भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (CAG) : इतिहास, नियुक्ति, शपथ, कार्यकाल, कर्तव्य एवं शक्तियां

  • भारत में यह पद ब्रिटेन की देन है।
  • ब्रिटिश सरकार ने भारत में “Indian Audit and Account” विभाग की स्थापना की।
  • इस विभाग पर नियुक्त अधिकारी को ‘महालेखाकार’ (Auditor General) कहा जाता था, जिसकी नियुक्ति भारत सचिव द्वारा की जाती थी।
  • 1860 ई. में एडमंड ड्रममोन्ड को भारत का पहला महालेखाकार बनाया गया।
  • महालेखाकार का कार्यकाल ब्रिटिश सम्राट के प्रसाद पर्यन्त होता था।
  • 1884 ई. में महालेखाकार पद का नाम बदलकर “नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक” (CAG) कर दिया गया।
  • 1935 ई. के भारत शासन अधिनियम में ब्रिटिश क्राउन द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर ‘नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक’ (CAG) व राज्य स्तर पर ‘महालेखाध्यक्ष’ (Accountant General) नियुक्ति किया गया।
  • 1950 ई. में संविधान लागू होने पर भारत में केवल CAG का पद रखा गया।

  • CAG : Comptroller and Auditor General (नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक)
  • यह एक सदस्यीय आयोग है।
  • यह भारत की सर्वोच्च लेखापरीक्षा संस्था है।
  • प्रावधान : संविधान के भाग 5 एवं अनुच्छेद 148 से 151 तक।

  • अनुच्छेद 148 : आयोग की संरचना जैसे- यह एक सदस्यी आयोग है।
  • अनुच्छेद 148 (1) : CAG की नियुक्ति, कार्यकाल, त्यागपत्र, निष्कासन प्रक्रिया
    • नियुक्ति : CAG की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
    • कार्यकाल : CAG का कार्यकाल 6 वर्ष या 65 वर्ष की आयु जो भी पहले हो।
    • त्यागपत्र : CAG अपना त्यागपत्र राष्ट्रपति को देता है।
    • निष्कासन प्रक्रिया : CAG को पद से हटाने की प्रक्रिया उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश के समान है।
  • अनुच्छेद 148 (2) : CAG की शपथ
    • शपथ : CAG को शपथ तीसरी अनुसूची के अनुसार राष्ट्रपति द्वारा दिलाई जाती है।
  • अनुच्छेद 148 (3) : CAG का वेतन एवं सेवा शर्ते
    • CAG के वेतन एवं सेवा शर्तों का निर्धारण दूसरी अनुसूची के अनुसार संसद द्वारा किया जाता है।
    • CAG का वेतन सर्वोच्च न्यायालय के न्यायधीश के समान है।
    • CAG का वर्तमान वेतन 2.5 लाख रुपये है।
    • CAG का वेतन भारत की संचित निधि पर भारित होता है।
  • अनुच्छेद 148 (4) : CAG सेवानिवृति के बाद केन्द्र या राज्य सरकार के अधीन किसी पद का पात्र नहीं होगा।
  • अनुच्छेद 148 (5) : लेखा परीक्षक व लेखा विभाग के कर्मचारियों की सेवा शर्तों का निर्धारण CAG की सलाह से राष्ट्रपति द्वारा किया जाता है।
  • अनुच्छेद 148 (6) : CAG कार्यालय के प्रशासनिक व्यय भारत की संचित निधि पर भारित हैं।

तीसरी अनुसूची :-

  • भारतीय संविधान की तीसरी अनुसूची की धारा IV में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों और भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक द्वारा पदभार ग्रहण करते समय ली जाने वाली शपथ या प्रतिज्ञान का स्वरूप निर्धारित किया गया है।

  • अनुच्छेद 149 : CAG के कर्तव्य एवं शक्तियां
    • इनके अनुसार केन्द्र व राज्यों के लेखों के रखरखाव एवं व्यवस्थित करने के लिए संसद कानून बनाएं।
  • वर्ष 1971 में संसद ने CAG के कार्य एवं शक्तियों को लेकर कानून बनाया। इस कानून में 1976 में संशोधन किया गया तथा लेखांकन व लेखा परीक्षण को पृथक किया गया।

CAG के कार्य :-

  • निम्नलिखित का लेखापरीक्षण करना-
    • केंद्र और राज्यों के व्यय।
    • भारत की समेकित निधि के व्यय।
    • केंद्र की आकस्मिकता निधि के व्यय।
    • केंद्र की लोक भविष्य निधि के व्यय।
    • राज्य की समेकित निधि के व्यय।
    • सरकारी निगमों और कंपनियों के व्यय।
    • केंद्र और राज्य सरकारों के सभी विभागों के खाते।
    • केंद्र और राज्य सरकारों की आय और व्यय।
  • राष्ट्रपति या राज्यपाल के आग्रह से स्थानीय निकायों का लेखा परीक्षण भी किया जा सकता है।।
  • केन्द्र व राज्य सरकार के लेखा प्रपत्र विवरण को लेकर राष्ट्रपति को सलाह देना है।
  • यह संसद की लोक लेखा समिति को सहयोग प्रदान करता है, इसलिए इसे लोक लेखा समिति का मार्गदर्शक, मित्र एवं दार्शनिक कहा जाता है।
  • लेखों का प्रारूप कैसा होना चाहिए इसकी सलाह सरकार को देना।
  • केन्द्र के लेखों का विवरण या लेखा परीक्षण की रिपोर्ट राष्ट्रपति को सौंपता है, तथा राष्ट्रपति उसे संसद के समक्ष रखवाता है।
  • राज्य के लेखा परीक्षण की रिपोर्ट राज्यपाल को सौंपता है, तथा राज्यपाल उसे विधानमंडल के समक्ष रखवाता है।

