राजस्थान के लोक देवता : पंच पीर (रामदेव जी, गोगाजी, पाबूजी, मेहाजी मांगलिया, हडबू जी सांखला)

क्र. सं.लोक देवता
(पंच पीर)
जन्म स्थानपितामातापत्नीमुख्य मंदिरमेला
1रामदेव जीउण्डू काश्मीर
(बाड़मेर)
अजमल/अजमाल जी तंवरमैणा देनेतल देरुणिचा, पोकरण
(जैसलमेर)
भाद्रपद शुक्ल द्वितीया से एकादशी तक
2गोगाजीददरेवा
(चुरू)
जेवर सिंहबाछल देकेलम दे/ मेनलदेभाद्रपद कृष्ण नवमी
3पाबूजीकोलुमण्ड/कोळू गाँव
(फलौदी)
धाँधल जीकमलादेफूलमदे/ सुप्यार दे/ सुपियारदेचैत्र अमावस्या
4मेहाजी मांगलियाकीतु करणोत/गोपालराजमायड़ देबापीणी/बापणी
(फलौदी)
कृष्ण जन्माष्टमी
5हडबू जी सांखलाभूंडेल/भूंडोल गाँव
(नागौर)
मेहराज जी सांखला
(मेहाजी)
सोभागदेबेंगटी गाँव
(फलोदी)
उपर्युक्त पाँचों लोक देवताओं को हिन्दू तथा मुस्लिम दोनों धर्म के लोग पूजते हैं, इसलिए इन्हें पंच पीर कहते हैं।

पूरा नामरामदेव जी तंवर
जन्म𑇐 1409 ई.
𑇐 भाद्रपद शुक्ल एकादशी (इसे बाबे री बीज भी कहते हैं।)
जन्म स्थानउण्डू काश्मीर, बाड़मेर जिला (राजस्थान)
धर्महिन्दू
वंशअर्जुन
जातिराजपूत
गौत्रतंवर
पिता𑇐 अजमल/अजमाल जी तंवर
➥ यह पोकरण (जैसलमेर) के सामन्त थे।
मातामैणा दे
पत्नी𑇐 नेतल दे
➥ यह अमरकोट (पाकिस्तान) के दलेल सिंह सोढ़ा की राजकुमारी (बेटी) थी।
भाईवीरमदेव (बलराम का अवतार)
बहन𑇐 सुगना बाई
➥ रामदेव जी ने इनका विवाह पूगल गढ़ के निवासी विजय सिंह के साथ किया तथा दहेज के रूप में पोकरण क्षेत्र विजय सिंह को दिया।
धर्म बहन𑇐 डाली बाई
➥ यह मेघवाल जाती की थी।
➥ इन्होंने रामदेव जी से एक दिन पहले भाद्रपद शुक्ल दशमी के दिन रुणीचा, जैसलमेर (रामदेवरा) में जीवित समाधि ली।
समाधिइन्होंने भाद्रपद शुक्ल एकादशी के दिन रुणीचा, जैसलमेर (रामदेवरा) में जीवित समाधि ली।
गुरु𑇐 बालीनाथ
➥ इनका मंदिर जोधपुर की मसूरिया पहाड़ी पर स्थित है।
शिष्याआई माता
अवतार𑇐 हिन्दू लोग इन्हें भगवान विष्णु (श्री कृष्ण) का अवतार मानते हैं।
𑇐 मुस्लिम लोग इन्हें रामसा पीर के रूप में पूजते हैं।
उपाधिपीरों का पीर
प्रमुख ग्रंथ𑇐 चौबीस वाणियाँ/ बाणियां
➥ इनके उपदेश इसी ग्रंथ में मिलते हैं।
➥ इस ग्रंथ को बाबारी पर्ची भी कहते हैं।
लोक गीत𑇐 इनके मंदिर में गाये जाने वाले गीतों को ‘ब्यावले’ कहते हैं।
𑇐 लोक देवता में सबसे लम्बा गीत इनका है।
𑇐 लोक देवियों में सबसे लम्बा गीत जीण माता का है।
झंडाइनके मंदिर में लगने वाला पंचरगी झंडा ‘नेजा’ कहलाता है।
घोड़ालीला घोड़ा/नीला घोड़ा/लीलो
मुख्य मंदिर𑇐 रुणिचा, पोकरण, जैसलमेर जिला (राजस्थान)
➥ इस मंदिर को रामदेवरा भी कहते हैं।
➥ इनके मंदिरों को ‘देवरा’ कहते हैं।
➥ इनके मंदिर का पुजारी मेघवाल जाति का होता है, जिसे रिखिया कहते हैं। अर्थात् इनके मेघवाल जाति के भक्त ‘रिखिया’ कहलाते हैं।
➥ इनके मंदिर में किये जाने वाले रात्री जागरण को ‘जम्मा’ (जमो) कहते हैं।
➥ इनके मंदिर में आने वाले पदयात्रियों को ‘जातरू’ कहते हैं।
➥ यह राजस्थान के एकमात्र ऐसे लोक देवता हैं जिन्होंने मूर्ति पूजा का विरोध किया था इसीलिए इनके मंदिर में ‘पगल्ये’ की पूजा की जाती है।
अन्य मंदिर1. खुंडियास (नागौर तथा अजमेर जिलों की सीमा पर), नागौर जिला (राजस्थान)
➥ इस मंदिर को राजस्थान का छोटा रामदेवरा कहते हैं।

