण, जयपुर
जोधपुर विकास प्राधिकरण, जोधपुर
अजमेर विकास प्राधिकरण, अजमेर
कोटा विकास प्राधिकरण, कोटा
उदयपुर विकास प्राधिकरण, उदयपुर
2. शहरी न्यास :-
वर्तमान में राजस्थान में कुल 12 शहरी न्यास हैं। जैसे-
अलवर
आबू
बाड़मेर
भरतपुर
भीलवाड़ा
बीकानेर
चित्तौड़गढ़
जैसलमेर
पाली
श्रीगंगानगर
सीकर
सवाई माधोपुर
3. राजस्थान आवासन मण्डल (RHB) :-
राजस्थान में आवास की आवश्यकताओं को पूर्ण करने के लिए राजस्थान आवासन मण्डल की स्थापना 24 फरवरी, 1970 को एक स्वायत्तशासी निकाय के रूप में की गई।
राजस्थान आवासन मण्डल द्वारा किये जा रहे कुछ नवाचार निम्न प्रकार है :-
विधायक आवास परियोजना : विधायक नगर (पश्चिम), ज्योति नगर, जयपुर
कॉन्स्टिट्यूशन क्लब ऑफ राजस्थान : विधायक नगर पूर्व, जयपुर
फाउन्टेन स्क्वायर : मानसरोवर, जयपुर (लोकार्पण- 15 मार्च, 2024)
कोटा एवं जोधपुर चौपाटी
AIS रेजीडेन्सी फेज 1 और 2 : प्रताप नगर, जयपुर
समृद्धि अपार्टमेन्ट : प्रताप नगर, जयपुर
माही अपार्टमेन्ट : प्रताप नगर, जयपुर
बडली योजना (फ्लैट्स) : जोधपुर
मानपुर आवासीय योजना : आबू रोड़, सिरोही
कोचिंग हब : प्रताप नगर, जयपुर
SS रेजीडेन्सी : प्रताप नगर, जयपुर
मुख्यमंत्री जन आवास योजनाएँ : जयपुर (प्रधानमंत्री शहरी जन आवास योजना, 2015 के अन्तर्गत)
बुधवार नीलामी उत्सव : ई-बिड द्वारा 50 % तक की छूट के साथ 156 मासिक किस्तों में आवास क्रय करने की योजना।
सजग मोबाइल ऐप : आवासों के निर्माण की गुणवत्ता एवं प्रभावी निगरानी सुनिश्चित करने हेतु।
4. जयपुर मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड :-
फेज-1 :-
फेज-1A (मानसरोवर से चाँदपोल) :-
शुरुआत : 3 जून, 2015
वित्त पोषित : राजस्थान सरकार
फेज-1B (चांदपोल से बड़ी चौपड़) :-
शुरुआत : 23 सितम्बर, 2020
वित्त पोषित : एशियाई विकास बैंक + राजस्थान सरकार
दूरी : 2.01 km
फेज-1C (बड़ी चौपड़ से ट्रांसपोर्ट नगर) :-
शुरुआत : वर्तमान में परियोजना के क्रियान्वयन हेतु कार्य प्रगति पर है।
वित्त पोषित : राजस्थान सरकार
इसके लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (DPR) तैयार कर, दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (DMRC) द्वारा प्रस्तुत कर दी गई है।
इसके लिए राज्य सरकार द्वारा प्रशासनिक एवं वित्तीय स्वीकृति प्रदान कर दी गई है।
फेज-1D (मानसरोवर से 200 फीट बायपास अजमेर रोड) :-
शुरुआत : वर्तमान में परियोजना के क्रियान्वयन हेतु कार्य प्रगति पर है।
वित्त पोषित : राजस्थान सरकार
इसके लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (DPR) तैयार कर, दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (DMRC) द्वारा प्रस्तुत कर दी गई है।
इसके लिए राज्य सरकार द्वारा प्रशासनिक एवं वित्तीय स्वीकृति प्रदा कर दी गई है।
फेज-2 (सीतापुरा से अम्बाबाडी तक) :-
शुरुआत : प्रस्तावित
दूरी : 23.50 km
इसके लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (DPR) प्रस्तावित की गई है।
