लोक देवता (पंच पीर)
| क्र. सं. | लोक देवता (पंच पीर) | जन्म स्थान | पिता | माता | पत्नी | मुख्य मंदिर | मेला |
|---|---|---|---|---|---|---|---|
| 1 | रामदेव जी | उण्डू काश्मीर (बाड़मेर) | अजमल/अजमाल जी तंवर | मैणा दे | नेतल दे | रुणिचा, पोकरण (जैसलमेर) | भाद्रपद शुक्ल द्वितीया से एकादशी तक |
| 2 | गोगाजी | ददरेवा (चुरू) | जेवर सिंह | बाछल दे | केलम दे/ मेनलदे | भाद्रपद कृष्ण नवमी | |
| 3 | पाबूजी | कोलुमण्ड/कोळू गाँव (फलौदी) | धाँधल जी | कमलादे | फूलमदे/ सुप्यार दे/ सुपियारदे | चैत्र अमावस्या | |
| 4 | मेहाजी मांगलिया | कीतु करणोत/गोपालराज | मायड़ दे | बापीणी/बापणी (फलौदी) | कृष्ण जन्माष्टमी | ||
| 5 | हडबू जी सांखला | भूंडेल/भूंडोल गाँव (नागौर) | मेहराज जी सांखला (मेहाजी) | सोभागदे | बेंगटी गाँव (फलोदी) |
1. रामदेव जी
| पूरा नाम | रामदेव जी तंवर |
| जन्म | 𑇐 1409 ई. 𑇐 भाद्रपद शुक्ल एकादशी (इसे बाबे री बीज भी कहते हैं।) |
| जन्म स्थान | उण्डू काश्मीर, बाड़मेर जिला (राजस्थान) |
| धर्म | हिन्दू |
| वंश | अर्जुन |
| जाति | राजपूत |
| गौत्र | तंवर |
| पिता | 𑇐 अजमल/अजमाल जी तंवर ➥ यह पोकरण (जैसलमेर) के सामन्त थे। |
| माता | मैणा दे |
| पत्नी | 𑇐 नेतल दे ➥ यह अमरकोट (पाकिस्तान) के दलेल सिंह सोढ़ा की राजकुमारी (बेटी) थी। |
| भाई | वीरमदेव (बलराम का अवतार) |
| बहन | 𑇐 सुगना बाई ➥ रामदेव जी ने इनका विवाह पूगल गढ़ के निवासी विजय सिंह के साथ किया तथा दहेज के रूप में पोकरण क्षेत्र विजय सिंह को दिया। |
| धर्म बहन | 𑇐 डाली बाई ➥ यह मेघवाल जाती की थी। ➥ इन्होंने रामदेव जी से एक दिन पहले भाद्रपद शुक्ल दशमी के दिन रुणीचा, जैसलमेर (रामदेवरा) में जीवित समाधि ली। |
| समाधि | इन्होंने भाद्रपद शुक्ल एकादशी के दिन रुणीचा, जैसलमेर (रामदेवरा) में जीवित समाधि ली। |
| गुरु | 𑇐 बालीनाथ ➥ इनका मंदिर जोधपुर की मसूरिया पहाड़ी पर स्थित है। |
| शिष्या | आई माता |
| अवतार | 𑇐 हिन्दू लोग इन्हें भगवान विष्णु (श्री कृष्ण) का अवतार मानते हैं। 𑇐 मुस्लिम लोग इन्हें रामसा पीर के रूप में पूजते हैं। |
| उपाधि | पीरों का पीर |
| प्रमुख ग्रंथ | 𑇐 चौबीस वाणियाँ/ बाणियां ➥ इनके उपदेश इसी ग्रंथ में मिलते हैं। ➥ इस ग्रंथ को बाबारी पर्ची भी कहते हैं। |
| लोक गीत | 𑇐 इनके मंदिर में गाये जाने वाले गीतों को ‘ब्यावले’ कहते हैं। 𑇐 लोक देवता में सबसे लम्बा गीत इनका है। 𑇐 लोक देवियों में सबसे लम्बा गीत जीण माता का है। |
| झंडा | इनके मंदिर में लगने वाला पंचरगी झंडा ‘नेजा’ कहलाता है। |
| घोड़ा | लीला घोड़ा/नीला घोड़ा/लीलो |
| मुख्य मंदिर | 𑇐 रुणिचा, पोकरण, जैसलमेर जिला (राजस्थान) ➥ इस मंदिर को रामदेवरा भी कहते हैं। ➥ इनके मंदिरों को ‘देवरा’ कहते हैं। ➥ इनके मंदिर का पुजारी मेघवाल जाति का होता है, जिसे रिखिया कहते हैं। अर्थात् इनके मेघवाल जाति के भक्त ‘रिखिया’ कहलाते हैं। ➥ इनके मंदिर में किये जाने वाले रात्री जागरण को ‘जम्मा’ (जमो) कहते हैं। ➥ इनके मंदिर में आने वाले पदयात्रियों को ‘जातरू’ कहते हैं। ➥ यह राजस्थान के एकमात्र ऐसे लोक देवता हैं जिन्होंने मूर्ति पूजा का विरोध किया था इसीलिए इनके मंदिर में ‘पगल्ये’ की पूजा की जाती है। |
