कछवाहा वंश : आमेर (जयपुर), अलवर

  • कछवाहाओं का मानना है कि उनकी उत्पत्ति भगवान राम के ज्येष्ठ पुत्र कुश से हुई है।
  • राम के वंशज होने के कारण इन्हें ‘रघुवंश तिलक’ भी कहा जाता है।
  • गौरी शंकर हीराचन्द औझा के अनुसार कछवाहा वंश का मूल पुरुष कछवाहा था, इसीलिए इन्हें कछवाहा कहा जाता था।

राजस्थान में कछवाहा वंश की रियासतें

क्र. सं.रियासत
1आमेर (जयपुर)
2अलवर

  • आमेर में पहले मीणा वंश का शासन था, लेकिन बाद में कछवाहा वंश ने यहाँ शासन किया।

आमेर में कछवाहा वंश के प्रमुख राजा

क्र. सं.राजाशासन काल
1दुल्हेराय (दुलहराय)
2काकिलदेव
3राजदेव
4भारमल1547- 1573 ई.
5भगवानदास/ भगवंतदास1573- 1589 ई.
6मानसिंह1589- 1614 ई.
7मिर्जा राजा जयसिंह1621- 1667 ई.
8सवाई जयसिंह1700- 1743 ई.
9सवाई ईश्वरीसिंह1743- 1750 ई.
10सवाई माधोसिंह प्रथम1750- 1768 ई.
11सवाई प्रताप सिंह1778-1803 ई.
12सवाई जगतसिंह द्वितीय1803-1818 ई.
13सवाई रामसिंह द्वितीय1835-1880 ई.
14सवाई माधोसिंह द्वितीय1880-1922 ई.
15सवाई मानसिंह द्वितीय1922- 1947 ई.

  • वास्तविक नाम : तेजकरण
  • 1137 ई. में यह नरवर (मध्य प्रदेश) से राजस्थान आया।
  • इसने दौसा के बड़गुर्जरों को हराकर वहां अधिकार कर लिया तथा दौसा को अपनी राजधानी बनाया।
  • दौसा कछवाहा वंश की पहली राजधानी थी।
  • इसने रामगढ़/ जमवारामगढ़ के मीणाओं को हराकर रामगढ़ पर अधिकार कर लिया तथा रामगढ़ को अपनी दूसरी राजधानी बनाया।
  • रामगढ़ कछवाहा वंश की दूसरी राजधानी थी।
  • इसने रामगढ़ में जमवाय माता (कछवाहा वंश की कुल देवी) का मंदिर बनवाया।
  • 1207 ई. में इसने आमेर के मीणाओं को हराकर वहां अधिकार कर लिया तथा आमेर को अपनी राजधानी बनाया।
  • आमेर कछवाहा वंश की तीसरी राजधानी थी।
  • इसने आमेर में अंबिकेश्वर मंदिर का निर्माण करवाया।
  • इसने आमेर में कदमी महल का निर्माण करवाया जहाँ आमेर के राजाओं का राजतिलक होता था।
  • शासन काल : 1547-1573 ई.
  • इसने मजनूं खाँ तथा चगताई खाँ की सहायता से अकबर से मुलाकात की।
  • 1562 ई. में इसने अकबर की अधिनता (संधि) स्वीकार की। ऐसा करने वाला यह राजस्थान का पहला राजा था।
  • इसने सांभर में अपनी बेटी हरखाबाई का विवाह अकबर के साथ किया।
  • अकबर ने इसे 5000 का मनसबदार बनाया तथा ‘अमीर-उल-उमरा’ की उपाधि दी।

हरखाबाई :-

  • उपाधि : मरियम उज्जमानी
  • बेटा : जहाँगीर
  • शासन काल : 1573-1589 ई.
  • इसने सरनाल (गुजरात) में मिर्जा विद्रोह को दबाया इसलिए अकबर ने इसे नगाड़ा तथा झंडा देकर सम्मानित किया।
  • अकबर ने इसे 7 वर्षों तक पंजाब का गवर्नर बनाया।
  • इसने अपनी बेटी मानबाई का विवाह जहाँगीर के साथ किया।

मानबाई :-

  • उपाधि : शाह बेगम/ शाह-ए-बेगम
  • बेटा : खुसरो
  • जहाँगीर की शराब पीने की आदत से परेशान होकर इसने आत्महत्या कर ली।
  • शासन काल : 1589-1614 ई.
  • रानी : कनकावती
  • बेटा : जगतसिंह
  • राजतिलक के समय अकबर ने इसे 5000 का मनसबदार बनाया, लेकिन 1605 ई. में इसे बढ़ाकर 7000 कर दिया गया।
  • इसने नासिर खाँ तथा कतलू खाँ को हराकर पूरी के जगन्नाथ मंदिर पर नियंत्रण स्थापित किया।
  • मृत्यु : एलिचपुर (महाराष्ट्र)
  • अकबर ने इसे दो उपाधियाँ दी जैसे-
    1. मिर्जा राजा
    2. फर्जन्द (अर्थ- बेटा)
  • अकबर ने इसे काबुल, बंगाल एवं बिहार का गवर्नर बनाया।