2. जूनागढ़ (गुजरात)
➥ इस मंदिर को भारत का छोटा रामदेवरा कहते हैं।

3. पोकरण, जैसलमेर जिला (राजस्थान)
4. मसूरिया पहाड़ी, जोधपुर जिला (राजस्थान)
5. हलदिना, अलवर जिला (राजस्थान)
6. बिरांटिया खुर्द, पाली जिला (राजस्थान)
मेला𑇐 भाद्रपद शुक्ल द्वितीया से भाद्रपद शुक्ल एकादशी तक
➥ यह मेला इनके मुख्य मंदिर में आयोजित किया जाता है।
➥ यह मेला राजस्थान में साम्प्रदायिक सद्भाव का सबसे बड़ा मेला है।
➥ राजस्थान में साम्प्रदायिक सद्भाव का दूसरा सबसे बड़ा मेला ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती का है।
➥ तेरहताली नृत्य इस मेले का प्रमुख आकर्षण नृत्य है, जो कि कामड़ जाति/कामड़िया सम्प्रदाय की महिलाओं द्वारा किया जाता है।
व्यक्तित्व की विशेषताएं1. कवि
2. प्रजारक्षक
3. कष्ट निवारक देवता (इन्होंने कुष्ठ रोग का निवारण किया)
4. अछूतोद्धारक
5. सांप्रदायिक सौहर्द्ध (सद्भाव) के प्रेरक
आध्यात्मिक उपदेश1. मूर्तिपूजा एवं तीर्थयात्रा का विरोध किया।
2. हर प्राणी में ईश्वर का वास होता है।
3. नाम स्मरण, कर्मवाद, सत्संग एवं गुरु की महत्ता पर बल दिया।
4. मनुष्य को अपने भ्रम तथा अहम का त्याग करना चाहिए।
विशेषताएं𑇐 इन्होंने भैरव नामक साहूकार को पोकरण (जैसलमेर) से निकाल दिया था।
𑇐 इन्होंने रुणिचा शहर (पोकरण, जैसलमेर) की स्थापना की।
𑇐 इन्होंने साम्प्रदायिक सद्भाव को बढ़ावा देने के लिए कामड़िया पंथ (कामड़िया सम्प्रदाय) की स्थापना की।
𑇐 इन्होंने शुद्धि आन्दोलन भी चलाया।
𑇐 इन्होंने रुणिचा में राम सरोवर का निर्माण करवाया, जिसका पुनर्निर्माण (जीर्णोद्धार) बीकानेर के शासक गंगा सिंह ने करवाया था।
𑇐 इन्होंने अपने चमत्कार से रुणिचा (रामदेवरा) में राम सरोवर के किनारे ‘परचा बावड़ी’ का निर्माण किया।
𑇐 इन्होंने पंच पिपली नामक स्थान पर मक्का के पाँच पीरों को चमत्कार दिखाया था, जिसे परचा कहते हैं।
𑇐 लोक देवताओं के चमत्कार को ‘परचा’ कहते हैं।

पूरा नामगोगाजी चौहान
अन्य नाम𑇐 गायों का देवता
𑇐 सापों का देवता (सर्प रक्षक देवता)
जन्म स्थानददरेवा, चुरू जिला (राजस्थान)
धर्महिन्दू
जातिराजपूत
गौत्रचौहान
पिताजेवर सिंह
माताबाछल दे
पत्नीकेलम दे/मेनलदे
गुरुगोरखनाथ जी
उपाधि𑇐 महमूद गजनवी ने इनको ‘जाहिर/जाहर पीर’ (साक्षात देवता) की उपाधि दी।
𑇐 मुस्लिम धर्म के लोग इनको जाहर पीर के रूप में पूजते हैं।
ध्वजश्वेत
घोड़ीनीली धोड़ी
प्रमुख वाद्य यंत्रडेरू
मंदिर𑇐 इनके मंदिर खेजड़ी वृक्ष के नीचे बनाये जाते हैं। (गाँव-गाँव खेजड़ी, गाँव-गाँव गोगा)
𑇐 इनके मंदिरों को मेडी कहते हैं।
अन्य मंदिर1. ददरेवा, चुरू जिला (राजस्थान)
➥ इस मंदिर को शीर्षमेडी कहते हैं, क्योंकि यहाँ इनका सिर कटकर गिरा था।

2. गोगामेड़ी, हनुमानगढ़ जिला (राजस्थान)
➥ इस मंदिर को धूरमेडी कहते हैं, क्योंकि यहाँ इनका धड़ कटकर गिरा था।
➥ इस मंदिर का निर्माण फिरोज शाह तुगलक ने करवाया था।
➥ यह मंदिर मकबरेनुमा (मकबरा शैली) बना हुआ है।
➥ इस मंदिर में ‘अल्लाह बिस्मिल्लाह’ शब्द लिखा हुआ है।
➥ इस मंदिर का वर्तमान स्वरूप गंगासिंह ने तैयार करवाया था।