| अन्य मंदिर | 1. खुंडियास (नागौर तथा अजमेर जिलों की सीमा पर), नागौर जिला (राजस्थान) ➥ इस मंदिर को राजस्थान का छोटा रामदेवरा कहते हैं। 2. जूनागढ़ (गुजरात) ➥ इस मंदिर को भारत का छोटा रामदेवरा कहते हैं। 3. पोकरण, जैसलमेर जिला (राजस्थान) 4. मसूरिया पहाड़ी, जोधपुर जिला (राजस्थान) 5. हलदिना, अलवर जिला (राजस्थान) 6. बिरांटिया खुर्द, पाली जिला (राजस्थान) |
| मेला | 𑇐 भाद्रपद शुक्ल द्वितीया से भाद्रपद शुक्ल एकादशी तक ➥ यह मेला इनके मुख्य मंदिर में आयोजित किया जाता है। ➥ यह मेला राजस्थान में साम्प्रदायिक सद्भाव का सबसे बड़ा मेला है। ➥ राजस्थान में साम्प्रदायिक सद्भाव का दूसरा सबसे बड़ा मेला ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती का है। ➥ तेरहताली नृत्य इस मेले का प्रमुख आकर्षण नृत्य है, जो कि कामड़ जाति/कामड़िया सम्प्रदाय की महिलाओं द्वारा किया जाता है। |
| व्यक्तित्व की विशेषताएं | 1. कवि 2. प्रजारक्षक 3. कष्ट निवारक देवता (इन्होंने कुष्ठ रोग का निवारण किया) 4. अछूतोद्धारक 5. सांप्रदायिक सौहर्द्ध (सद्भाव) के प्रेरक |
| आध्यात्मिक उपदेश | 1. मूर्तिपूजा एवं तीर्थयात्रा का विरोध किया। 2. हर प्राणी में ईश्वर का वास होता है। 3. नाम स्मरण, कर्मवाद, सत्संग एवं गुरु की महत्ता पर बल दिया। 4. मनुष्य को अपने भ्रम तथा अहम का त्याग करना चाहिए। |
| विशेषताएं | 𑇐 इन्होंने भैरव नामक साहूकार को पोकरण (जैसलमेर) से निकाल दिया था। 𑇐 इन्होंने रुणिचा शहर (पोकरण, जैसलमेर) की स्थापना की। 𑇐 इन्होंने साम्प्रदायिक सद्भाव को बढ़ावा देने के लिए कामड़िया पंथ (कामड़िया सम्प्रदाय) की स्थापना की। 𑇐 इन्होंने शुद्धि आन्दोलन भी चलाया। 𑇐 इन्होंने रुणिचा में राम सरोवर का निर्माण करवाया, जिसका पुनर्निर्माण (जीर्णोद्धार) बीकानेर के शासक गंगा सिंह ने करवाया था। 𑇐 इन्होंने अपने चमत्कार से रुणिचा (रामदेवरा) में राम सरोवर के किनारे ‘परचा बावड़ी’ का निर्माण किया। 𑇐 इन्होंने पंच पिपली नामक स्थान पर मक्का के पाँच पीरों को चमत्कार दिखाया था, जिसे परचा कहते हैं। 𑇐 लोक देवताओं के चमत्कार को ‘परचा’ कहते हैं। |
2. गोगाजी
| पूरा नाम | गोगाजी चौहान |
| अन्य नाम | 𑇐 गायों का देवता 𑇐 सापों का देवता (सर्प रक्षक देवता) |
| जन्म स्थान | ददरेवा, चुरू जिला (राजस्थान) |
| धर्म | हिन्दू |
| जाति | राजपूत |
| गौत्र | चौहान |
| पिता | जेवर सिंह |
| माता | बाछल दे |
| पत्नी | केलम दे/मेनलदे |
| गुरु | गोरखनाथ जी |
| उपाधि | 𑇐 महमूद गजनवी ने इनको ‘जाहिर/जाहर पीर’ (साक्षात देवता) की उपाधि दी। 𑇐 मुस्लिम धर्म के लोग इनको जाहर पीर के रूप में पूजते हैं। |
| ध्वज | श्वेत |
| घोड़ी | नीली धोड़ी |
| प्रमुख वाद्य यंत्र | डेरू |
| मंदिर | 𑇐 इनके मंदिर खेजड़ी वृक्ष के नीचे बनाये जाते हैं। (गाँव-गाँव खेजड़ी, गाँव-गाँव गोगा) 𑇐 इनके मंदिरों को मेडी कहते हैं। |
| अन्य मंदिर | 1. ददरेवा, चुरू जिला (राजस्थान) ➥ इस मंदिर को शीर्षमेडी कहते हैं, क्योंकि यहाँ इनका सिर कटकर गिरा था। 2. गोगामेड़ी, हनुमानगढ़ जिला (राजस्थान) ➥ इस मंदिर को धूरमेडी कहते हैं, क्योंकि यहाँ इनका धड़ कटकर गिरा था। ➥ इस मंदिर का निर्माण फिरोज शाह तुगलक ने करवाया था। ➥ यह मंदिर मकबरेनुमा (मकबरा शैली) बना हुआ है। ➥ इस मंदिर में ‘अल्लाह बिस्मिल्लाह’ शब्द लिखा हुआ है। ➥ इस मंदिर का वर्तमान स्वरूप गंगासिंह ने तैयार करवाया था। 3. खिलेरियों की ढाणी, सांचौर, जालौर जिला (राजस्थान) ➥ यहाँ इनकी ओल्डी बनी हुई है, जिसका निर्माण राजाराम कुम्हार ने करवाया था। |
