राजस्थान में कृषि : परिचय, प्रकार, वर्गीकरण, महत्व

  • कृषि आर्थिक गतिविधि के प्राथमिक क्षेत्र में शामिल है।
  • भारतीय (राजस्थान) कृषि मुख्यतः मानसून पर आधारित है, इस कारण कृषि को ‘मानसून का जुआ’ कहा जाता है।
  • राजस्थान के पूर्वी मैदान में कृषि उत्पादकता अधिक होती है, इस कारण पूर्वी मैदान को राजस्थान में ‘कृषि का हृदय स्थल’ कहा जाता है।
  • वर्ष :-
    • सामान्य वर्ष का समय 1 जनवरी से 31 दिसंबर तक होता है।
    • वित्तीय वर्ष का समय 1 अप्रैल से 31 मार्च तक होता है।
    • कृषि वर्ष का समय 1 जुलाई से 30 जून तक होता है।
  • राजस्थान का उत्तरी-पश्चिमी भाग, जो कुल क्षेत्रफल का लगभग 61% मरुस्थलीय या अर्द्ध मरुस्थलीय है, जो वर्षा पर निर्भर है।
  • राजस्थान का दक्षिणी-पूर्वी भाग, जो कुल क्षेत्रफल का लगभग 39% है, उपजाऊ है।
  • भारत को 15 कृषि जलवायु क्षेत्रों में विभाजित किया गया है।
  • राजस्थान को जलवायु के आधार पर 10 कृषि जलवायु क्षेत्रों में विभाजित किया गया है। जैसे-

राजस्थान के कृषि जलवायु क्षेत्र

क्र. सं.कृषि जलवायु क्षेत्रसम्मिलित जिलेवर्षामुख्य खरीफ फसलेंमुख्य रबी फसलेंविशेषता
1शुष्क पश्चिमी मैदानी क्षेत्र
(I-A)
जोधपुर शहर
जोधपुर ग्रामीण
फलौदी
बाड़मेर
बालोतरा
20-35 cmबाजरा, मोठ एवं तिलगेहूं, सरसों एवं जीरा𑇐 यह राजस्थान का दूसरा सबसे बड़ा कृषि जलवायु क्षेत्र है।
2उत्तरी पश्चिमी सिंचित मैदानी क्षेत्र
(I-B)
श्रीगंगानगर
हनुमानगढ़
अनूपगढ़
10-30 cmकपास एवं ग्वारगेहूं, सरसों एवं चना𑇐 इस क्षेत्र में नहरों से अधिक सिंचाई की जाती है।
𑇐 यह राजस्थान का दूसरा सबसे छोटा कृषि जलवायु क्षेत्र है।
3अति शुष्क आंशिक सिंचित पश्चिमी मैदानी क्षेत्र
(I-C)
बीकानेर
जैसलमेर
चुरू आंशिक (रतनगढ़, सरदारशहर, बीदासर एवं सुजानगढ़ तहसील)
10-30 cmबाजरा, मोठ एवं ग्वारगेहूं, सरसों एवं चना𑇐 यह राजस्थान का नवीनतम कृषि जलवायु क्षेत्र है।
𑇐 यह राजस्थान का सबसे बड़ा कृषि जलवायु क्षेत्र है।
4अन्तः स्थलीय जलोत्सरण के अन्तवर्ती मैदानी क्षेत्र
(II-A)
सीकर
नीम का थाना
चुरू (रतनगढ़, सरदारशहर, बीदासर एवं सुजानगढ़ तहसील छोड़कर)
झुन्झुनूं
नागौर
डीडवाना एवं कुचामन
30-50 cmबाजरा, ग्वार एवं दलहनसरसों एवं चना
5लूनी नदी का अन्तवर्ती मैदानी क्षेत्र
(II-B)
जालोर
सांचौर
सिरोही (पिण्डाड़ा, आबूरोड़ तहसील छोड़कर)
पाली
ब्यावर आंशिक (जैतारण एवं रायपुर तहसील)
30-50 cmबाजरा, ग्वार एवं तिलगेहूं एवं सरसों
6अर्द्ध शुष्क पूर्वी मैदानी क्षेत्र
(III-A)
अजमेर
ब्यावर (जैतारण, रायपुर तहसील छोड़कर)
जयपुर शहर
जयपुर ग्रामीण
दौसा
टोंक
दूदू
केकड़ी
खैरथल तिजारा
कोटपूतली-बहरोड़
50-70 cmबाजरा, ग्वार एवं ज्वारगेहूं, सरसों एवं चना
7बाढ़ सम्भाव्य पूर्वी मैदानी क्षेत्र
(III-B)
अलवर
डीग
भरतपुर
धौलपुर
करौली
गंगापुर सिटी
सवाईमाधोपुर
50-70 cmबाजरा, ग्वार एवं मूंगफलीगेहूं, जौ, सरसों एवं चना
8अर्द्ध आर्द्र दक्षिणी मैदानी क्षेत्र
(IV-A)
उदयपुर
चित्तौड़गढ़ (बड़ी सादडी तहसील छोड़कर)
राजसमंद
भीलवाड़ा
शाहपुरा
सिरोही आंशिक (पिण्डवाडा एवं आबूरोड़ तहसील)
50-90 cmमक्का, दलहन एवं ज्वारगेहूं एवं चना
9आर्द्र दक्षिणी मैदानी क्षेत्र
(IV-B)
बांसवाड़ा
डूंगरपुर
प्रतापगढ़
सलूम्बर
चित्तौड़गढ़ की बड़ी सादडी तहसील
50-110 cmमक्का, धान, ज्वार एवं उड़दगेहूं एवं चना𑇐 यह राजस्थान का सबसे छोटा कृषि जलवायु क्षेत्र है।
10आर्द्र दक्षिणी पूर्वी मैदानी क्षेत्र
(V)
कोटा
बारां
बूंदी
झालावाड़
65-110 cmज्वार एवं सोयाबीनगेहूं एवं सरसों