3. खिलेरियों की ढाणी, सांचौर, जालौर जिला (राजस्थान)
➥ यहाँ इनकी ओल्डी बनी हुई है, जिसका निर्माण राजाराम कुम्हार ने करवाया था।
मेला𑇐 भाद्रपद कृष्ण नवमी
➥ यह मेला गोगामेड़ी (हनुमानगढ़) स्थित मंदिर में आयोजित किया जाता है।
𑇐 इनके मेले से किसान गोगाराखी लेकर जाते हैं, जिसे किसान अपने हल व हाली के बांधते है।
विशेषताएं𑇐 यह ददरेवा (चुरू) के राजा थे।
𑇐 इनके मौसेरे भाईयों अरजन-सरजन ने इनके खिलाफ युद्ध करने के लिए महमूद गजनवी को बुलाया था।
𑇐 इन्होंने गायों की रक्षा हेतु महमूद गजनवी के साथ युद्ध किया।
𑇐 यह गायों की रक्षा हेतु अरजन व सरजन के खिलाफ युद्ध करते हुये वीरगति का प्राप्त हुए।
𑇐 बीठू मेहाजी (कवि मेह) ने इनके ऊपर ‘गोगाजी रा रसावला’ नामक पुस्तक लिखी।

पूरा नामपाबूजी राठौड़
अन्य नाम𑇐 ऊँट रक्षक देवता
𑇐 प्लेग रक्षक देवता
जन्म स्थान𑇐 कोलुमण्ड/कोळू गाँव, फलौदी जिला (राजस्थान)
𑇐 आशिया मोडजी के अनुसार इनका जन्म जूना गाँव (बाडमेर) में हुआ था।)
धर्महिन्दू
जातिराजपुत
गौत्रराठौड़
पिता𑇐 धाँधल जी
➥ इनके बड़े भाई राव धूहड़ (मारवाड़) थे।
➥ इनके पिता राव आसथान थे।
➥ इनके दादा राव सीहा (जोधपुर के राठौड़ों के मूल पुरुष) थे।
माता𑇐 कमलादे
➥ लोकमान्यता है कि पाबूजी का जन्म एक अप्सरा की कोख से हुआ था। अप्सरा के स्वर्गलोक गमन करने के बाद रानी कमलादे ने पाबूजी का पुत्रवत् लालन-पालन किया था।
पत्नी𑇐 फूलमदे/ सुप्यार दे/ सुपियारदे
➥ यह अमरकोट के राजा सूरजमल सोढा की राजकुमारी (बेटी) थी।
बड़ा भाईबूढोजी
भतीजाझरड़ा जी/रूपनाथ (लोक देवता)
बहनोई𑇐 जिंदराज खींची
➥ यह जायल (नागौर) का राजा था।
अवतारइनको लक्ष्मण का अवतार माना जाता है।
लोक गीत𑇐 इनके गीतों को ‘पाबूजी के पावड़े’ कहते हैं।
𑇐 पाबूजी के पावेड़ (वीर गाथा/लोक गाथा/भजन) ‘माट/माठ’ वाद्य यंत्र के साथ गाये जाते हैं।
फड़𑇐 इनकी फड राजस्थान में सबसे लोकप्रिय फड है।
𑇐 भील जाति के भोपे (पूजारी) रावणहत्था वाद्य यंत्र के साथ इनकी फड़ गाते हैं।
𑇐 ऊँट के बीमार होने पर इनकी फड़ बांची जाती है और ऊँट के सही हो जाने पर नायक जाति के भोपों द्वारा इनकी फड़ रावण हत्था वाद्ययंत्र से बांधी जाती है।
घोड़ीकेसर कालमी (देवल नामक चारण महिला की घोड़ी)
सहयोगी1. चांदा
2. डामा
➥ चाँदा व डामा दोने भील भाई थे।

3. हरमल
4. सांवत
मेला𑇐 चैत्र अमावस्या
➥ यह मेला कोलुमण्ड (फलौदी) में आयोजित किया जाता है।
इनसे संबंधित पुस्तकें1. पाबू प्रकाश (लेखक- आशिया मोडजी)
➥ इसी ग्रंथ में पाबूजी की जीवनी लिखी गई है।