| मेला | 𑇐 भाद्रपद कृष्ण नवमी ➥ यह मेला गोगामेड़ी (हनुमानगढ़) स्थित मंदिर में आयोजित किया जाता है। 𑇐 इनके मेले से किसान गोगाराखी लेकर जाते हैं, जिसे किसान अपने हल व हाली के बांधते है। |
| विशेषताएं | 𑇐 यह ददरेवा (चुरू) के राजा थे। 𑇐 इनके मौसेरे भाईयों अरजन-सरजन ने इनके खिलाफ युद्ध करने के लिए महमूद गजनवी को बुलाया था। 𑇐 इन्होंने गायों की रक्षा हेतु महमूद गजनवी के साथ युद्ध किया। 𑇐 यह गायों की रक्षा हेतु अरजन व सरजन के खिलाफ युद्ध करते हुये वीरगति का प्राप्त हुए। 𑇐 बीठू मेहाजी (कवि मेह) ने इनके ऊपर ‘गोगाजी रा रसावला’ नामक पुस्तक लिखी। |
3. पाबूजी
| पूरा नाम | पाबूजी राठौड़ |
| अन्य नाम | 𑇐 ऊँट रक्षक देवता 𑇐 प्लेग रक्षक देवता |
| जन्म स्थान | 𑇐 कोलुमण्ड/कोळू गाँव, फलौदी जिला (राजस्थान) 𑇐 आशिया मोडजी के अनुसार इनका जन्म जूना गाँव (बाडमेर) में हुआ था।) |
| धर्म | हिन्दू |
| जाति | राजपुत |
| गौत्र | राठौड़ |
| पिता | 𑇐 धाँधल जी ➥ इनके बड़े भाई राव धूहड़ (मारवाड़) थे। ➥ इनके पिता राव आसथान थे। ➥ इनके दादा राव सीहा (जोधपुर के राठौड़ों के मूल पुरुष) थे। |
| माता | 𑇐 कमलादे ➥ लोकमान्यता है कि पाबूजी का जन्म एक अप्सरा की कोख से हुआ था। अप्सरा के स्वर्गलोक गमन करने के बाद रानी कमलादे ने पाबूजी का पुत्रवत् लालन-पालन किया था। |
| पत्नी | 𑇐 फूलमदे/ सुप्यार दे/ सुपियारदे ➥ यह अमरकोट के राजा सूरजमल सोढा की राजकुमारी (बेटी) थी। |
| बड़ा भाई | बूढोजी |
| भतीजा | झरड़ा जी/रूपनाथ (लोक देवता) |
| बहनोई | 𑇐 जिंदराज खींची ➥ यह जायल (नागौर) का राजा था। |
| अवतार | इनको लक्ष्मण का अवतार माना जाता है। |
| लोक गीत | 𑇐 इनके गीतों को ‘पाबूजी के पावड़े’ कहते हैं। 𑇐 पाबूजी के पावेड़ (वीर गाथा/लोक गाथा/भजन) ‘माट/माठ’ वाद्य यंत्र के साथ गाये जाते हैं। |
| फड़ | 𑇐 इनकी फड राजस्थान में सबसे लोकप्रिय फड है। 𑇐 भील जाति के भोपे (पूजारी) रावणहत्था वाद्य यंत्र के साथ इनकी फड़ गाते हैं। 𑇐 ऊँट के बीमार होने पर इनकी फड़ बांची जाती है और ऊँट के सही हो जाने पर नायक जाति के भोपों द्वारा इनकी फड़ रावण हत्था वाद्ययंत्र से बांधी जाती है। |
| घोड़ी | केसर कालमी (देवल नामक चारण महिला की घोड़ी) |
| सहयोगी | 1. चांदा 2. डामा ➥ चाँदा व डामा दोने भील भाई थे। 3. हरमल 4. सांवत |
| मेला | 𑇐 चैत्र अमावस्या ➥ यह मेला कोलुमण्ड (फलौदी) में आयोजित किया जाता है। |
| इनसे संबंधित पुस्तकें | 1. पाबू प्रकाश (लेखक- आशिया मोडजी) ➥ इसी ग्रंथ में पाबूजी की जीवनी लिखी गई है। 2. पाबूजी रा दूहा (लेखक- लघराज) 3. पाबूजी रा छन्द (लेखक- बीठू मेहाजी) 4. पाबूजी रा रुपक (लेखक- मोतीसर बगतावर) 5. पाबूजी रा सोरठा (लेखक- रामनाथ) 6. पाबू जी रा गीत (लेखक- बांकीदास) |
| व्यक्तित्व की विशेषताएं | 1. गौरक्षक देवता 2. वीरता 3. ऊँट रक्षक देवता 4. त्यागशील 5. प्लेग रक्षक देवता 6. वचनबद्धता 7. अछूतोद्धारक 8. शरणागत रक्षक 9. हाड़-फाड का देवता 10. बायीं ओर झुकी हुई पोग पाबूजी की विशेषता है। |
| विशेषताएं | 𑇐 मारवाड़ में पहली बार ऊँट लाने का श्रेय इनको दिया जाता है। 𑇐 इनको ऊँट पालने वाली जातियां (राईका/रैबारी/दैवासी) अपना मुख्य देवता (आराध्य देव) मानती हैं। 𑇐 यह थोरी एवं भील जाति के भी आराध्य देव हैं। 𑇐 इन्होंने गुजरात की थोरी जाति के सात भाइयों को शरण दी (रक्षा की) थी। 𑇐 थोरी जाति के लोगों द्वारा इनका यशोगान सांरगी वाद्य यंत्र के साथ किया जाता है, जिसे ‘पाबूजी री वचनिका’ कहते हैं। 𑇐 यह अपने विवाह के दौरान तीन फेरों के बाद ही देवल नामक चारण महिला (देवल चारणी) की गायों की रक्षा के लिए वापस आ गये थे। 𑇐 यह देचू गाँव (जोधपुर) में गायों की रक्षा हेतु अपने बहनोई जींदराव खींची के खिलाफ युद्ध लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हुए। |