गवर्नर

क्र. सं.स्थानविशेष
1काबुल𑇐 समय : 1581-1586 ई.
𑇐 यहाँ इसने मिर्जा हकीम के विद्रोह को दबाया।
𑇐 यहाँ इसने पांच कबिलों (रोशनिया, युसुफजाई) को हराया इसलिए इसने आमेर के झंडे का रंग पंचरंगा कर दिया।
𑇐 पहले आमेर का झंडा सफेद/ झाड़शाही था।
2बंगाल𑇐 यहाँ इसने ढ़ाका (पूर्वी बंगाल) के राजा केदार को हराया तथा शिला माता की मूर्ति लेकर आया जिसे आमेर में स्थापित करवाया।
𑇐 इसने आमेर में शिला माता (कछवाहा वंश की इष्टदेवी) का मंदिर बनाया।
𑇐 इसने नासिरजंगकतलू खाँ को हराकर पुरी (ओडिशा) के जगन्नाथ मंदिर पर नियंत्रण स्थापित किया।
3बिहार𑇐 यहाँ इसने कई राजाओं को हराया। जैसे-
1. पूरणमल (गिद्धौर का राजा)
2. अनंत चेरू (गया का राजा)
3. रामचन्द्र देव (खुर्दा का राजा)

सांस्कृतिक उपलब्धियाँ

क्र. सं.नगरस्थितनिर्माणविशेष
1अकबर नगरबंगालमानसिंह𑇐 वर्तमान नाम : राजमहल
2मानपुरबिहारमानसिंह
किला
1रोहतासगढ़ का किलाबिहारमानसिंह
2आमेर का किलाजयपुरमानसिंह
3जमवारामगढ़ का किलाजयपुरमानसिंह
मंदिर
1भवानी शंकर मंदिरबैकटपुर (बिहार)मानसिंह
2महादेव मंदिरगया (बिहार)मानसिंह
3राधा गोविंद मंदिरवृंदावन (उत्तर प्रदेश)मानसिंह
4जगत शिरोमणि मंदिरआमेर (जयपुर)कनकावती (मानसिंह)𑇐 इस मंदिर का निर्माण कनकावती ने अपने बेटे जगतसिंह की याद में करवाया था।
𑇐 इस मंदिर में मानसिंह द्वारा चित्तौड़ से लायी गई भगवान श्री कृष्ण की वही मूर्ति लगी हुई है, जिसकी पूजा मीरा बाई चित्तौड़ में करती थी।

दरबारी विद्वान

क्र. सं.दरबारी विद्वानपुस्तक
1पुंडरीक विट्ठल𑇐 राग माला
𑇐 राग मंजरी
𑇐 राग चंद्रोदय
𑇐 नर्तन निर्णय
2राय मुरारी दास𑇐 मान प्रकास
3जगन्नाथ𑇐 मानसिंह कीर्ति मुक्तावली
  • शासन काल : 1621-1667 ई.
  • इसका शासनकाल आमेर के कछवाहा वंश के राजाओं में सर्वाधिक (46 वर्ष) था।
  • समकालीन मुगल बादशाह :-
    1. जहाँगीर : जहाँगीर ने इसे अहमद नगर (महाराष्ट्र) के मलिक अम्बर के खिलाफ भेजा।
    2. शाहजहाँ : शाहजहाँ ने इसे मिर्जा राजा की उपाधि दी तथा कंधार (अफगानिस्तान) अभियान पर भेजा।
    3. औरंगजेब : औरंगजेब ने इसे शिवाजी (दक्षिण भारत) के खिलाफ भेजा।
  • जहाँगीर ने इसे अहमद नगर (महाराष्ट्र) के मलिक अम्बर के खिलाफ भेजा।
  • शाहजहाँ ने इसे मिर्जा राजा की उपाधि दी तथा कंधार (अफगानिस्तान) अभियान पर भेजा।
  • औरंगजेब ने इसे शिवाजी (दक्षिण भारत) के खिलाफ भेजा।
  • यह मुगलों का एकमात्र ऐसा सेनापति था, जो मुगलों को हराता है।
  • मृत्यु : बुरहानपुर (महाराष्ट्र)

पुरन्दर की संधि :-

  • समय : 1665 ई.
  • मध्य : मिर्जा राजा जयसिंह (औरंगजेब) + शिवाजी
  • निकोलो मनूची (इटली) ने अपनी पुस्तक ‘Storia/Storio Do Mogor’ में इस संधि का वर्णन किया।
  • इस संधि के तहत शिवाजी ने 35 में से 23 किले मुगलों को दिए।