  • कृषि को दो प्रकार से विभाजित किया गया है। जैसे-
    1. सामान्य प्रकार
    2. वैज्ञानिक प्रकार

1. सामान्य प्रकार

क्र. सं.कृषि का प्रकारपरिभाषा/अर्थविशेषता
1मिश्रित कृषिकृषि एवं पशुपालन संयुक्त रूप से करना।𑇐 यह राजस्थान में सर्वाधिक बाड़मेर (पश्चिमी राजस्थान) में की जाती है।
2बारानी कृषिमानसून पर आधारित कृषि𑇐 यह राजस्थान में सर्वाधिक बाड़मेर (पश्चिमी राजस्थान) में की जाती है।
3शुष्क कृषि75 cm से कम वर्षा पर आधारित कृषि जैसे- बाजरा, मूँग, मोठ, ग्वार, चना
4आर्द्र कृषि75 cm से अधिक वर्षा पर आधारित कृषि जैसे- गन्ना, चावल, गेहूँ, कपास
5मोनोकल्चरएक कृषि वर्ष में एक खेत में एक फसल का उत्पादन करना।
6ड्यूओकल्चरएक कृषि वर्ष में एक खेत में दो फसलों का उत्पादन करना।
7ओलिगोकल्चरएक कृषि वर्ष में एक खेत में तीन फसलों का उत्पादन करना।
8रिलेकल्चरयह बहुफसल की एक पद्धति है जिसमें बोई गई फसल के साथ दूसरी फसल को बो दिया जाता है।
9खड़ीन कृषिपश्चिमी राजस्थान में पालीवाल ब्राह्मणों द्वारा की जाने वाली कृषि𑇐 यह राजस्थान में मुख्यतः जैसलमेर में प्रचलित है।
10झूमिंग कृषिपेड़ों को काटकर एवं जलाकर की जाने वाली कृषि𑇐 राजस्थान में स्थानांतरित कृषि मुख्यतः बासवाड़ा, डूंगरपुर एवं उदयपुर में की जाती है।
𑇐 अन्य नाम :-
1. शिफ्टिंग कृषि या स्थानांतरित कृषि
2. कर्तन-दहन कृषि
3. राजस्थान में वालरा
4. राजस्थान के अरावली क्षेत्र में चिमाता
5. राजस्थान के मैदानी भाग में दजिया
6. आदिवासियों की कृषि
7. पर्यावरण की दुश्मन
(पर्यावरण का दुश्मन सफेदे के पेड़ को कहा जाता है।)