4. मेहाजी मांगलिया
| अन्य नाम | गौरक्षक देवता |
| पिता | कीतु करणोत/गोपालराज |
| माता | मायड़ दे |
| घोड़ा | किरड काबरा |
| मुख्य मंदिर | बापीणी/बापणी, फलौदी जिला (राजस्थान) |
| मेला | 𑇐 कृष्ण जन्माष्टमी ➥ यह मेला इनके मुख्य मंदिर में आयोजित किया जाता है। |
| विशेषताएं | 𑇐 यह मारवाड़ के राजा राव चूंडा तथा मंडोर के राणा रुपड़ा प्रतिहार के समकालीन थे। 𑇐 इनके पूजारीयों (भोपे) के वंश में वृद्धि नहीं होती है। 𑇐 इनके पूजारी (भोपे) सन्तान को गोद लेकर वंश को आगे बढ़ाते हैं। 𑇐 यह पाना/हेकू नामक गुर्जर महिला की गायों की रक्षा हेतु जैसलमेर के राणगदेव भाटी के खिलाफ युद्ध लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हुए। |
5. हडबू जी सांखला
| जन्म स्थान | भूंडेल/भूंडोल गाँव, नागौर जिला (राजस्थान) |
| धर्म | हिन्दू |
| जाति | राजपूत |
| गोत्र | सांखला |
| पिता | मेहराज जी सांखला (मेहाजी) |
| माता | सोभागदे |
| मौसेरा भाई | रामदेवजी (लोक देवता) |
| गुरु | बालीनाथ जी |
| सवारी (वाहन) | सियार |
| मुख्य मंदिर | 𑇐 बेंगटी गाँव, फलोदी जिला (राजस्थान) ➥ इस मंदिर का निर्माण जोधपुर के महाराजा अजीतसिंह ने करवाया था। ➥ इस मंदिर में इनकी बैलगाड़ी की पूजा की जाती है, क्योंकि यह अपनी बैलगाड़ी में पंगु गायों के लिए चारा भरकर लाते थे। |
| विशेषताएं | 𑇐 यह अपने पिता की मृत्यु के बाद हरभमजाल (जोधपुर) में जाकर रहने लगे थे। 𑇐 यह शकुनशास्त्र/शगुन शास्त्र के ज्ञाता (भविष्य वक्ता) थे। 𑇐 इन्होंने राव जोधा को अपनी कटार भेंट की तथा मंडोर जीतने का आशीर्वाद दिया। 𑇐 इनके आशीर्वाद से राव जोधा राजा बना। 𑇐 मंडोर जीतने के बाद राव जोधा ने इनको बेंगटी गाँव (फलौदी) दिया था। 𑇐 यह बेंगटी गाँव (फलौदी) में बूढी तथा विकलांग गायों की सेवा करते थे। 𑇐 यह राव जोधा के समकालीन थे। |
अन्य लोक देवता
| क्र. सं. | लोक देवता | जन्म स्थान | मुख्य मंदिर | मेला |
|---|---|---|---|---|
| 1 | तेजाजी | खरनाल गाँव (नागौर) | परबतसर (डीडवाना-कुचामन) | भाद्रपद शुक्ल दशमी |
| 2 | देवनारायण जी | मालासेरी, आसीन्द (भीलवाड़ा) | 𑇐 भाद्रपद शुक्ल षष्ठी एवं सप्तमी 𑇐 माघ शुक्ल सप्तमी | |
| 3 | मल्लीनाथ जी | तिलवाड़ा गाँव, पचपदरा तहसील (बालोतरा) | चैत्र कृष्णा एकादशी से चैत्र शुक्ल एकादशी तक | |
| 4 | तल्लीनाथ जी | पांचोटा/ पांचौट पहाड़ी (जालौर) | ||
| 5 | बिग्गा जी/ वीर बग्गाजी | रीड़ी (बीकानेर) | ||
| 6 | हरिराम जी | झोरडा गाँव (नागौर) | भाद्रपद शुक्ल पंचमी (ऋषी पंचमी) | |
| 7 | केसरिया कुंवर जी | |||
| 8 | झरड़ा जी | |||
| 9 | जुंझार जी | स्यालोदडा गाँव, नीम का थाना (सीकर) | रामनवमी | |
| 10 | मामादेव | |||
| 11 | आलम जी | धोरीमन्ना (बाड़मेर) | भाद्रपद शुक्ल द्वितीया (बाबे री बीज) | |
| 12 | खेतला जी | सोनाणा (पाली) | चैत्र शुक्ल एकम् | |
| 13 | डूंगजी-जवाहर जी | |||
| 14 | वीर फत्ता जी | सांथू (जालौर) | भाद्रपद शुक्ल नवमी | |
| 15 | देव बाबा | नंगला जहाज (भरतपुर) | 𑇐 भाद्रपद शुक्ल पंचमी (ऋषि पंचमी) 𑇐 चैत्र शुक्ल पचंमी | |