रियल एस्टेट रेग्यूलेटरी ऑथोरिटी, राजस्थान (रेरा) :-
रियल एस्टेट (विनियमन और विकास) अधिनियम, 2016 को भारत सरकार द्वारा 01 मई, 2016 को लागू किया गया था।
राजस्थान रियल एस्टेट (विनियमन और विकास) नियम, 2017 को 01 मई, 2017 को अधिसूचित किया गया था।
इस अधिनियम और नियमों के अन्तर्गत आवंटियों, प्रमोटरों और रियल एस्टेट एजेन्टों के हितों की रक्षा करते हुए एक स्वस्थ, पारदर्शी, कुशल और प्रतिस्पर्द्धी रियल एस्टेट सेक्टर के विकास और संवर्धन हेतु राजस्थान सरकार द्वारा 6 मार्च, 2019 को राजस्थान रियल एस्टेट रेग्युरेटरी ऑथोरिटी (रेरा) एवं रियल एस्टेट अपीलेट ट्रिब्यूनल का गठन किया गया है।
विभाग का उद्देश्य शहरों/ कस्बों के मास्टर प्लान, सेक्टर प्लान एवं अन्य नगरीय योजनाएं बनाकर नगरों के भौतिक विकास को दिशा प्रदान करने के साथ ही विभिन्न राजकीय विभागों, स्थानीय निकायों एवं अन्य राजकीय संस्थाओं को तकनीकी सलाह प्रदान करना है।
यह राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र योजना बोर्ड की क्षेत्रीय योजना तैयार करने और नीतियों के कार्यान्वयन में भी सहायता करता है।
मास्टर प्लान :-
मास्टर प्लान किसी भी शहर के लिए लगभग 20 वर्षों के लिए कानूनी संरचनाओं के अन्तर्गत विकास का दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है।
कुल 279 नगरीय निकायों में से 191 शहरों/ कस्बों के मास्टर प्लान तैयार किए जाकर राजस्थान सरकार द्वारा अनुमोदित किए जा चुके हैं।
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) :-
NCR के राजस्थान उप क्षेत्र में अलवर एवं भरतपुर जिले सम्मिलित हैं और इन जिलों की मसौदा क्षेत्रीय योजना- 2041 राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र योजना बोर्ड (NCRPB) द्वारा जारी की गई थी।
NCR के काउंटर मैग्नेट शहर में राजस्थान के कोटा व जयपुर शहर सम्मिलित हैं।
यह योजना राजस्थान में 213 नगरीय निकायों में लागू है।
19 फरवरी, 2016 को स्वर्ण जयंती शहरी रोजगार योजना एवं राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन को पुनर्गठित किया गया है।
छोटे एवं मध्यम कस्बों में शहरी आधारभूत ढांचे की विकास योजना (UIDSSMT) :-
छोटे एवं मध्यम कस्बों में केन्द्र सरकार द्वारा आधारभूत सुविधाएं शहरी गरीबों को उपलब्ध कराने के उद्देश्य से यह योजना प्रारम्भ की गई है।
यह योजना जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी नवीनीकरण मिशन (JNNURM) में चयनित शहरों/ कस्बों को छोड़कर सभी शहरों/ कस्बों पर लागू की गई है।
शहरी विकास मंत्रालय भारत सरकार द्वारा अमृत योजना के अनुसार इस योजना में प्रगति वाली 11 परियोजनाओं में हिस्सा राशि 60 : 20 : 20 (केंद्र : राज्य : ULB) कर दी गई है।
इस योजना के क्रियान्वयन हेतु राज्य में राजस्थान शहरी पेयजल, सीवरेज एवं आधारभूत निगम (RUDSICO) को नोडल एजेन्सी बनाया गया है।