सांस्कृतिक उपलब्धियां

क्र. सं.नगरस्थाननिर्माणविशेष
1जयसिंह पुरामहाराष्ट्रमिर्जा राजा जयसिंह
किला
1जयगढ़आमेरमिर्जा राजा जयसिंह𑇐 यह किला आमेर की संकटकालीन राजधानी था।
𑇐 प्राचीन नाम : चील का टोला

दरबारी विद्वान

क्र. सं.दरबारी विद्वानपुस्तक
1बिहारी जी𑇐 बिहारी सतसई (शृंगार रस के 700 दोहे)
2रायकवि𑇐 जयसिंह चरित्र
3कुलपति मिश्र𑇐 यह बिहारी जी का भांजा था।
𑇐 इसने 52 पुस्तकें लिखी, जिनसे मिर्जा राजा जयसिंह के दक्षिण अभियानों की जानकारी मिलती है।

  • शासन काल : 1700-1743 ई.
  • रानी :-
    1. सूरज कंवर :-
      • पुत्र : ईश्वरी सिंह
    2. चंद्र कंवर :-
      • पुत्र : माधोसिंह
  • यह 7 मुगल बादशाहों के समकालिन था।
  • बहादुर शाह प्रथम (मुअज्जम) ने आमेर पर आक्रमण किया तथा सवाई जयसिंह को राजा के पद से हटाकर विजय सिंह को आमेर का राजा बनाया।
  • बहादुर शाह प्रथम ने आमेर का नाम बदलकर इस्लामाबाद/ मोमिनाबाद कर दिया।
  • 1708 ई. में यह देबारी समझौते में शामिल हुआ।
  • इसने भरतपुर के राजा मोहकम सिंह के खिलाफ बदन सिंह का साथ दिया तथा बदन सिंह को भरतपुर का राजा बनाया।
  • इसने बदन सिंह को डीग की जागीर तथा बृजराज (ब्रजराज) की उपाधि दी।
  • मुगल बादशाह मुहम्मद शाह रंगीला ने इसे राज राजेश्वर की उपाधि दी।
  • इसे तीन बार मालवा (मध्य प्रदेश) का मुगल गवर्नर बनाया गया।
  • इसने बूंदी में उम्मेदसिंह के खिलाफ दलेल सिंह का साथ दिया।

मुगल उत्तराधिकारी संघर्ष :-

  • मध्य : आजम (हार) Vs मुअज्जम (जीत)
  • इस संघर्ष में आजम का साथ सवाई जयसिंह ने तथा मुअज्जम का साथ जयसिंह के भाई विजय सिंह ने दिया।
  • जीत के बाद मुअज्जम ‘बहादुर शाह प्रथम’ के नाम से राजा बना।

सांभर का युद्ध :-

  • समय : 1709 ई.
  • स्थान : सांभर
  • मध्य : सैय्यद हुसैन (मुगल सेनापति) Vs सवाई जयसिंह (आमेर) + अजीत सिंह (मारवाड़)
  • जीत : जयसिंह + अजीत सिंह
  • इस युद्ध के बाद सवाई जयसिंह ने आमेर पर पुनः अधिकार कर लिया।
  • इस युद्ध के बाद सांभर झील पर आमेर तथा मारवाड़ का संयुक्त अधिकार था।

गंगवाना का युद्ध :-

  • समय : 1741 ई.
  • स्थान : गंगवाना (अजमेर)
  • मध्य : अभय सिंह (मारवाड़) Vs जोरावर सिंह (बीकानेर)
  • जीत : जोरावर सिंह
  • इस युद्ध में सवाई जयसिंह ने जोरावर सिंह का साथ दिया।

मुगल (सवाई जयसिंह) Vs मराठा

क्र. सं.युद्धसमयस्थानजीत
1पिलसुद का युद्ध10 मई, 1715 ई.पिलसुद
(मध्य प्रदेश)
सवाई जयसिंह
(मुगल)
2मंदसौर का युद्ध1733 ई.मंदसौर
(मध्य प्रदेश)
मराठा
3रामपुरा का युद्ध1735 ई.रामपुरा
(कोटा, राजस्थान)
मराठा

धौलपुर समझौता :-

  • समय : 1741 ई.
  • स्थान : धौलपुर
  • मध्य : सवाई जयसिंह + बालाजी बाजीराव (मराठा पेशवा)
  • इस समझौते में मुगल बादशाह मुहम्मद शाह रंगीला की तरफ से प्रतिनिधित्व सवाई जयसिंह ने किया।

सांस्कृतिक उपलब्धियां :-

  • अश्वमेध यज्ञ :-
    • आयोजन : 1740 ई. में जयसिंह द्वारा
    • पुरोहित : पुंडरीक रत्नाकर
    • जयपुर के सभी दरवाजे बंद कर दिए गए और एक घोड़ा छोड़ा गया जिसे दीप सिंह कुम्भाणी ने पकड़ लिया।
  • स्थापत्य कला
  • साहित्य कला
  • चित्रकला