| 16 | कल्ला जी राठौड़ | साभियाना गाँव, मेड़ता सिटी (नागौर) | ||
| 17 | खेतरपाल जी/ क्षेत्रपला जी | |||
| 18 | भूरिया बाबा | |||
| 19 | भोमिया बाबा | |||
| 20 | हरिमन बाबा | छोकरवाड़ा (भरतपुर) | ||
| 21 | ओम बन्ना जी | पाली | ||
| 22 | दशरथ मेघवाल जी | देशनोक (बीकानेर) | ||
| 23 | फत्ता जी | सांथु गाँव (जालौर) | सांथु गाँव (जालौर) | |
| 24 | पनराज जी | नया गाँव, पनराजसर (जैसलमेर) | नया गाँव, पनराजसर (जैसलमेर) | |
| 25 | पत्तर जी | |||
| 26 | ईलोजी | मारवाड़ |
1. तेजाजी
| अन्य नाम | 𑇐 गायों का देवता 𑇐 सापों का देवता (सर्प रक्षक देवता) 𑇐 कृषि का उपकारक देवता (काला-बाला का देवता) ➥ कालाबाला एक बीमारी का नाम है। 𑇐 नाडू रोग का देवता |
| जन्म स्थान | 𑇐 खरनाल गाँव, नागौर जिला (राजस्थान) 𑇐 इनका जन्म एक जाट परिवार में हुआ था। |
| कर्मस्थली | बांसी दुगारी, बूंदी |
| धर्म | हिन्दू |
| जाति | जाट |
| गौत्र | धौलिया या धोल्या |
| पिता | ताहड़ जी |
| माता | रामकुँवरी |
| पत्नी | 𑇐 पेमलदे ➥ यह पनेर (अजमेर) की रहने वाली थी। |
| बहन | 𑇐 राजल बाई ➥ यह एक लोक देवी हैं। ➥ इन्हें बुंगरी माता भी कहते हैं। ➥ इनका मंदिर खरनाल, नागौर जिला (राजस्थान) |
| घोड़ी | 𑇐 लीलण/सिणगारी ➥ इस घोड़ी के नाम पर राजस्थान में जयपुर तथा अजमेर के बीच ‘लीलण एक्सप्रेस’ नामक रेलगाड़ी चलती है। |
| मुख्य मंदिर | 𑇐 परबतसर, डीडवाना-कुचामन जिला (राजस्थान) ➥ इस मंदिर का निर्माण जोधपुर के महाराजा अभयसिंह के शासन काल में हुआ था। |
| अन्य मंदिर | 1. सैंदरिया, ब्यावर जिला (राजस्थान) ➥ इस गाँव में इनको साँप ने काट लिया था। 2. सुरसुरा गाँव, अजमेर जिला (राजस्थान) ➥ इस गाँव में साँप के काटने से इनकी मृत्यु हो गयी थी। 3. भांवता, अजमेर जिला (राजस्थान) 4. पनेर, अजमेर जिला (राजस्थान) 5. खरनाल, नागौर जिला (राजस्थान) 6. बासी दुगारी, बूंदी जिला (राजस्थान) |
| मेला | 𑇐 भाद्रपद शुक्ल दशमी ➥ यह मेला इनके मुख्य मंदिर में आयोजित किया जाता है। |
| इनसे संबंधित पुस्तकें | 1. जुंझार तेजा (लेखक- लज्जाराम मेहता) 2. तेजाजी रा ब्यावला (लेखक- वंशीधर शर्मा) |
| विशेषताएं | 𑇐 जब यह अपनी पत्नी को लाने पनेर (अजमेर) जा रहे थे, तब सुरसुरा गाँव (अजमेर) में लाछा नामक गुर्जर महिला की गायों को मेर जाति के आक्रमणकारियों से बचाते हुए घायल हो गए थे। 𑇐 इनकी मृत्यु का समाचार इनकी घोड़ी लीलण ने दिया था। 𑇐 इनकी मृत्यु पर इनके साथ इनकी पत्नी सत्ती हुई थी। 𑇐 इनके पूजारी (भोपा) को ‘घोड़ला’ कहते हैं। 𑇐 इन्हें सर्प रक्षक देवता के रूप में पूजा जाता हैं। 𑇐 2010-11 में राजस्थान सरकार ने इन पर डाक टिकट जारी किया था। 𑇐 खेत में हल चलाते समय किसान इनके गीत गाते हैं, जिन्हें तेजा टेर/तेजा गीत कहते हैं। |
2. देवनारायण जी
| बचपन का नाम | उदयसिंह |
| अन्य नाम | 𑇐 औषधि का देवता 𑇐 राज्य क्रांति का जनक |
| जन्म स्थान | 𑇐 मालासेरी, आसीन्द, भीलवाड़ा जिला (राजस्थान) 𑇐 इनका जन्म बगडावत (गुर्जर) परिवार में हुआ था। |
| धर्म | हिन्दू |
| जाति | गुर्जर |
| गौत्र | बगड़ावत |
| पिता | 𑇐 सवाई भोज ➥ यह भिनाय के राजा के खिलाफ लड़ते हुए मारे गए थे। |
| माता | सेढू/सेद खटानी |
| पत्नी | 𑇐 पीपलदे ➥ यह धार के राजा जयसिंह परमार की राजकुमारी (पुत्री) थी। |
| अवतार | भगवान विष्णु |
| फड़ | 𑇐 इनकी फड राजस्थान में सबसे लम्बी फड है। 𑇐 गुर्जर भोपों द्वारा इनकी फड ‘जन्तर’ वाद्य यंत्र के साथ गायी या बाँची जाती है। 𑇐 इनकी फड़ पर सन् 1992 में 5 रुपये का डाक टिकट जारी किया गया था। |