12 शहरों में 11 सीवरेज परियोजनाएं और 1 जल आपूर्ति परियोजना सहित 12 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है।
राजीव आवास योजना (RAY) :-
शुरुआत : 2011
RAY : Rajiv Awas Yojana (राजीव आवास योजना)
योजनान्तर्गत भारत सरकार से 16 शहरों के लिए 19 परियोजनाएं स्वीकृत की गई हैं।
योजनान्तर्गत स्वीकृत परियोजनाओं को भारत सरकार द्वारा 25 जून, 2015 को “सबसे लिये आवास” योजना में सम्मिलित किया जा चुका है।
उद्देश्य : शहरों को स्लम (झुग्गी झोपड़ी) फ्री बनाना।
राजस्थान अरबन डवलपमेंट फण्ड-II (RUDF-II) :-
गठन : 25 अगस्त, 2021
राजस्थान अरबन डवलपमेंट फण्ड-I (RUDF-I) का गठन 2010 में किया गया था।
स्मार्ट सिटीज मिशन :-
भारत सरकार द्वारा जून, 2015 में उन शहरों में बढ़ावा देने हेतु स्मार्ट सिटीज मिशन लागू किया गया, जो मुख्य बुनियादी संरचना प्रदान करता है, अपने नागरिकों को अच्छी गुणवत्ता वाला जीवन, स्वच्छ एवं सतत् पर्यावरण उपलब्ध कराते हैं तथा शहरों के विकास हेतु स्मार्ट समाधान लागू करते हैं।
इस मिशन का उद्देश्य 5 वर्षों की अवधि में 100 शहरों को सम्मिलित करना है।
भारत सरकार द्वारा अनुदान के रूप में प्रत्येक शहर हेतु 100 करोड़ रुपये प्रतिवर्ष एवं इसके समान ही राशि राज्य सरकार/नगरीय निकाय द्वारा पाँच वर्ष के लिए दी जाएगी।
राजस्थान के 4 शहरों- जयपुर, उदयपुर, कोटा एवं अजमेर को स्मार्ट शहर बनाने के लिए सूची में सम्मिलित किया गया।
इस प्रोजेक्ट के तहत जलापूर्ति का प्रावधान, चिकित्सा एवं शिक्षा सुविधाओं का विकास, पार्कों का विकास, ओपन एयर जिम, फायर रेस्क्यू जीप और बाइक, स्मार्ट रोड़, स्मार्ट टॉयलेट, पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम और पार्किंग स्पेस के विकास जैसे कार्य किये जा रहे हैं।
अमृत मिशन (AMRUT Mission) :-
AMRUT : Atal Mission for Rejuvenation and Urban Transformation (अटल मिशन रिजुवेनेशन एवं अरबन ट्रांसफोरमेशन/ अटल नवीकरण और शहरी परिवर्तन मिशन)
शुरुआत : जून, 2015 (केंद्र सरकार द्वारा)
इस योजना के अन्तर्गत राजस्थान में कुल 29 शहरों को चयनित किया गया है।
इस मिशन के अन्तर्गत जलापूर्ति, सीवरेज और सेप्टेज प्रबन्धन, नालियां एवं हरित स्थानों की पहचान की गई है।
इस मिशन के अन्तर्गत स्वच्छ भारत मिशन से जुड़े हुए 500 शहरों में जलापूर्ति, सीवरेज और सेप्टेज प्रबन्धन, नालियां एवं हरित स्थानों का विकास शामिल है।
अमृत मिशन 2.0 (AMRUT Mission 2.0) :-
शुरुआत : 01 अक्टूबर, 2021 (केंद्र सरकार द्वारा)
इस मिशन के अन्तर्गत सभी शहरी निकायों में जल प्रदाय योजनाओं द्वारा सभी घरों में वर्ष 2025-26 तक “हर घर नल” द्वारा पेयजल उपलब्ध कराये जाने का लक्ष्य रखा गया है।
इस योजना के अन्तर्गत सीवरेज, जल निकायों के जीर्णोद्धार एवं जलापूर्ति के कार्य करवाए जाने हैं।
योजना के अन्तर्गत केंद्र सरकार का हिस्सा निम्न है-
क्र. सं.