सांस्कृतिक उपलब्धियां

क्र. सं.स्थापत्य कलासंस्थापकविशेष
1जयपुर शहरजयसिंह𑇐 स्थापना : 18 नवंबर, 1727 ई.
𑇐 वास्तुकार : विद्याधर भट्टाचार्य (बंगाल)
𑇐 इसकी स्थापना में पुर्तगाली ज्योतिषी जेवियर डी सिल्वा की सहायता ली गई।
𑇐 इस शहर को केन्टन (चीन) एवं बगदाद (इराक) शहरों की तर्ज पर बसाया गया।
𑇐 यह 9 वर्गों के सिद्धांत पर बसाया गया।
𑇐 यह भारत का पहला आधुनिक एवं नियोजित शहर है।
𑇐 बादल महल, सिटी पैलेस (जयपुर) की पहली इमारत थी जिसे पहले शिकार होदी के नाम से जाना जाता था।
𑇐 बख्तराम शाह की पुस्तक बुद्धि विलास से जयपुर की स्थापना की जानकारी मिलती है।
𑇐 जयपुर कछवाहा वंश की चौथी राजधानी थी।
𑇐 वर्ष 2019 में युनेस्को ने जयपुर शहर को विश्व विरासत सूची में शामिल किया।
𑇐 स्टेलनी रीड ने अपनी पुस्तक ‘Royal Towns of India’ में जयपुर को ‘पिंक सिटी’ कहा है।
2नाहरगढ़ का किला
(जयपुर)
जयसिंह𑇐 यह किला मराठों के खिलाफ सुरक्षा हेतु बनवाया गया।
𑇐 अन्य नाम :-
1. जयपुर का पहरेदार
2. सुदर्शनगढ़ (पहले)
𑇐 शहरी सैनिक नाहरसिंह के नाम पर इस किले का नाम नाहरगढ़ रखा गया।
3चंद्र महल
(जयपुर)
जयसिंह𑇐 वर्तमान नाम : सिटी पैलेस
𑇐 इसे जयसिंह ने स्वयं के लिए बनवाया था।
𑇐 यह 7 मंजिला इमारत है, जिसके सबसे ऊपरी भाग को मुकुट मंदिर कहते हैं।
4सिसोदिया रानी का महल
(जयपुर)
जयसिंह𑇐 जयसिंह ने अपनी रानी चंद्र कंवर हेतु महल का निर्माण करवाया जिसे सिसोदिया रानी का महल कहा जाता है।
5जल महल
(जयपुर)
जयसिंह𑇐 यह महल जयपुर की मानसागर झील में स्थित है।
𑇐 अश्वमेध यज्ञ के ब्राह्मणों को इसी महल में ठहराया गया था।
6गोविन्द देव जी मंदिर
(जयपुर)
जयसिंह𑇐 यह मंदिर गौड़ीय/गोडीय सम्प्रदाय का प्रमुख मंदिर है।
𑇐 जयपुर के राजा स्वयं को गोविन्द देव जी का दीवान मानते थे।
7हरमाड़ा नहर
(जयपुर)
जयसिंह𑇐 इस नहर का निर्माण जयपुर में पेयजल की आपूर्ति हेतु किया गया था।
8जंतर मंतरजयसिंह𑇐 जयसिंह ने भारत के 5 स्थानों पर जंतर मंतर का निर्माण करवाया। जैसे-
1. दिल्ली (सबसे पहला)
2. जयपुर (सबसे बड़ा)
3. उज्जैन (मध्य प्रदेश)
4. मथुरा (उत्तर प्रदेश)
5. काशी (वाराणसी, उत्तर प्रदेश)
𑇐 वास्तविक नाम : यंत्र-मंत्र
𑇐 वर्ष 2010 में जयपुर के जंतर मंतर को यूनेस्को की विश्व विरासत सूची में शामिल किया गया।
साहित्य कला
1जयसिंह कारिका
(ज्योतिष ग्रंथ)
𑇐 यह ज्योतिष ग्रंथ जयसिंह द्वारा लिखा गया।
2जीज-ए-मुहम्मदशाही
(नक्षत्र सारणी)
𑇐 यह नक्षत्र सारणी जयसिंह ने मुहम्मद शाह रंगीला पर तैयार करवाई।
चित्रकला
1सूरत खाना
(चित्रकला विभाग)
जयसिंह𑇐 चित्रकार : साहिबराम, मुहम्मदशाह