| घोड़ा | लीलागर |
| मंदिर | 1. मालासेरी, आसीन्द, भीलवाड़ा जिला (राजस्थान) 2. देवमाली, ब्यावर जिला (राजस्थान) 3. देवधाम, जोधपुरिया, टोंक जिला (राजस्थान) 4. देवडूंगरी, चित्तौड़गढ़ जिला (राजस्थान) ➥ इस मंदिर का निर्माण राणा सांगा ने करवाया था। |
| मेला | 𑇐 भाद्रपद शुक्ल षष्ठी एवं सप्तमी 𑇐 माघ शुक्ल सप्तमी |
| इनसे संबंधित पुस्तकें | बगडावत (लेखक- लक्ष्मी कुमारी चूंडावत) |
| विशेषताएं | 𑇐 इनका बचपन देवास (मध्य प्रदेश) में बीता था। 𑇐 इनके मंदिर में मूर्ति की जगह ईंट की पूजा की जाती है। 𑇐 इनके मंदिर में छाछ-राबड़ी चढ़ाई जाती है, इसीलिए भाद्रपद शुक्ल छठ को गुर्जर जाति के लोग दूध का व्यापार नहीं करते हैं। 𑇐 इनके मंदिर में नीम के वृक्ष के पत्ते भी चढ़ाये जाते हैं, इसीलिए गुर्जर जाति के लोग नीम के पेड़ की लकड़ियों को नहीं जलाते हैं। 𑇐 यह गुर्जर जाति के आराध्य देव हैं। 𑇐 गुर्जर जाति के लोग इनकी झुठी कसम नहीं खाते हैं। 𑇐 2010-11 में राजस्थान सरकार ने इन पर डाक टिकट जारी किया था। 𑇐 इन्होंने युद्ध में भिनाय (अजमेर) के राजा को मारकर गायों की रक्षा की तथा अपने पिता की हत्या का बदलता लिया। |
विशेष
| क्र. सं. | क्षेत्र | जिला | राज्य |
|---|---|---|---|
| 1 | जोधपुर | जोधपुर | राजस्थान |
| 2 | जोधपुरा | जयपुर | राजस्थान |
| 3 | जोधपुरिया | टोंक | राजस्थान |
3. मल्लीनाथ जी
| पत्नी | 𑇐 रानी रूपादे ➥ यह एक लोक देवी हैं। ➥ इन्हें बरसात की देवी कहते हैं। ➥ इनका मंदिर नाकोड़ा गाँव, सिणधरी तहसील, बालोतरा जिला (राजस्थान) में स्थित है। |
| गुरु | उगम सिंह भाटी/ उगमासी भाटी |
| मुख्य मंदिर | लूनी नदी, तिलवाड़ा गाँव, पचपदरा तहसील, बालोतरा जिला (राजस्थान) |
| मेला | 𑇐 चैत्र कृष्णा एकादशी से चैत्र शुक्ल एकादशी तक (15 दिन) (होली के अगले दिन से शुरू होता है) ➥ यह मेला इनके मुख्य मंदिर में आयोजित किया जाता है। ➥ यह एक पशु मेला है, जिसमें मुख्यतः मालाणी नस्ल के पशुओं का क्रय-विक्रय किया जाता है। ➥ यह राजस्थान का सबसे प्राचीन पशु मेला है। ➥ इस मेले की शुरुआत मोटाराजा उदयसिंह के शासन काल में हुई थी। |
| विशेषताएं | 𑇐 यह मारवाड़ के राठौड़ राजा थे। 𑇐 इनकी राजधानी मेवानगर थी। 𑇐 इन्होंने मालवा (मध्य प्रदेश) के गवर्नर निजामुद्दीन की 13 सैनिक टुकड़ियों को पराजित किया था। 𑇐 निजामुद्दीन दिल्ली के सुल्तान फिरोज शाह तुगलक का गवर्नर था। 𑇐 यह चमत्कारी एवं भविष्यदृष्टा (भविष्य वक्ता) व्यक्ति थे। 𑇐 इन्होंने 1399 ई. में मारवाड़ में हरि कीर्तन का आयोजन करवाया। 𑇐 यह अपनी रानी रूपादे के प्रभाव में सन्त बन गए थे। 𑇐 इन्होंने कुंडा पंथ की स्थापना की थी। 𑇐 इन्होंने अपनी पत्नी के साथ मिलकर समाज में छुआछूत एवं भेदभाव को मिटाने का प्रयास किया था। 𑇐 इन्हीं के नाम पर बाड़मेर क्षेत्र का नाम मालानी/मालाणी पड़ा था। |
4. तल्लीनाथ जी
| वास्तविक नाम | गोगादेव/गोगदेव राठौड़ |
| अन्य नाम | 𑇐 ओरण का देवता ➥ मंदिर के आस-पास छोड़ी गई वह जमीन जहाँ से पेड़ पौधे काटना प्रतिबंधित हो, उसे ओरण कहते हैं। |
| तपोभूमि | सिरे मंदिर, जालौर जिला (राजस्थान) |
| पिता | वीरमदेव |
| बड़ा भाई | राव चूंडा (मारवाड़) |
| गुरु | जलंधर/जालन्धर नाथ |
| मुख्य मंदिर | पांचोटा/ पांचौट पहाड़ी, जालौर जिला (राजस्थान) |
| इनसे संबंधित पुस्तकें | वीरमायण (लेखक- बादर ढ़ाढ़ी) |