2. पाबूजी रा दूहा (लेखक- लघराज)
3. पाबूजी रा छन्द (लेखक- बीठू मेहाजी)
4. पाबूजी रा रुपक (लेखक- मोतीसर बगतावर)
5. पाबूजी रा सोरठा (लेखक- रामनाथ)
6. पाबू जी रा गीत (लेखक- बांकीदास)
व्यक्तित्व की विशेषताएं1. गौरक्षक देवता
2. वीरता
3. ऊँट रक्षक देवता
4. त्यागशील
5. प्लेग रक्षक देवता
6. वचनबद्धता
7. अछूतोद्धारक
8. शरणागत रक्षक
9. हाड़-फाड का देवता
10. बायीं ओर झुकी हुई पोग पाबूजी की विशेषता है।
विशेषताएं𑇐 मारवाड़ में पहली बार ऊँट लाने का श्रेय इनको दिया जाता है।
𑇐 इनको ऊँट पालने वाली जातियां (राईका/रैबारी/दैवासी) अपना मुख्य देवता (आराध्य देव) मानती हैं।
𑇐 यह थोरी एवं भील जाति के भी आराध्य देव हैं।
𑇐 इन्होंने गुजरात की थोरी जाति के सात भाइयों को शरण दी (रक्षा की) थी।
𑇐 थोरी जाति के लोगों द्वारा इनका यशोगान सांरगी वाद्य यंत्र के साथ किया जाता है, जिसे ‘पाबूजी री वचनिका’ कहते हैं।
𑇐 यह अपने विवाह के दौरान तीन फेरों के बाद ही देवल नामक चारण महिला (देवल चारणी) की गायों की रक्षा के लिए वापस आ गये थे।
𑇐 यह देचू गाँव (जोधपुर) में गायों की रक्षा हेतु अपने बहनोई जींदराव खींची के खिलाफ युद्ध लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हुए।

अन्य नामगौरक्षक देवता
पिताकीतु करणोत/गोपालराज
मातामायड़ दे
घोड़ाकिरड काबरा
मुख्य मंदिरबापीणी/बापणी, फलौदी जिला (राजस्थान)
मेला𑇐 कृष्ण जन्माष्टमी
➥ यह मेला इनके मुख्य मंदिर में आयोजित किया जाता है।
विशेषताएं𑇐 यह मारवाड़ के राजा राव चूंडा तथा मंडोर के राणा रुपड़ा प्रतिहार के समकालीन थे।
𑇐 इनके पूजारीयों (भोपे) के वंश में वृद्धि नहीं होती है।
𑇐 इनके पूजारी (भोपे) सन्तान को गोद लेकर वंश को आगे बढ़ाते हैं।
𑇐 यह पाना/हेकू नामक गुर्जर महिला की गायों की रक्षा हेतु जैसलमेर के राणगदेव भाटी के खिलाफ युद्ध लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हुए।

जन्म स्थानभूंडेल/भूंडोल गाँव, नागौर जिला (राजस्थान)
धर्महिन्दू
जातिराजपूत
गोत्रसांखला
पितामेहराज जी सांखला (मेहाजी)
मातासोभागदे
मौसेरा भाईरामदेवजी (लोक देवता)
गुरुबालीनाथ जी
सवारी (वाहन)सियार
मुख्य मंदिर𑇐 बेंगटी गाँव, फलोदी जिला (राजस्थान)
➥ इस मंदिर का निर्माण जोधपुर के महाराजा अजीतसिंह ने करवाया था।
➥ इस मंदिर में इनकी बैलगाड़ी की पूजा की जाती है, क्योंकि यह अपनी बैलगाड़ी में पंगु गायों के लिए चारा भरकर लाते थे।
विशेषताएं𑇐 यह अपने पिता की मृत्यु के बाद हरभमजाल (जोधपुर) में जाकर रहने लगे थे।
𑇐 यह शकुनशास्त्र/शगुन शास्त्र के ज्ञाता (भविष्य वक्ता) थे।
𑇐 इन्होंने राव जोधा को अपनी कटार भेंट की तथा मंडोर जीतने का आशीर्वाद दिया।
𑇐 इनके आशीर्वाद से राव जोधा राजा बना।
𑇐 मंडोर जीतने के बाद राव जोधा ने इनको बेंगटी गाँव (फलौदी) दिया था।
𑇐 यह बेंगटी गाँव (फलौदी) में बूढी तथा विकलांग गायों की सेवा करते थे।
𑇐 यह राव जोधा के समकालीन थे।

क्र. सं.लोक देवताजन्म स्थानमुख्य मंदिरमेला
1तेजाजीखरनाल गाँव
(नागौर)
परबतसर
(डीडवाना-कुचामन)
भाद्रपद शुक्ल दशमी
2देवनारायण जीमालासेरी, आसीन्द
(भीलवाड़ा)
𑇐 भाद्रपद शुक्ल षष्ठी एवं सप्तमी
𑇐 माघ शुक्ल सप्तमी
3मल्लीनाथ जीतिलवाड़ा गाँव, पचपदरा तहसील
(बालोतरा)
चैत्र कृष्णा एकादशी से चैत्र शुक्ल एकादशी तक
4तल्लीनाथ जीपांचोटा/ पांचौट पहाड़ी
(जालौर)
5बिग्गा जी/ वीर बग्गाजीरीड़ी
(बीकानेर)
6हरिराम जीझोरडा गाँव
(नागौर)
भाद्रपद शुक्ल पंचमी
(ऋषी पंचमी)
7केसरिया कुंवर जी
8झरड़ा जी
9जुंझार जीस्यालोदडा गाँव, नीम का थाना
(सीकर)
रामनवमी
10मामादेव
11आलम जीधोरीमन्ना
(बाड़मेर)
भाद्रपद शुक्ल द्वितीया
(बाबे री बीज)
12खेतला जीसोनाणा
(पाली)
चैत्र शुक्ल एकम्
13डूंगजी-जवाहर जी
14वीर फत्ता जीसांथू
(जालौर)
भाद्रपद शुक्ल नवमी
15देव बाबानंगला जहाज
(भरतपुर)
𑇐 भाद्रपद शुक्ल पंचमी (ऋषि पंचमी)
𑇐 चैत्र शुक्ल पचंमी
16कल्ला जी राठौड़साभियाना गाँव, मेड़ता सिटी
(नागौर)
17खेतरपाल जी/ क्षेत्रपला जी
18भूरिया बाबा
19भोमिया बाबा
20हरिमन बाबाछोकरवाड़ा
(भरतपुर)
21ओम बन्ना जीपाली
22दशरथ मेघवाल जीदेशनोक
(बीकानेर)
23फत्ता जीसांथु गाँव
(जालौर)
सांथु गाँव
(जालौर)
24पनराज जीनया गाँव, पनराजसर
(जैसलमेर)
नया गाँव, पनराजसर
(जैसलमेर)
25पत्तर जी
26ईलोजीमारवाड़