दरबारी विद्वान

क्र. सं.दरबारी विद्वानविशेष
1पुंडरीक रत्नाकर𑇐 पुस्तक : जयसिंह कल्पद्रुम
2पण्डित जगन्नाथ𑇐 पुस्तकें : सिद्धान्त सम्राट तथा सिद्धान्त कौस्तुभ
𑇐 इसने यूक्लिड ज्यामिति नामक पुस्तक का संस्कृत भाषा में अनुवाद किया।
3केवलराम𑇐 इसने लोगरिथम नामक फ्रेन्च पुस्तक का संस्कृत भाषा में अनुवाद किया।
4नयन चन्द्र मुखर्जी𑇐 इसने ऊकर नामक अरबी ग्रंथ का संस्कृत भाषा में अनुवाद किया
5मुहम्मद मेहरी𑇐 इसे विदेशों से पुस्तकें लाने के लिए भेजा गया।
6मुहम्मद शरीफ𑇐 इसे विदेशों से पुस्तकें लाने के लिए भेजा गया।
7बख्तराम शाह𑇐 पुस्तक : बुद्धिविलास (इस पुस्तक से जयपुर की स्थापना की जानकारी मिलती है।)

सामाजिक सुधार :-

  • जयपुर में सत्ती प्रथा एवं बाल विवाह को नियंत्रित किया।
  • विधवा विवाह एवं अंतरजातीय विवाह को प्रोत्साहन दिया।
  • साधु संतो को गृहस्थ जीवन जीने के लिए प्रेरित किया तथा उनके लिए मथुरा (उत्तर प्रदेश) के पास वैरागपुर नामक गाँव बसाया।
  • ब्राह्मणों के आपसी भेदभाव को समाप्त किया।

देबारी समझौता :-

  • समय : 1708 ई.
  • स्थान : देबारी (उदयपुर)
  • इस समझौते के अनुसार माधोसिंह को जयपुर का राजा होना चाहिए था, लेकिन जयसिंह ने ईश्वरी सिंह को राजा बना दिया।
  • माधोसिंह तथा ईश्वरी सिंह में जयपुर की राजगद्दी हेतु उत्तराधिकारी संघर्ष हुआ।
  • शासन काल : 1743-1750 ई.

राजमहल का युद्ध :-

  • समय : 1747 ई.
  • स्थान : राजमहल (टोंक)
  • मध्य : ईश्वरीसिंह (जीत) Vs माधोसिंह प्रथम (हार)
  • ईश्वरीसिंह के सहयोगी :-
    1. सूरजमल (भरतपुर)
  • माधोसिंह प्रथम के सहयोगी :-
    1. जगत सिंह द्वितीय (मेवाड़)
    2. उम्मेद सिंह (बूंदी)
    3. दुर्जन साल (कोटा)
    4. मराठा
  • इस युद्ध की जीत की याद में ईश्वरीसिंह ने जयपुर में ईसरलाट/ लाट-मीनार (7 मंजिला स्तम्भ) का निर्माण करवाया। जिसका वर्तमान नाम सरगासूली है।

बगरू का युद्ध :-

  • समय : 1748 ई.
  • स्थान : बगरू (जयपुर)
  • मध्य : ईश्वरीसिंह (हार) Vs माधोसिंह प्रथम (जीत)
  • ईश्वरीसिंह के सहयोगी :-
    1. सूरजमल (भरतपुर)
  • माधोसिंह प्रथम के सहयोगी :-
    1. जगत सिंह द्वितीय (मेवाड़)
    2. उम्मेद सिंह (बूंदी)
    3. दुर्जन साल (कोटा)
    4. मराठा
  • युद्ध के बाद-
    • ईश्वरीसिंह ने माधोसिंह प्रथम को पाँच परगने दिए।
    • उम्मेद सिंह को बूंदी का राजा मान लिया गया।
    • मराठों को युद्ध हरजाना दिया गया।
    • मराठों ने ईश्वरीसिंह को युद्ध हरजाने हेतु परेशान किया। अतः ईश्वरीसिंह ने आत्महत्या कर ली।
  • ईश्वरीसिंह राजस्थान का एकमात्र ऐसा राजा है, जिसने मराठों से परेशान होकर आत्महत्या कर ली थी।
  • शासन काल : 1750-1768 ई.
  • 1751 ई. में इसने जयपुर में मराठों का कत्लेआम करवाया।

कांकोड का युद्ध :-

  • समय : 1759 ई.
  • स्थान : कांकोड (टोंक)
  • मध्य : माधोसिंह प्रथम (जीत) Vs मराठा (हार)

भटवाड़ा का युद्ध :-

  • समय : 1761 ई.
  • स्थान : भटवाड़ा (बारां)
  • मध्य : माधोसिंह प्रथम Vs शत्रुशाल (कोटा)
  • कारण : रणथम्भौर का किला
  • जीत : शत्रुशाल
  • इस युद्ध में शत्रुशाल की तरफ से सेनापति कोटा का जालिम सिंह झाला था।

सांस्कृतिक उपलब्धियां

क्र. सं.स्थापत्य कलासंस्थापकविशेष
1सवाई माधोपुर शहर
(राजस्थान)
माधोसिंह प्रथम𑇐 स्थापना : 1763 ई.
2माधोराजपुरा किला
(जयपुर)
माधोसिंह प्रथम𑇐 यह किला मराठों पर जीत की याद में बनवाया गया।
3शीतला माता मंदिर
(चाकसू, जयपुर)
माधोसिंह प्रथम
4मोती डूंगरी महल
(जयपुर)
माधोसिंह प्रथम