| विशेषताएं | 𑇐 यह शेरगढ़ (जोधपुर) के सामंत (ठिकानेदार) थे। 𑇐 इन्होंने जोईयो से अपने पिता की हत्या का बदला लिया था। 𑇐 किसी व्यक्ति को विषेला कीड़ा काटने पर इनके मंदिर (थान) पर लेकर जाते हैं। 𑇐 यह प्रकृति प्रेमी देवता थे, इसलिए आज भी इनके यहाँ हरे पेड़ नहीं काटे जाते हैं। |
5. बिग्गा जी/वीर बग्गाजी
| पिता | महन जी |
| माता | सुल्तानी |
| मुख्य मंदिर | रीड़ी, बीकानेर जिला (राजस्थान) |
| विशेषताएं | 𑇐 यह गायों की रक्षा करते हुए वीरगति को प्राप्त हुए थे। 𑇐 यह जाखड़ समाज के कुल देवता हैं। |
6. हरिराम जी
| अन्य नाम | सर्प रक्षक देवता |
| मुख्य मंदिर | 𑇐 झोरडा गाँव, नागौर जिला (राजस्थान) ➥ इनके मंदिर में सांप की बांबी (बिल) की पूजा की जाती है। |
| मेला | 𑇐 भाद्रपद शुक्ल पंचमी (ऋषी पंचमी) ➥ यह मेला इनके मुख्य मंदिर में आयोजित किया जाता है। |
| विशेषताएं | इन्हें सर्प रक्षक देवता के रूप में पूजा जाता है। |
7. केसरिया कुंवर जी
| अन्य नाम | सांपों का देवता (सर्प रक्षक देवता) |
| पिता | गोगाजी (लोक देवता) |
| ध्वजा | सफेद |
| घोड़ी | नीली घोड़ी |
| विशेषताएं | 𑇐 इनका थान खेजड़ी वृक्ष के नीचे होता है। 𑇐 इन्हें सर्परक्षक देवता के रूप में पूजा जाता है। |
8. झरड़ा जी
| अन्य नाम | 𑇐 रूपनाथ 𑇐 बालकनाथ (हिमाचल प्रदेश में कहते हैं।) |
| पिता | 𑇐 बूढोजी ➥ यह पाबूजी के बड़े भाई थे। |
| चाचा | पाबूजी (लोक देवता) |
| मंदिर | 1. कोलूमंड, फलौदी जिला (राजस्थान) 2. सिंभूदडा, बीकानेर जिला (राजस्थान) |
| विशेषताएं | 𑇐 इन्होंने जायल (नागौर) के राजा जींदराव खींची को मारकर अपने पिता व चाचा की हत्या का बदला लिया। 𑇐 हिमाचल प्रदेश में इन्हें बालकनाथ के रूप में पूजा जाता है। |
9. जुंझार जी
| जन्म स्थान | इमलोहा, नीम का थाना, सीकर जिला (राजस्थान) |
| मुख्य मंदिर | 𑇐 स्यालोदडा गाँव, नीम का थाना, सीकर जिला (राजस्थान) ➥ इस मंदिर में दुल्हा-दुल्हन के रूप (वेश) में इनकी तथा इनकी पत्नी की तथा इनके तीन भाईयों की मूर्तियां हैं। |
| मेला | 𑇐 रामनवमी ➥ यह मेला इनके मुख्य मंदिर में आयोजित किया जाता है। |
| विशेषताएं | यह स्यालोदड़ा गाँव में गायों की रक्षा करते हुए वीरगति को प्राप्त हुए थे। |
10. मामादेव
| अन्य नाम | बरसात/वर्षा के देवता |
| मंदिर | 𑇐 इनका कोई मंदिर नहीं होता है, बल्कि गाँव के बाहर थान में इनके तोरण की पूजा की जाती है। 𑇐 इनका तोरण लकड़ी का बना होता है। 𑇐 इनका थान दक्षिण राजस्थान में मिलता है। |
| विशेषताएं | इनको खुश करने के लिए भैंसे की बलि दी जाती है। |
11. आलम जी
| अन्य नाम | 𑇐 अश्व रक्षक देवता 𑇐 गोरक्षक देवता |
| मुख्य मंदिर | धोरीमन्ना (आलम जी का धौर), बाड़मेर जिला (राजस्थान) |
| मेला | 𑇐 भाद्रपद शुक्ल द्वितीया (बाबे री बीज) ➥ यह मेला इनके मुख्य मंदिर में आयोजित किया जाता है। |
| विशेषताएं | यह राठौड़ वंश की जैतमालोत शाखा से संबंधित थे। |
12. खेतला जी
| मुख्य मंदिर | 𑇐 सोनाणा, पाली जिला (राजस्थान) ➥ इस मंदिर में हकलाने वाले बच्चों का इलाज किया जाता है। |
| मेला | 𑇐 चैत्र शुक्ल एकम् ➥ यह मेला इनके मुख्य मंदिर में आयोजित किया जाता है। |
13. डूंगजी-जवाहर जी
| प्रमुख सहयोगी | 1. लोहट जी जाट/लोठूजी निठारवाल 2. करणा जी मीणा 3. बालू जी नाई 4. सांखू जी लोहार |