  • अनुच्छेद 150 : संघ और राज्यों के लेखाओं को ऐसे प्रारूप में रखा जाएगा जो राष्ट्रपति, भारत के CAG से परामर्श के पश्चात विहित करें।

  • अनुच्छेद 151 : वार्षिक प्रतिवेदन
    • वार्षिक प्रतिवेदन : CAG केन्द्र सरकार का वार्षिक प्रतिवेदन राष्ट्रपति को एवं राज्य सरकार का वार्षिक प्रतिवेदन राज्यपाल को सौंपता है।
    • राष्ट्रपति वार्षिक प्रतिवेदन को केंद्रीय वित्तमंत्री के माध्यम से संसद में रखवाता है।
    • राज्यपाल वार्षिक प्रतिवेदन को राज्य वित्तमंत्री के माध्यम से विधानमंडल में रखवाता है।

CAG द्वारा दो प्रकार की रिपोर्ट बनायी जाती है। जैसे-

  1. सरकारी खर्चों की रिपोर्ट : यह रिपोर्ट लोक लेखा समिति (PAC) में पेश की जाती है, तथा यह समिति ही इसकी जाँच करती है।
  2. सरकारी कंपनियों (PSU) के खर्चों की रिपोर्ट : यह रिपोर्ट लोक उपक्रम समिति (PUC) में पेश की जाती है, तथा यह समिति ही इसकी जाँच करती है।
    • उपर्युक्त दोनों प्रकार की रिपोर्ट पहले राष्ट्रपति के पास भेजी जाती है, बाद में राष्ट्रपति इन्हें संसद में पेश करने के लिए भेजता है।

भारत के पूर्व CAG की सूची (स्वतंत्रता से पूर्व)

क्र. सं.नामकार्यकाल
1माननीय एडमंड ड्रममोन्ड1860-1862
2आर. पी. हैरिसन1862-1867
3ई. एफ. हैरिसन1867-1879
4डब्ल्यू. वोटरफील्ड1879-1881
5जेम्स वेस्ट्लैंड1881-1889
6ई. गे.1989-1891
7एस. जैकब1891-1898
8ए. एफ. कोक्स1898-1906
9ओ. जे. बार्रो1906-1910
10आर. डब्ल्यू. गिलान1910-1912
11सर फ्रेडरिक गौंटलेट1912-1914
12सर आर. ए. गैबल1914-1918
13सर फ्रेडरिक गौंटलेट1918-1929
14सर अर्नस्ट बर्डन1929-1940
15सर अलेक्जेंडर कैमरामन बँन्डोच1940-1945
16सर बर्टीई स्टैग1945-1948

भारत के पूर्व CAG की सूची (स्वतंत्रता के बाद)

क्र. सं.नामकार्यकालविशेष
1वी. नरहरी राव1948-1954𑇐 यह भारत के पहले CAG हैं।
2ए. के. चन्दा1954-1960
3ए. के. रॉय1960-1966
4एस. रंगनाथन1966-1972
5ए. बख्शी1972-1978
6ज्ञान प्रकाश1978-1984
7टी. एन. चतुर्वेदी1984-1990
8सी. जी. सोमैया1990-1996
9वी. के. शुंगलू1996-2002
10वी. एन. कौल2002-2008
11विनोद राय2008-2013
12शशि कान्त शर्मा2013-2017
13राजीव महर्षि2017-2020
14गिरीश चंद्र मुर्मू8 अगस्त, 2020 से 20 नवंबर, 2024 तक𑇐 CAG से पूर्व यह जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल थे।
15श्री के संजय मूर्ति21 नवंबर, 2024 से वर्तमान तक𑇐 यह भारत के वर्तमान CAG हैं।

  • श्री के संजय मूर्ति :-
    • कार्यकाल : 21 नवंबर, 2024 से वर्तमान तक
    • शपथ : 21 नवंबर, 2024 (राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा)
    • यह क्रमशः भारत के 15वें CAG हैं।
    • यह हिमाचल प्रदेश कैडर के 1989 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) अधिकारी हैं।
    • CAG के रूप में अपनी नियुक्ति से पहले इन्होंने 1 अक्टूबर, 2021 से 20 नवंबर, 2024 तक शिक्षा मंत्रालय में उच्च शिक्षा विभाग के शिक्षा सचिव के रूप में कार्य किया।
    • शिक्षा सचिव के पद पर रहते हुए इन्होंने देश की शिक्षा नीतियों और पहलों को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
  • CAG को सार्वजनिक वित्त का सजग प्रहरी भी कहा जाता है।
  • CAG को उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश के समान दर्जा प्रदान किया गया है।
  • आलोचक कभी-कभी CAG को जागरूक पहरेदार (सजग प्रहरी) के स्थान पर रक्त पिपासु शिकारी कुत्ता कहते हैं, जो सरकारी अधिकारियों की टाँग को पकड़ लेता है और उन्हें बढ़ने नहीं देता है।
  • पॉल एच. एपल्बी ने CAG की कटु आलोचना की और इसके कार्यों को औपनिवेशिक विरासत कहा था।
  • CAG के पद पर सामान्यतः भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) या भारतीय लेखा सेवा के अधिकारी की नियुक्ति की जाती है।

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