  • शासन काल : 1778-1803 ई.
  • यह ब्रजनिधि नाम से कविताएँ लिखता था।
  • इसकी कविताओं के संग्रह को ब्रजनिधि ग्रंथावली कहते हैं।
  • काव्य गुरु : गणपति भारती
  • संगीत गुरु :-
    1. चाँद खाँ :-
      • प्रतापसिंह ने इसे बुद्ध प्रकाश की उपाधि दी।
      • पुस्तक : स्वर सागर
  • इसके काल में जयपुर में तमाशा लोक नाट्य लोकप्रिय हुआ। जिसके लिए बंशीधर भट्ट को महाराष्ट्र से जयपुर बुलाया गया।
  • इसके दरबार में 22 कलाकार (विद्वान) थे। जिन्हें गंधर्व/ प्रताप बाईसी कहा जाता था।
  • इसने 22 कलाकारों/ विद्वानों हेतु गुणीजन खाना नामक विभाग बनवाया।

तुंगा का युद्ध :-

  • समय : 1787 ई.
  • स्थान : तुंगा (लालसोट के पास, जयपुर)
  • मध्य : प्रतापसिंह (जीत) Vs मराठा (हार)
  • मराठा सेनापति : महादजी सिंधिया
  • प्रतापसिंह का सहयोगी : विजयसिंह (जोधपुर/ मारवाड़)

पाटन का युद्ध :-

  • समय : 1790 ई.
  • स्थान : पाटन (सीकर)
  • मध्य : प्रतापसिंह + विजयसिंह (जोधपुर/ मारवाड़) Vs मराठा
  • मराठा सेनापति : डी.बोई (फ्रांसीसी)
  • जीत : मराठा

मालपुरा का युद्ध :-

  • समय : 1800 ई.
  • स्थान : मालपुरा (टोंक)
  • मध्य : प्रतापसिंह + भीमसिंह (जोधपुर/ मारवाड़) Vs मराठा
  • मराठा सेनापति : दौलत राव सिंधिया
  • जीत : मराठा

सांस्कृतिक उपलब्धियां

क्र. सं.स्थापत्य कलासंस्थापकविशेष
1हवामहल
(जयपुर)
प्रतापसिंह𑇐 स्थापना : 1799 ई.
𑇐 वास्तुकार : उस्ताद लालचन्द्र
𑇐 आकृति : भगवान श्री कृष्ण के मुकुट के समान
𑇐 यह 5 मंजिला इमारत है। जैसे-
1. शरद/ प्रताप मंदिर (पहली)
2. रतन मंदिर (दूसरी)
3. विचित्र मंदिर (तीसरी)
4. प्रकाश मंदिर (चौथी)
5. हवा मंदिर (पांचवी)
𑇐 खिड़कियां : 365
𑇐 झरोखे : 953
𑇐 हवामहल से रानियां तीज तथा गणगौर की सवारियां देखती थी।
साहित्य कला
1𑇐 प्रतापसिंह बृजनिधि नाम से कविताएं लिखता था।
चित्रकला
1चित्रकला स्कूल
(जयपुर)
प्रतापसिंह𑇐 प्रतापसिंह का शासन काल जयपुर चित्रकला का स्वर्णकाल माना जाता है।
𑇐 चित्रकार : लालचन्द (इसने जयपुर की चित्रकला स्कूल में पशुओं की लड़ाई के चित्र बनाये)

संगीत सम्मेलन :-

  • आयोजन : जयपुर (प्रतापसिंह द्वारा)
  • अध्यक्ष : देवर्षि बृजपाल भट्ट
  • इस सम्मेलन में शामिल होने वाले सभी सदस्यों द्वारा ‘राधा गोविन्द संगीत सार’ नामक पुस्तक लिखी गई।

  • शासन काल : 1803-1818 ई.
  • इसकी प्रेमिका सर कपूर (नर्तकी) के कारण इसे जयपुर का बदनाम शासक भी कहते हैं।
  • सर कपूर को शासन कार्यों में हस्तक्षेप के कारण नाहरगढ़ किले में नजर बंद कर दिया गया।
  • 1818 ई. में इसने अंग्रेजों से संधि की।

गिंगोली का युद्ध :-

  • समय : 1807 ई.
  • स्थान : गिंगोली (नागौर)
  • मध्य : जगतसिंह द्वितीय Vs मानसिंह