2. वैज्ञानिक प्रकार

क्र. सं.कृषि का प्रकारउत्पादनविशेषता
1सेरीकल्चररेशम या रेशम कीट 𑇐 भारत में रेशम का सर्वाधिक उत्पादन कर्नाटक में होता है।
2पिसीकल्चरमछली
3एपिकल्चरशहद
4विटीकल्चरअंगूर
5हॉटीकल्चरबागवानी जैसे- फल, फूल, सब्जी
6पोमोकल्चरफल
7फ्लोरीकल्चरफूल
8ऑलेरीकल्चरसब्जियां
9सिल्वीकल्चरवन
10वर्मीकल्चरकेंचुआ या वर्मीकम्पोस्ट

  • कृषि का वर्गीकरण दो प्रकार से किया जाता है। जैसे-
    1. मौसम के आधार पर कृषि का वर्गीकरण
    2. उपयोग के आधार पर कृषि का वर्गीकरण

1. मौसम के आधार पर कृषि का वर्गीकरण

क्र. सं.फसलों का प्रकारफसलेंबुवाईकटाईतापमान
1खरीफ𑇐 खाद्यान्न/अनाज फसलें : बाजरा, चावल, मक्का, ज्वार, रागी
𑇐 दलहन फसलें : मूँग, मोठ, अरहर/तूअर, चवला, उड़द
𑇐 तिलहन फसलें : मूँगफली, सोयाबीन, तिल, अरण्डी, सूर्जमुखी
𑇐 नकदी फसलें : कपास, गन्ना, ग्वार, जूट/पटसन
जून – जुलाईसितम्बर – अक्टूबर21°C – 28°C
2रबी𑇐 खाद्यान्न/अनाज फसलें : गेहूँ, जौ
𑇐 दलहन फसलें : मसूर, चना, मटर
𑇐 तिलहन फसलें : सरसों, जीरा, राई, सौंफ
𑇐 सब्जी : प्याज, लहसुन, अदरक
𑇐 मसाला फसलें : मिर्च, धनिया, हल्दी, मैथी
𑇐 अन्य फसलें : तारा मीरा, ईसबगोल, अफीम, तम्बाकू, अलसी, अरसीम
अक्टूबर – नवम्बरमार्च – अप्रैल15°C – 20°C
3जायदसब्जी, खरबुजा, तरबुजा, ककड़ी, पशुओं का चारामार्च – अप्रैलमई – जून
नोट : कटाई के मौसम के आधार पर खरीफ की फसल को ‘स्यालू’ एवं रबी की फसल को ‘उनालू’ कहा जाता है।