अन्य नाम𑇐 गायों का देवता
𑇐 सापों का देवता (सर्प रक्षक देवता)
𑇐 कृषि का उपकारक देवता (काला-बाला का देवता)
➥ कालाबाला एक बीमारी का नाम है।
𑇐 नाडू रोग का देवता
जन्म स्थान𑇐 खरनाल गाँव, नागौर जिला (राजस्थान)
𑇐 इनका जन्म एक जाट परिवार में हुआ था।
कर्मस्थलीबांसी दुगारी, बूंदी
धर्महिन्दू
जातिजाट
गौत्रधौलिया या धोल्या
पिताताहड़ जी
मातारामकुँवरी
पत्नी𑇐 पेमलदे
➥ यह पनेर (अजमेर) की रहने वाली थी।
बहन𑇐 राजल बाई
➥ यह एक लोक देवी हैं।
➥ इन्हें बुंगरी माता भी कहते हैं।
➥ इनका मंदिर खरनाल, नागौर जिला (राजस्थान)
घोड़ी𑇐 लीलण/सिणगारी
➥ इस घोड़ी के नाम पर राजस्थान में जयपुर तथा अजमेर के बीच ‘लीलण एक्सप्रेस’ नामक रेलगाड़ी चलती है।
मुख्य मंदिर𑇐 परबतसर, डीडवाना-कुचामन जिला (राजस्थान)
➥ इस मंदिर का निर्माण जोधपुर के महाराजा अभयसिंह के शासन काल में हुआ था।
अन्य मंदिर1. सैंदरिया, ब्यावर जिला (राजस्थान)
➥ इस गाँव में इनको साँप ने काट लिया था।

2. सुरसुरा गाँव, अजमेर जिला (राजस्थान)
➥ इस गाँव में साँप के काटने से इनकी मृत्यु हो गयी थी।

3. भांवता, अजमेर जिला (राजस्थान)
4. पनेर, अजमेर जिला (राजस्थान)
5. खरनाल, नागौर जिला (राजस्थान)
6. बासी दुगारी, बूंदी जिला (राजस्थान)
मेला𑇐 भाद्रपद शुक्ल दशमी
➥ यह मेला इनके मुख्य मंदिर में आयोजित किया जाता है।
इनसे संबंधित पुस्तकें1. जुंझार तेजा (लेखक- लज्जाराम मेहता)
2. तेजाजी रा ब्यावला (लेखक- वंशीधर शर्मा)
विशेषताएं𑇐 जब यह अपनी पत्नी को लाने पनेर (अजमेर) जा रहे थे, तब सुरसुरा गाँव (अजमेर) में लाछा नामक गुर्जर महिला की गायों को मेर जाति के आक्रमणकारियों से बचाते हुए घायल हो गए थे।
𑇐 इनकी मृत्यु का समाचार इनकी घोड़ी लीलण ने दिया था।
𑇐 इनकी मृत्यु पर इनके साथ इनकी पत्नी सत्ती हुई थी।
𑇐 इनके पूजारी (भोपा) को ‘घोड़ला’ कहते हैं।
𑇐 इन्हें सर्प रक्षक देवता के रूप में पूजा जाता हैं।
𑇐 2010-11 में राजस्थान सरकार ने इन पर डाक टिकट जारी किया था।
𑇐 खेत में हल चलाते समय किसान इनके गीत गाते हैं, जिन्हें तेजा टेर/तेजा गीत कहते हैं।