| विशेषताएं | 𑇐 डूंगजी-जवाहर जी चाचा-भतीजा थे। 𑇐 डूंगजी बाठोठ गाँव (सीकर) के समांत थे। 𑇐 जवाहर जी पाटोदा गाँव (सीकर) के समांत थे। 𑇐 कालांतर में यह दोनों डाकू बन गए थे। 𑇐 यह दोनों अमीरों को लूट कर उनका धन गरीबों में बाँट दिया करते थे। 𑇐 इन्होंने अंग्रेजों की आगरा जेल तथा नसीराबाद छावनी (अजमेर) को लूट लिया था। 𑇐 इन्होंने जोधपुर एवं बीकानेर की सेना से युद्ध किया। 𑇐 जोधपुर के महाराजा तख्त सिंह ने डूंगजी को गिरफ्तार कर जोधपुर के मेहरानगढ़ किले में रखा। 𑇐 बीकानेर के महाराजा रतन सिंह ने जवाहर जी को गिरफ्तार कर बीकानेर के जूनागढ़ किले में रखा। 𑇐 यह दोनों 1857 की क्रांति के समय थे। |
14. वीर फत्ता जी
| मुख्य मंदिर | सांथू, जालौर जिला (राजस्थान) |
| मेला | 𑇐 भाद्रपद शुक्ल नवमी ➥ यह मेला इनके मुख्य मंदिर में आयोजित किया जाता है। |
| विशेषताएं | यह गायों की रक्षा के लिए लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हुए थे। |
15. देव बाबा
| मुख्य मंदिर | नंगला जहाज, भरतपुर जिला (राजस्थान) |
| सवारी (वाहन) | भैंसा/पाडा |
| मेला | 𑇐 वर्ष में दो बार इनका मेला लगता है। 1. भाद्रपद शुक्ल पंचमी (ऋषि पंचमी) 2. चैत्र शुक्ल पचंमी ➥ यह मेले इनके मुख्य मंदिर में आयोजित किए जाते हैं। |
| विशेषताएं | 𑇐 यह पशु चिकित्सक थे। 𑇐 इनको खुश करने के लिए सात ग्वालों को भोजन करवाना पड़ता है। |
16. कल्ला जी राठौड़
| अन्य नाम | 1. चार हाथों वाला लोकदेवता 2. दो सिर वाला लोकदेवता 3. मेवाड़ मणी भुषण |
| जन्म स्थान | साभियाना गाँव, मेड़ता सिटी, नागौर जिला (राजस्थान) |
| धर्म | हिन्दू |
| जाति | राजपूत |
| गोत्र | राठौड़ |
| पिता | अचलसिंह |
| माता | श्वेत कँवर |
| पत्नी | कृष्णा कँवर |
| अवतार | शेषनाग का |
| छत्तरी | भैरवपोल, चित्तौड़गढ़ जिला (राजस्थान) |
| मंदिर | 1. सामलिया, डूंगरपुर जिला (राजस्थान) 2. नरेला, चित्तौड़गढ़ जिला (राजस्थान) |
| विशेषताएं | 𑇐 इनका संबंध मेवाड़ के तीसरे साके से है। 𑇐 इनके मंदिर में अफीम और केसर का प्रसाद चढ़ाया जाता है। |
17. खेतरपाल जी/क्षेत्रपाल जी
| अन्य नाम | सीमा सुरक्षा का देवता |
| विशेषताएं | शादी के अवसर पर काकन-डोरा इन्हीं के नाम के बाँधे जाते हैं। |
18. भूरिया बाबा
| मंदिर | 1. प्रतापगढ़ 2. पाली 3. सिरोही |
| विशेषताएं | 𑇐 यह मीणा जाति के आराध्य देव हैं। 𑇐 मीणा जाति के लोग इनकी झूठी कसम नहीं खाते हैं। 𑇐 इन्हें शौर्य का प्रतीक माना जाता है। |
19. भोमिया बाबा
| अन्य नाम | भूमि रक्षक देवता |
20. हरिमन बाबा
| मुख्य मंदिर | 𑇐 छोकरवाड़ा, भरतपुर जिला (राजस्थान) ➥ इस मंदिर में सर्पदंश का इलाज किया जाता है। |
21. ओम बन्ना जी
| अन्य नाम | 𑇐 बुलट वाले देवता 𑇐 यातायात रक्षा का देवता |
| मुख्य मंदिर | पाली जिला (राजस्थान) |
22. दशरथ मेघवाल जी
| गुरु | करणी माता (लोक देवी) |
| मुख्य मंदिर | देशनोक, बीकानेर |
23. फत्ता जी
| अन्य नाम | गौरक्षक देवता |
| जन्म स्थान | सांथु गाँव, जालौर जिला (राजस्थान) |
| मुख्य मंदिर | सांथु गाँव, जालौर जिला (राजस्थान) |
24. पनराज जी
| अन्य नाम | गौरक्षक देवता |
| जन्म स्थान | नया गाँव, पनराजसर, जैसलमेर जिला (राजस्थान) |
| मुख्य मंदिर | नया गाँव, पनराजसर, जैसलमेर जिला (राजस्थान) |
25. पित्तर जी
| विशेषताएं | पित्तर जी का प्रसाद अमावस्या को चढ़ता है। |
26. ईलोजी
| अन्य नाम | 𑇐 छेड़छाड़ का देवता 𑇐 नवदम्पत्ति का देवता |
| मुख्य मंदिर | मारवाड़ |
| विशेषताएं | धुलंडी के दिन जालौर तथा बाड़मेर में इनकी सवारी निकाली जाती है। |