नोट : विजयसिंह (जोधपुर) की प्रेमिका गुलाबराय को 'जोधपुर की नूरजहाँ' कहा जाता है।

  • शासन काल : 1835-1880 ई.
  • यह अपने पिता सवाई जयसिंह तृतीय की मृत्यु के बाद कम उम्र में राजा बना।
  • संरक्षक : मेजर जॉन लुडलो
  • इसके शासन काल में जॉन लुडलो ने निम्न कुरीतियों पर रोक लगाई-
    1. सत्ती प्रथा
    2. समाधि प्रथा
    3. कन्या वध
    4. मानव व्यापार (कन्या क्रय-विक्रय)
  • इसने 1857 ई. की क्रांति में अंग्रेजों का साथ दिया इसीलिए अंग्रेजों ने इसे ‘सितार-ए-हिन्द’ की उपाधि तथा ‘कोटपुतली’ परगना दिया।
  • 1868 ई. में इसने ब्रिटिश शासक जार्ज एडवर्ड पंचम के जयपुर आगमन के समय जयपुर में गुलाबी रंग (गेरुआ रंग) करवाया।
  • जाॅर्ज एडवर्ड पंचम ने जयपुर को ‘गोल्डन बर्ड‘ कहा।
  • इसके काल में जयपुर में ‘ब्लू पॉटरी’ लोकप्रिय हुई।

सांस्कृतिक उपलब्धियां

क्र. सं.सांस्कृतिक उपलब्धियांस्थापनासंस्थापकविशेष
1मदरसा-ए-हुनरी1857 ई.रामसिंह द्वितीय𑇐 इस संस्थान की स्थापना राज्य में कला एवं संस्कृति के विकास हेतु की गई।
𑇐 1886 ई. में सवाई माधोसिंह द्वितीय ने इसका नाम बदलकर ‘महाराजा स्कूल ऑफ आर्ट्स एंड क्राफ्ट्स’ कर दिया।
𑇐 1988 ई. में इसका नाम बदलकर ‘राजस्थान स्कूल ऑफ आर्ट्स एण्ड क्राफ्ट्स’ कर दिया।
𑇐 वर्तमान नाम : राजस्थान स्कूल ऑफ आर्ट्स एण्ड क्राफ्ट्स
2कन्या विद्यालय
(जयपुर)
1866 ई.रामसिंह द्वितीय𑇐 इसकी स्थापना कांति चंद्र मुखर्जी की सलाह पर की गई थी।
𑇐 राजस्थान की किसी भी रियासत में यह पहला कन्या विद्यालय था।
3महाराजा काॅलेज
(जयपुर)
1844 ई.रामसिंह द्वितीय
4संस्कृत काॅलेज
(जयपुर)
1844 ई.रामसिंह द्वितीय
5अलबर्ट हाॅल संग्रहालय
(जयपुर)
1876 ई.रामसिंह द्वितीय𑇐 इसकी स्थापना प्रिंस अलबर्ट के जयपुर आगमन पर की गई।
𑇐 नींव : 1876 ई. (प्रिंस अलबर्ट द्वारा)
𑇐 वास्तुकार : स्टीवन जैकब
𑇐 उद्घाटन : 1887 ई. (एडवर्ड ब्रेडफोर्ड द्वारा)
𑇐 यह राजस्थान का पहला संग्रहालय है।
6रामगढ़ बाँध
(जयपुर)
रामसिंह द्वितीय
7रामनिवास बाग
(जयपुर)
रामसिंह द्वितीय
8रामप्रकाश थिएटर
(जयपुर)
रामसिंह द्वितीय

रूपा बढारण केस :-

  • यह केस जयपुर के राजा सवाई जयसिंह तृतीय की मृत्यु से संबंधित था।
  • इस केस की जाँच हेतु ब्लैक और ऑलविज नामक दो अंग्रेज अधिकारी नियुक्ति किये गये थे।
  • जयपुर की जनता ने इन अंग्रेज अधिकारियों पर हमला कर दिया, जिसमें ब्लैक मारा गया।
  • शासन काल : 1880-1922 ई.
  • अन्य नाम : बब्बर शेर
  • इसने अपनी 9 दासियों हेतु नाहरगढ़ (जयपुर) में 9 एक जैसे महल बनवाए।
  • इसने बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी (B.H.U.) की स्थापना हेतु महन मोहन मालवीय को 5 लाख रुपये की आर्थिक सहायता दी।
  • 1904 ई. में इसने जयपुर में डाक व्यवस्था की शुरुआत की। जो राजस्थान की किसी भी रियासत में पहली बार किया गया।
  • इसने चन्द्रमहल (जयपुर) में मुगल, राजपूत तथा यूरोपियन शैली में मुबारक महल का निर्माण करवाया।

  • शासन काल : 1922-1947 ई.
  • रानी : गायत्री देवी (कूच बिहार)
  • प्रधानमंत्री : मिर्जा इस्माइल (आधुनिक जयपुर का निर्माता)
  • यह आमेर (जयपुर) के कछवाह वंश का अंतिम शासक था।
  • यह आजादी के समय आमेर (जयपुर) का राजा था।
  • 1949-1956 ई. तक यह राजस्थान के राजप्रमुख के पद पर रहे।
  • यह राजस्थान का प्रथम, अंतिम एवं एकमात्र राजप्रमुख था।