2. उपयोग के आधार पर कृषि का वर्गीकरण

क्र. सं.फसलों का प्रकारपरिभाषा/ अर्थफसलेंविशेषता
1खाद्यान्न/अनाज फसलेंवे फसलें जो खाने के उपयोगी होती है।𑇐 खरीफ फसलें : बाजरा, चावल, मक्का, ज्वार
𑇐 रबी फसलें : गेहूँ, जौ
𑇐 विश्व की प्रमुख खाद्यान्न फसल चावल है।
𑇐 भारत की प्रमुख खाद्यान्न फसल चावल है।
𑇐 राजस्थान की प्रमुख खाद्यान्न फसल बाजरा है।
2दलहन फसलें
(भूमि उर्वरक फसलें)
वे फसलें जो भूमि को उर्वर बनाती है या भूमि की उर्वरता को बढ़ाती  है।𑇐 खरीफ फसलें : मूँग, मोठ, चवला, उड़द
𑇐 रबी फसलें : मसूर, चना, मटर
𑇐 अपवाद : अरहर/तूअर की दाल
𑇐 राजस्थना की प्रमुख दलहन फसल चना है।
𑇐 अरहर/तूअर की दाल भूमि की उर्वरता को कम करती है।
3तिलहन फसलेंवे फसलें जिनसे तेल प्राप्त होता है।𑇐 खरीफ फसलें : मूँगफली, सोयाबीन, अरण्डी, सूर्यमुखी. तिल
𑇐 रबी फसलें : सरसों, राई, अलसी, तारामीरा
𑇐 राजस्थान की प्रमुख तिलहन फसल सरसों है।
4नकदी/ व्यापारिक फसलेंवे फसलें जो उद्योगों में उपयोगी होती अर्थात् वे फसलें जिनकी उद्योगों में माँग अधिक होती है।कपास, गन्ना, ग्वार, तिलहन𑇐 खाद्यान्न/अनाज व दलहन फसलें नकदी में शामिल नहीं होती है।
𑇐 भारत एवं राजस्थान की की प्रमुख नकदी या व्यापारिक फसल कपास है।
5रेशेदार फसलेंवे फसलें जिनसे रेशा प्राप्त होता है।कपास, जूट/पटसन, अलसी (तीसी), बाँस𑇐 जूट को सुनहरा रेशा भी कहा जाता है।
𑇐 बाँस को आदिवासियों का हरा सोना भी कहा जाता है।
𑇐 बाँस को इमारती लकड़ी भी कहा जाता है।
𑇐 प्रमुख रेशेदार फसल कपास है।
6पेय फसलेंवे फसलें जो पीने के रूप में उपयोगी होती है।चाय, कहवा (कॉफी), तम्बाकू, गन्ना, अफीम

अन्य तिलहन पादप :-

  • जैतून : (उपयोग- खाद्य तेल एवं औषधी में)
  • होहोबा/ जोजोबा : (उपयोग- स्नेहक)
  • रत्नजोत/ जेट्रोफा एवं करंज : (उपयोग- बायोडिजल में)

  1. रोजगार में योगदान :-
    • भारत की कुल जनसंख्या का 54.6% जनसंख्या कृषि पर आधारित है।
    • राजस्थान की कुल जनसंख्या का 62% जनसंख्या कृषि पर आधारित है।
  2. व्यापार में योगदान :-
    • निर्यात : खाद्यान्न
    • आयात : खाद्य तेल
  3. उद्योगों में योगदान :-
    • राजस्थान के कुल उद्योगों में लगभग 15% उद्योग कृषि आधारित है, जिसमें सबसे बड़े उद्योग-
      1. कृषि आधारित सबसे बड़ा उद्योग सूती वस्त्र उद्योग है।
      2. कृषि आधारित दूसरा सबसे बड़ा उद्योग चीनी उद्योग है।

4. सकल राज्य मूल्य वर्धन (GSVA)

वित्तीय वर्षस्थिर मूल्य परप्रचलित मूल्य पर
2022-2328.50%28.95%
2023-2426.21%26.72%