बचपन का नामउदयसिंह
अन्य नाम𑇐 औषधि का देवता
𑇐 राज्य क्रांति का जनक
जन्म स्थान𑇐 मालासेरी, आसीन्द, भीलवाड़ा जिला (राजस्थान)
𑇐 इनका जन्म बगडावत (गुर्जर) परिवार में हुआ था।
धर्महिन्दू
जातिगुर्जर
गौत्रबगड़ावत
पिता𑇐 सवाई भोज
➥ यह भिनाय के राजा के खिलाफ लड़ते हुए मारे गए थे।
मातासेढू/सेद खटानी
पत्नी𑇐 पीपलदे
➥ यह धार के राजा जयसिंह परमार की राजकुमारी (पुत्री) थी।
अवतारभगवान विष्णु
फड़𑇐 इनकी फड राजस्थान में सबसे लम्बी फड है।
𑇐 गुर्जर भोपों द्वारा इनकी फड ‘जन्तर’ वाद्य यंत्र के साथ गायी या बाँची जाती है।
𑇐 इनकी फड़ पर सन् 1992 में 5 रुपये का डाक टिकट जारी किया गया था।
घोड़ालीलागर
मंदिर1. मालासेरी, आसीन्द, भीलवाड़ा जिला (राजस्थान)
2. देवमाली, ब्यावर जिला (राजस्थान)
3. देवधाम, जोधपुरिया, टोंक जिला (राजस्थान)
4. देवडूंगरी, चित्तौड़गढ़ जिला (राजस्थान) 
➥ इस मंदिर का निर्माण राणा सांगा ने करवाया था।
मेला𑇐 भाद्रपद शुक्ल षष्ठी एवं सप्तमी
𑇐 माघ शुक्ल सप्तमी
इनसे संबंधित पुस्तकेंबगडावत (लेखक- लक्ष्मी कुमारी चूंडावत)
विशेषताएं𑇐 इनका बचपन देवास (मध्य प्रदेश) में बीता था।
𑇐 इनके मंदिर में मूर्ति की जगह ईंट की पूजा की जाती है।
𑇐 इनके मंदिर में छाछ-राबड़ी चढ़ाई जाती है, इसीलिए भाद्रपद शुक्ल छठ को गुर्जर जाति के लोग दूध का व्यापार नहीं करते हैं।
𑇐 इनके मंदिर में नीम के वृक्ष के पत्ते भी चढ़ाये जाते हैं, इसीलिए गुर्जर जाति के लोग नीम के पेड़ की लकड़ियों को नहीं जलाते हैं।
𑇐 यह गुर्जर जाति के आराध्य देव हैं।
𑇐 गुर्जर जाति के लोग इनकी झुठी कसम नहीं खाते हैं।
𑇐 2010-11 में राजस्थान सरकार ने इन पर डाक टिकट जारी किया था।
𑇐 इन्होंने युद्ध में भिनाय (अजमेर) के राजा को मारकर गायों की रक्षा की तथा अपने पिता की हत्या का बदलता लिया।

विशेष

क्र. सं.क्षेत्रजिलाराज्य
1जोधपुरजोधपुरराजस्थान
2जोधपुराजयपुरराजस्थान
3जोधपुरियाटोंकराजस्थान

पत्नी𑇐 रानी रूपादे
➥ यह एक लोक देवी हैं।
➥ इन्हें बरसात की देवी कहते हैं।
➥ इनका मंदिर नाकोड़ा गाँव, सिणधरी तहसील, बालोतरा जिला (राजस्थान) में स्थित है।
गुरुउगम सिंह भाटी/ उगमासी भाटी
मुख्य मंदिरलूनी नदी, तिलवाड़ा गाँव, पचपदरा तहसील, बालोतरा जिला (राजस्थान)
मेला𑇐 चैत्र कृष्णा एकादशी से चैत्र शुक्ल एकादशी तक (15 दिन) (होली के अगले दिन से शुरू होता है)
➥ यह मेला इनके मुख्य मंदिर में आयोजित किया जाता है।
➥ यह एक पशु मेला है, जिसमें मुख्यतः मालाणी नस्ल के पशुओं का क्रय-विक्रय किया जाता है।
➥ यह राजस्थान का सबसे प्राचीन पशु मेला है।
➥ इस मेले की शुरुआत मोटाराजा उदयसिंह के शासन काल में हुई थी।
विशेषताएं𑇐 यह मारवाड़ के राठौड़ राजा थे।
𑇐 इनकी राजधानी मेवानगर थी।
𑇐 इन्होंने मालवा (मध्य प्रदेश) के गवर्नर निजामुद्दीन की 13 सैनिक टुकड़ियों को पराजित किया था।
𑇐 निजामुद्दीन दिल्ली के सुल्तान फिरोज शाह तुगलक का गवर्नर था।
𑇐 यह चमत्कारी एवं भविष्यदृष्टा (भविष्य वक्ता) व्यक्ति थे।
𑇐 इन्होंने 1399 ई. में मारवाड़ में हरि कीर्तन का आयोजन करवाया।
𑇐 यह अपनी रानी रूपादे के प्रभाव में सन्त बन गए थे।
𑇐 इन्होंने कुंडा पंथ की स्थापना की थी।
𑇐 इन्होंने अपनी पत्नी के साथ मिलकर समाज में छुआछूत एवं भेदभाव को मिटाने का प्रयास किया था।
𑇐 इन्हीं के नाम पर बाड़मेर क्षेत्र का नाम मालानी/मालाणी पड़ा था।