गायत्री देवी :-

  • यह 1962 ई. में स्वतंत्र पार्टी से आम चुनाव जीतकर लोकसभा सदस्य बनी।
  • यह राजस्थान से पहली महिला लोकसभा सदस्य थी।
  • आत्मकथा : The Princess Remembers
  • मृत्यु : 29 जुलाई 2009

  • मिर्जा राजा जयसिंह ने कल्याणसिंह नरुका को माचेड़ी (जयपुर) की जागीर दी।
  • अलवर में कछवाहा वंश की नरुका शाखा का शासन था।

अलवर में कछवाहा वंश के प्रमुख राजा

क्र. सं.राजा
1प्रताप सिंह
2बख्तावर सिंह
3विनय सिंह
4जयसिंह
5तेजसिंह

  • यह आमेर (जयपुर) रियासत के अधीन माचेड़ी ठिकाने का सामंत था।
  • यह माचेड़ी से अलवर गया।
  • 1774 ई. में मुगल बादशाह शाह आलम द्वितीय ने इसे अलवर का स्वतंत्र राजा घोषित कर दिया।
  • 1775 ई. में इसने अलवर पर अधिकार कर अपनी राजधानी बनाया।

दरबारी विद्वान

क्र. सं.दरबारी विद्वानपुस्तक
1जाचक जीवणप्रताप रासौ
  • यह बख्तेश तथा चन्द्रसखी नाम से कविताएं लिखता था।
  • 14 नवम्बर 1803 ई. में इसने अंग्रेजों से संधि की।
  • दासी : मूसी महारानी

नोट : 1803 ई. में राजस्थान की अलवर तथा भरतपुर दोनों रियासतों ने अंग्रेजों से संधि की।

लसवाड़ी का युद्ध :-

  • समय : 1 नवंबर, 1803 ई.
  • स्थान : लसवाड़ी गाँव (अलवर)
  • मध्य : मराठा Vs अंग्रेज (बख्तावर सिंह)
  • रानी : शीला
  • अंग्रेजों ने अलवर का विभाजन कर बलवन्त सिंह को तिजारा दे दिया।
  • कुछ समय बाद इसने तिजारा पुनः प्राप्त कर लिया।

सांस्कृतिक उपलब्धियां

क्र. सं.सांस्कृतिक उपलब्धियांनिर्माणविशेष
1मूसी महारानी की छतरी
(अलवर)
विनय सिंह𑇐 खम्भे : 80
𑇐 अन्य नाम : 80 खम्भों की छतरी
𑇐 मूसी महारानी बख्तावर सिंह की दासी थी।
2सिलीसेढ़ झील
(अलवर)
विनय सिंह𑇐 इसका निर्माण विनय सिंह ने अपनी रानी शीला के लिए करवाया।
𑇐 अन्य नाम : राजस्थान का नन्दन कानन

  • इसने उत्तर प्रदेश की बनारस हिन्दी विश्वविद्यालय (B.H.U.) एवं अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्याल (A.M.U.) तथा लाहौर की सनातन धर्म कॉलेज को आर्थिक सहायत दी।
  • इसने पहले गोलमेज सम्मेलन में भाग लिया।
  • 10 दिसम्बर 1903 ई. को इसने बाल विवाह तथा अनमेल विवाह पर रोक लगा दी।
  • इसने स्वेदशी वस्तुओं का प्रयोग प्रारम्भ किया।
  • इसने गाँवों में पंचायतों की स्थापना की।
  • ड्यूक ऑफ एडिनबर्ग के आगमन पर इसने अलवर में सरिस्का महल का निर्माण करवाया।
  • 1933 ई. में तिजारा दंगों के बाद अंग्रेजों ने इसे राजा के पद से हटा दिया। जिसके बाद यह पेरिस (फ्रांस) चला गया।
  • इसने अलवर में तथा किशनसिंह ने भरतपुर में हिन्दी को राष्ट्र भाषा घोषित किया।
  • मृत्यु : पेरिस (फ्रांस)

चैम्बर ऑफ प्रिंसेज :-

  • अध्यक्ष (क्रमशः) :-
    1. गंगासिंह
    2. जयसिंह
  • जयसिंह ने इसका नाम बदलकर ‘नरेन्द्र मंडल’ कर दिया।

  • यह आजादी के समय अलवर का राजा था।
  • महात्मा गाँधी की हत्या में इसकी संदिग्ध भूमिका थी, लेकिन बाद में उच्चतम न्यायालय ने इसे निर्दोष करार दे दिया।
  • महात्मा गाँदी की हत्या में अलवर के प्रधानमंत्री भास्कर खरे को भी संदिग्ध माना गया।

Leave a Comment

error: Content is protected !!