कृषि अनुसंधान केंद्र :-

  • (अ) केंद्रीय कृषि अनुसंधान केंद्र
  • (ब) राज्य कृषि अनुसंधान केंद्र

(अ) केंद्रीय कृषि अनुसंधान केंद्र :-

  • भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के अंतर्गत राजस्थान में कार्यरत केंद्रीय कृषि अनुसंधान केंद्र निम्न है-
    1. केंद्रीय शुष्क बागवानी अनुसंधान केंद्र (CIAH) :-
      • CIAH : Central Institute for Arid Horticulture (केंद्रीय शुष्क बागवानी अनुसंधान केंद्र)
      • स्थित : बीछवाल, बीकानेर
      • स्थापना : 1993 ई.
    2. केंद्रीय शुष्क क्षेत्रीय अनुसंधान संस्थान (CAZRI) :-
      • CAZRI : Central Arid Zone Research Institute (केंद्रीय शुष्क क्षेत्रीय अनुसंधान संस्थान)
      • स्थित : जोधपुर
      • स्थापना : 1952 ई. (मरुस्थल वनरोपण अनुसंधान स्टेशन के रूप में)
      • मरुस्थल वनरोपण अनुसंधान स्टेशन को 1959 में काजरी के रूप में स्थापित किया गया था अर्थात् काजरी की स्थापना 1959 ई. में की गई थी।
      • काजरी में पादपों एवं कृषि फसलों पर अनुसंधान किया जाता है।
      • भारत में काजरी के 5 उपकेंद्र स्थित है। जैसे-
        1. बीकानेर (राजस्थान)
        2. जैसलमेर (राजस्थान)
        3. पाली (राजस्थान)
        4. भुज (गुजरात)
        5. लेह (लद्दाख)
    3. राष्ट्रीय बीजीय मसाला अनुसंधान केंद्र (NRCSS) :-
      • NRCSS : National Research Centre on Seed Spices (राष्ट्रीय बीजीय मसाला अनुसंधान केंद्र)
      • स्थित : डूमाड़ा-तबीजी गाँव, अजमेर
      • स्थापना : 22 अप्रैल, 2000 (ICAR द्वारा)
    4. राष्ट्रीय रेपसीड सरसों अनुसंधान केंद्र (NRCRM) :-
      • NRCRM : National Research Centre on Rapeseed-Mustard (राष्ट्रीय रेपसीड सरसों अनुसंधान केंद्र)
      • स्थित : सेवर, भरतपुर
      • स्थापना : 20 अक्टूबर, 1993
      • फरवरी 2009 में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) द्वारा इसका नाम बदलकर ‘सरसों अनुसंधान निदेशालय’ (DRMR) कर दिया गया।
      • ICAR : Indian Council of Agricultural Research (भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद)
      • DRMR : Directorate of Rapeseed Mustard Research (सरसों अनुसंधान निदेशालय)

(ब) राज्य कृषि अनुसंधान केंद्र

क्र. सं.राज्य कृषि अनुसंधान केंद्रस्थितविशेषता
1रारी
RARI : Rajasthan Agricultural Research Centre (राज्य कृषि अनुसंधान केद्र)
दुर्गापुरा, जयपुर𑇐 स्थापना : 1943 ई.
2ज्वार अनुसंधान केंद्रवल्लभनगर, उदयपुर
3मक्का अनुसंधान केंद्रबांसवाड़ा
4चावल अनुसंधान केंद्रबांसवाड़ा
5बाजरा अनुसंधान केंद्रजोधपुर
6इसबगोल अनुसंधान केंद्रजोधपुर
7बेर अनुसंधान केंद्रबीछवाल, बीकानेर
8खजुर अनुसंधान केंद्रबीछवाल, बीकानेर

कृषि उत्कृष्टता केंद्र

क्र. सं.कृषि उत्कृष्टता केंद्रस्थित
1खजुर उत्कृष्टता केंद्रसगरा-भोजका, जैसलमेर
2बाजरा उत्कृष्टता केंद्रजोधपुर
3सीताफल उत्कृष्टता केंद्रचित्तौड़गढ़
4सब्जी उत्कृष्टता केंद्रबूंदी
5सिट्रस (नींबू वर्गीय पादप) उत्कृष्टता केंद्रनांता, कोटा
6सिट्रस, मसालें एवं औषधीय पादपों का उत्कृष्टता केंद्रझालावाड़
7अमरूद उत्कृष्टता केंद्र1. देवड़ावास (टोंक)
2. सवाई माधोपुर
8फूलों का उत्कृष्टता केंद्रसवाई माधोपुर
9आम, आँवला, जैतून का उत्कृष्टता केंद्रखेमरी, धोलपुर
10अनार का उत्कृष्टता केंद्रबस्सी, जयपुर
11ऑलिव या जैतून का उत्कृष्टता केंद्रबस्सी, जयपुर
12ड्रैगन फ्रूट या पिशाच फल का उत्कृष्टता केंद्रबस्सी, जयपुर
13अंजीर का उत्कृष्टता केंद्रसिरोही
14एपीकल्चर का उत्कृष्टता केंद्रटोंक