वास्तविक नामगोगादेव/गोगदेव राठौड़
अन्य नाम𑇐 ओरण का देवता
➥ मंदिर के आस-पास छोड़ी गई वह जमीन जहाँ से पेड़ पौधे काटना प्रतिबंधित हो, उसे ओरण कहते हैं।
तपोभूमिसिरे मंदिर, जालौर जिला (राजस्थान)
पितावीरमदेव
बड़ा भाईराव चूंडा (मारवाड़)
गुरुजलंधर/जालन्धर नाथ
मुख्य मंदिरपांचोटा/ पांचौट पहाड़ी, जालौर जिला (राजस्थान)
इनसे संबंधित पुस्तकेंवीरमायण (लेखक- बादर ढ़ाढ़ी)
विशेषताएं𑇐 यह शेरगढ़ (जोधपुर) के सामंत (ठिकानेदार) थे।
𑇐 इन्होंने जोईयो से अपने पिता की हत्या का बदला लिया था।
𑇐 किसी व्यक्ति को विषेला कीड़ा काटने पर इनके मंदिर (थान) पर लेकर जाते हैं।
𑇐 यह प्रकृति प्रेमी देवता थे, इसलिए आज भी इनके यहाँ हरे पेड़ नहीं काटे जाते हैं।

पितामहन जी
मातासुल्तानी
मुख्य मंदिररीड़ी, बीकानेर जिला (राजस्थान)
विशेषताएं𑇐 यह गायों की रक्षा करते हुए वीरगति को प्राप्त हुए थे।
𑇐 यह जाखड़ समाज के कुल देवता हैं।

अन्य नामसर्प रक्षक देवता
मुख्य मंदिर𑇐 झोरडा गाँव, नागौर जिला (राजस्थान)
➥ इनके मंदिर में सांप की बांबी (बिल) की पूजा की जाती है।
मेला𑇐 भाद्रपद शुक्ल पंचमी (ऋषी पंचमी)
➥ यह मेला इनके मुख्य मंदिर में आयोजित किया जाता है।
विशेषताएंइन्हें सर्प रक्षक देवता के रूप में पूजा जाता है।

अन्य नामसांपों का देवता (सर्प रक्षक देवता)
पितागोगाजी (लोक देवता)
ध्वजासफेद
घोड़ीनीली घोड़ी
विशेषताएं𑇐 इनका थान खेजड़ी वृक्ष के नीचे होता है।
𑇐 इन्हें सर्परक्षक देवता के रूप में पूजा जाता है।

अन्य नाम𑇐 रूपनाथ
𑇐 बालकनाथ (हिमाचल प्रदेश में कहते हैं।)
पिता𑇐 बूढोजी
➥ यह पाबूजी के बड़े भाई थे।
चाचापाबूजी (लोक देवता)
मंदिर1. कोलूमंड, फलौदी जिला (राजस्थान)
2. सिंभूदडा, बीकानेर जिला (राजस्थान)
विशेषताएं𑇐 इन्होंने जायल (नागौर) के राजा जींदराव खींची को मारकर अपने पिता व चाचा की हत्या का बदला लिया।
𑇐 हिमाचल प्रदेश में इन्हें बालकनाथ के रूप में पूजा जाता है।

जन्म स्थानइमलोहा, नीम का थाना, सीकर जिला (राजस्थान)
मुख्य मंदिर𑇐 स्यालोदडा गाँव, नीम का थाना, सीकर जिला (राजस्थान)
➥ इस मंदिर में दुल्हा-दुल्हन के रूप (वेश) में इनकी तथा इनकी पत्नी की तथा इनके तीन भाईयों की मूर्तियां हैं।
मेला𑇐 रामनवमी
➥ यह मेला इनके मुख्य मंदिर में आयोजित किया जाता है।
विशेषताएंयह स्यालोदड़ा गाँव में गायों की रक्षा करते हुए वीरगति को प्राप्त हुए थे।

अन्य नामबरसात/वर्षा के देवता
मंदिर𑇐 इनका कोई मंदिर नहीं होता है, बल्कि गाँव के बाहर थान में इनके तोरण की पूजा की जाती है।
𑇐 इनका तोरण लकड़ी का बना होता है।
𑇐 इनका थान दक्षिण राजस्थान में मिलता है।
विशेषताएंइनको खुश करने के लिए भैंसे की बलि दी जाती है।

अन्य नाम𑇐 अश्व रक्षक देवता
𑇐 गोरक्षक देवता
मुख्य मंदिरधोरीमन्ना (आलम जी का धौर), बाड़मेर जिला (राजस्थान)
मेला𑇐 भाद्रपद शुक्ल द्वितीया (बाबे री बीज)
➥ यह मेला इनके मुख्य मंदिर में आयोजित किया जाता है।
विशेषताएंयह राठौड़ वंश की जैतमालोत शाखा से संबंधित थे।

मुख्य मंदिर𑇐 सोनाणा, पाली जिला (राजस्थान)
➥ इस मंदिर में हकलाने वाले बच्चों का इलाज किया जाता है।
मेला𑇐 चैत्र शुक्ल एकम्
➥ यह मेला इनके मुख्य मंदिर में आयोजित किया जाता है।