जिन शहरों की आबादी
केंद्र सरकार का हिस्सा
1
1 से कम
50 %
2
1 से 10 लाख
33.33 %
3
10 लाख से अधिक
25 %
नोट :- शेष हिस्सा राज्य सरकार द्वारा वहन किया जाएगा। राज्य सरकार के हिस्से का 10 % हिस्सा संबंधित नगर निकाय द्वारा वहन किया जाएगा।
LED लाईट परियोजना :-
राजस्थान में स्ट्रीट लाईटिंग में ऊर्जा बचत करने के लिये “एनर्जी सेविंग प्रोजेक्ट” प्रारम्भ किया गया।
इसका मुख्य उद्देश्य सड़कों पर रोशनी के स्तर में वृद्धि तथा विद्युत उपभोग में कमी करना है।
191 स्थानीय निकायों में LED लाईट लगाने का कार्य लगभग पूर्ण हो चुका है।
31 मार्च, 2024 तक राजस्थान में 12.02 लाख LED लाइटें लगाई गई हैं।
स्वच्छ भारत मिशन (शहरी) 1.0 :-
शुरुआत : 2 अक्टूबर, 2014
उद्देश्य : सार्वजनिक भागीदारी, व्यक्तिगत घरेलू शौचालयों (IHHL), सामुदायिक/सार्वजनिक शौचालयों, मूत्रालयों के निर्माण और ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के माध्यम से पूरे भारत में स्वच्छता के बेहतर स्तर को प्राप्त करना है।
राजस्थान में 213 ULB को खुले में शौच मुक्त (ODF) घोषित किया गया है और भारत सरकार द्वारा प्रमाणित भी किया जा चुका है।
ODF : Open Defecation Free (खुले में शौच मुक्त)
स्वच्छ भारत मिशन (शहरी) 2.0 :-
शुरुआत : अक्टूबर, 2021 (2 अक्टूबर, 2026 तक 5 वर्ष की अवधि के लिए)
इसके मुख्य घटक शौचालय निर्माण यानी व्यक्तिगत घरेलू शौचालय (IHHL), सामुदायिक/सार्वजनिक शौचालयों (CT/PT), मूत्रालय, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन,प्रयुक्त जल प्रबंधन, IEC और CB हैं।
श्री अन्नपूर्णा रसोई योजना :-
पूर्व नाम : इंदिरा रसोई योजना
शुरुआत : 20 अगस्त, 2020
राजस्थान में ‘लक्ष्य अंत्योदय-प्रण अंत्योदय-पथ अंत्योदय’ की संकल्पना को साकार कर रही सुशासन को समर्पित यह योजना राजस्थान सरकार द्वारा वर्तमान में शहरी निकायों में संचालित की जा रही है।
राजस्थान में 240 नगरीय निकायों में 100 रसोईयों के संचालन की जा रही हैं।
योजनान्तर्गत आमजन को ₹ 8 में प्रति थाली में दो समय (दोपहर एवं रात्रिकालीन) का स्थायी रसोईयों में सम्मानपूर्वक बैठाकर शुद्ध व पौष्टिक भोजन उपलब्ध करवाया जा रहा है एवं राज्य सरकार द्वारा ₹ 22 प्रति थाली राजकीय अनुदान दिया जा रहा है।
प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) :-
शुरुआत : 25 जून, 2015
इस योजना का उद्देश्य आर्थिक दृष्टि से कमजोर आय वर्ग (वार्षिक आय ₹ 3.00 लाख) व अल्प आय वर्ग (वार्षिक आय ₹ 3.00 से ₹ 6.00 लाख) के परिवारों को सस्ते आवास उपलब्ध करवाना है। (लक्ष्य 31 दिसंबर, 2024)
राजस्थान परिवहन आधारभूत विकास निधि :-
राज्य में सुव्यवस्थित, सुरक्षित, प्रदूषण रहित एवं सुगम शहरी यातायात प्रबंधन हेतु वित्तीय वर्ष 2011-12 में राजस्थान परिवहन आधरभूत विकास निधि (RTIDF) का गठन किया गया था।
स्वायत्त शासन विभाग द्वारा किये गये नवाचार :-
प्रशासन शहरों के संग अभियान :-
शुरुआत : 2 अक्टूबर, 2021
आम नागरिकों की नगरीय निकायों से जुड़ी समस्याओं के त्वरित समाधान हेतु प्रदेश के सभी नगरीय निकायों में प्रशासन शहरों के संग अभियान का शुभारम्भ किया गया है।
इंदिरा गांधी शहरी क्रेडिट कार्ड योजना :-
शुरुआत : 2021
इस योजना के तहत शहरी क्षेत्र के 5 लाख स्ट्रीट वैण्डर्स को ₹ 50,000 का ब्याज मुक्त ऋण उपलब्ध कराया जा रहा है।
उद्देश्य :-
रोजगार/ स्वरोजगार के अवसर उपलब्ध करवाने हेतु।
रोजमर्रा की जरूरतों के लिए वित्तीय संसाधन उपलब्ध करवाने हेतु।
इंदिरा गांधी शहरी रोजगार गारंटी योजना :-
शुरुआत : 9 सितम्बर, 2022
उद्देश्य : शहरी क्षेत्र में निवास कर रहे जरूरतमंद परिवारों के 18 से 60 वर्ष आयु के व्यक्तियों को रोजगार उपलब्ध करवाकर वित्तीय सहायता प्रदान करना।
निःशुल्क पंजीयन के आधार पर 100 कार्य दिवस का रोजगार उपलब्ध करवाने के साथ प्रारंभ की गयी, जिसे वित्तीय वर्ष 2023-24 में बढ़ाकर 125 कार्य दिवस कर दिया है।