कृषि विश्वविद्यालय

क्र. सं.विश्वविद्यालयस्थितस्थापना
1स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालयबीछवाल
(बीकानेर)
1987
2महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालयउदयपुर1999
3श्री कर्ण नरेन्द्र कृषि विश्वविद्यालयजोबनेर
(जयपुर)
2013
4कृषि विश्वविद्यालयमंडोर
(जोधपुर)
2013
5कृषि विश्वविद्यालयबोरखेड़ा
(कोटा)
2013

कृषक कल्याण कोष (Kisan Kalyan Kosh- K3)

  • स्थापना : किसानों के लिए ‘ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस‘ की तर्ज पर ‘ईज ऑफ डूइंग फार्मिग‘ की ओर पहला बड़ा कदम उठाते इुए 1,000 करोड़ रुपये का ‘कृषक कल्याण कोष‘ (K-3) का गठन 16 दिसंबर, 2019 को किया गया था।
  • इसकी घोषणा 2019-20 के बजट में की गई थी।
  • अब यह कोष 75,000 करोड रूपए का हो गया है।
  • उद्देश्य : किसानों को उनकी कृषि फसल या उपज की उचित कीतम दिलाना।

राजस्थान में आयोजित कृषि निवेश कार्यक्रम

क्र. सं.ग्लोबल राजस्थान एग्रीटेक मीट
(GRAM)
स्थानआयोजन
1पहलाजयपुरनवंबर, 2016
2दूसराकोटामई, 2017
3तीसराउदयपुरनवंबर, 2017

कृषि नीतियां

क्र. सं.नीतिलागू
1राज्य कृषि नीति26 जून, 2013
2जैविक कृषि नीतिजून, 2017
3राजस्थान कृषि प्रसंस्करण, कृषि व्यापार एवं कृषि निर्यात प्रोत्साहन नीतिदिसम्बर, 2019

फसलों की उच्च उपज देने वाली किस्म

क्र. सं.फसलेंउच्च उपज देने वाली किस्म
(HYV)
1गेहूँ𑇐 कल्याण सोना-1482
𑇐 सोनालिका
𑇐 लेरमा
𑇐 मालविका
𑇐 कोहिनूर
𑇐 दुर्गापुरा-65
𑇐 चम्बल-65
𑇐 नबी-मरू गेहूँ : यह काले गेहूँ की किस्म है।
2जौ𑇐 करण
𑇐 केलाश
𑇐 केदार
𑇐 ज्योति
3मक्का𑇐 माही कंचन
𑇐 माही धवल
𑇐 अरूण
𑇐 किरण
𑇐 प्रभात
𑇐 पूसा HM-4
𑇐 पूसा HM-8
𑇐 पूसा HM-9
4बाजरा𑇐 राज-171
𑇐 RCB-2
𑇐 RHB-30
𑇐 RCB-911
5कपास𑇐 नरमा
𑇐 बीकानेरी कपास
𑇐 अमेरिकन कपास
𑇐 US-51
𑇐 US-71
𑇐 US-81
𑇐 PST-9
6गन्ना𑇐 CO-419
𑇐 CO-449
𑇐 CO-1007
𑇐 CO-1111
7चावल𑇐 बासमती
𑇐 माही सुगंधा
𑇐 परमल
𑇐 चम्बल
𑇐 पद्मा
𑇐 जमुना
8सरसों𑇐 पूसा बोल्ड
𑇐 राजविजय सरसों-2 (JMWR 08-3)
𑇐 पूसा सरसों-21
𑇐 पूसा सरसों-25