प्रमुख सहयोगी1. लोहट जी जाट/लोठूजी निठारवाल
2. करणा जी मीणा
3. बालू जी नाई
4. सांखू जी लोहार
विशेषताएं𑇐 डूंगजी-जवाहर जी चाचा-भतीजा थे।
𑇐 डूंगजी बाठोठ गाँव (सीकर) के समांत थे।
𑇐 जवाहर जी पाटोदा गाँव (सीकर) के समांत थे।
𑇐 कालांतर में यह दोनों डाकू बन गए थे।
𑇐 यह दोनों अमीरों को लूट कर उनका धन गरीबों में बाँट दिया करते थे।
𑇐 इन्होंने अंग्रेजों की आगरा जेल तथा नसीराबाद छावनी (अजमेर) को लूट लिया था।
𑇐 इन्होंने जोधपुर एवं बीकानेर की सेना से युद्ध किया।
𑇐 जोधपुर के महाराजा तख्त सिंह ने डूंगजी को गिरफ्तार कर जोधपुर के मेहरानगढ़ किले में रखा।
𑇐 बीकानेर के महाराजा रतन सिंह ने जवाहर जी को गिरफ्तार कर बीकानेर के जूनागढ़ किले में रखा।
𑇐 यह दोनों 1857 की क्रांति के समय थे।

मुख्य मंदिरसांथू, जालौर जिला (राजस्थान)
मेला𑇐 भाद्रपद शुक्ल नवमी
➥ यह मेला इनके मुख्य मंदिर में आयोजित किया जाता है।
विशेषताएंयह गायों की रक्षा के लिए लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हुए थे।

मुख्य मंदिरनंगला जहाज, भरतपुर जिला (राजस्थान)
सवारी (वाहन)भैंसा/पाडा
मेला𑇐 वर्ष में दो बार इनका मेला लगता है।
1. भाद्रपद शुक्ल पंचमी (ऋषि पंचमी)
2. चैत्र शुक्ल पचंमी
➥ यह मेले इनके मुख्य मंदिर में आयोजित किए जाते हैं।
विशेषताएं𑇐 यह पशु चिकित्सक थे।
𑇐 इनको खुश करने के लिए सात ग्वालों को भोजन करवाना पड़ता है।

अन्य नाम1. चार हाथों वाला लोकदेवता
2. दो सिर वाला लोकदेवता
3. मेवाड़ मणी भुषण
जन्म स्थानसाभियाना गाँव, मेड़ता सिटी, नागौर जिला (राजस्थान)
धर्महिन्दू
जातिराजपूत
गोत्रराठौड़
पिताअचलसिंह
माताश्वेत कँवर
पत्नीकृष्णा कँवर
अवतारशेषनाग का
छत्तरीभैरवपोल, चित्तौड़गढ़ जिला (राजस्थान)
मंदिर1. सामलिया, डूंगरपुर जिला (राजस्थान)
2. नरेला, चित्तौड़गढ़ जिला (राजस्थान)
विशेषताएं𑇐 इनका संबंध मेवाड़ के तीसरे साके से है।
𑇐 इनके मंदिर में अफीम और केसर का प्रसाद चढ़ाया जाता है।

अन्य नामसीमा सुरक्षा का देवता
विशेषताएंशादी के अवसर पर काकन-डोरा इन्हीं के नाम के बाँधे जाते हैं।

मंदिर1. प्रतापगढ़
2. पाली
3. सिरोही
विशेषताएं𑇐 यह मीणा जाति के आराध्य देव हैं।
𑇐 मीणा जाति के लोग इनकी झूठी कसम नहीं खाते हैं।
𑇐 इन्हें शौर्य का प्रतीक माना जाता है।

अन्य नामभूमि रक्षक देवता

मुख्य मंदिर𑇐 छोकरवाड़ा, भरतपुर जिला (राजस्थान)
➥ इस मंदिर में सर्पदंश का इलाज किया जाता है।

अन्य नाम𑇐 बुलट वाले देवता
𑇐 यातायात रक्षा का देवता
मुख्य मंदिरपाली जिला (राजस्थान)

गुरुकरणी माता (लोक देवी)
मुख्य मंदिरदेशनोक, बीकानेर

अन्य नामगौरक्षक देवता
जन्म स्थानसांथु गाँव, जालौर जिला (राजस्थान)
मुख्य मंदिरसांथु गाँव, जालौर जिला (राजस्थान)

अन्य नामगौरक्षक देवता
जन्म स्थाननया गाँव, पनराजसर, जैसलमेर जिला (राजस्थान)
मुख्य मंदिरनया गाँव, पनराजसर, जैसलमेर जिला (राजस्थान)

विशेषताएंपित्तर जी का प्रसाद अमावस्या को चढ़ता है।

अन्य नाम𑇐 छेड़छाड़ का देवता
𑇐 नवदम्पत्ति का देवता
मुख्य मंदिरमारवाड़
विशेषताएंधुलंडी के दिन जालौर तथा बाड़मेर में इनकी सवारी निकाली जाती है।

Leave a Comment

error: Content is protected !!