विभिन्न कृषि फसलों के उत्पादन में राजस्थान का स्थान :-

  1. प्रथम स्थान : बाजरा, सरसों, कुल तिलहन, ग्वार
  2. द्वितीय स्थान : पोषक अनाज, मूंगफली
  3. तृतीय स्थान : चना, कुल दलहन, ज्वार, सोयाबीन

भारत में प्रमुख फसलों का उत्पादन

क्र. सं.फसलप्रथम स्थानद्वितीय स्थानतृतीय स्थानराजस्थान का देश के कुल उत्पादन में योगदान
(प्रतिशत में)
1बाजराराजस्थानउत्तर प्रदेशहरियाणा38.98%
2सरसोंराजस्थानमध्य प्रदेशहरियाणा46.63%
3पोषक अनाजकर्नाटकराजस्थानमहाराष्ट्र13.89%
4कुल तिलहनराजस्थानमध्य प्रदेशगुजरात22.25%
5कुल दलहनमध्य प्रदेशमहाराष्ट्रराजस्थान14.51%
6मूंगफलीगुजरातराजस्थानतमिलनाडु16.83%
7चनामहाराष्ट्रमध्य प्रदेशराजस्थान19.28%
8ज्वारमहाराष्ट्रकर्नाटकराजस्थान12.67%
9सोयाबीनमहाराष्ट्रमध्य प्रदेशराजस्थान7.12%
10ग्वारराजस्थान87.69%
स्त्रोत :- भारत सरकार द्वारा प्रकाशित कृषि सांख्यिकी एक नजर में वर्ष 2022 के आधार पर (ग्वार फसल में वर्ष 2020-21 की स्थिति।)

राजस्थान में प्रमुख फसलों का उत्पादन (2020-21)

क्र. सं.फसलप्रथम स्थानद्वितीय स्थानतृतीय स्थान
1गेहूँहनुमानगढ़श्री गंगानगर
2जौश्री गंगानगरजयपुर
3बाजराअलवरबाड़मेरजयपुर
4मक्काभीलवाड़ाचित्तौड़गढ़उदयपुर
5कपासहनुमानगढ़श्री गंगानगर
6गन्नाश्री गंगानगरचित्तौड़गढ़बूंदी

नोट :-

  • राजस्थान में-
    • मक्का का सर्वाधिक उत्पादन दक्षिणी-पश्चिमी राजस्थान में होता है।
    • बाजरे का सर्वाधिक उत्पादन उत्तरी-पश्चिमी मरुस्थलीय क्षेत्र व पूर्वी मैदानी क्षेत्र में होता है।
    • सरसों का सर्वाधिक उत्पादन उत्तरी-पूर्वी राजस्थान में होता है। जैसे- श्री गंगानगर, अलवर, भरतपुर, टोंक
    • चावल का सर्वाधिक उत्पादन-
      • चंबल बेसिन : कोटा, बूंदी
      • घग्घर बेसिन : हनुमानगढ़, श्री गंगानगर
      • माही बेसिन : बांसवाड़ा, डूंगरपुर
      • कोटा व बूंदी में बासमती चावल अधिक होता है।
      • बांसवाड़ा में माही सुगंधा चावल अधिक होता है।

प्रमुख फसलों की भौगोलिक दशाएँ

क्र. सं.फसलवर्षातापमानमिट्टी
1बाजरा25-50 cm25°C – 35°C जलोढ़, रेतीली
2गेहूँ50-100 cm15°C – 20°C जलोढ़
3जौ50-100 cm15°C – 20°C जलोढ़
4सरसों50-100 cm15°C – 20°C जलोढ़
5मक्का50-100 cm21°C – 28°C लाल चिकनी
6कपास50-100 cm21°C – 28°C काली
7गन्ना125-150 cm21°C – 28°C जलोढ़
8चावल150-200 cm21°C – 28°C जलोढ़

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