भारत निर्वाचन आयोग (ECI) : परिचय, संरचना, कार्य, कमियां, सुझाव एवं मुख्य निर्वाचन आयुक्त

  • यह एक स्थायी, स्वतंत्र एवं संवैधानिक आयोग है, जो भारत में संघ एवं राज्य चुनावों का संचालन करता है। जैसे-
    1. लोक सभा
    2. राज्य सभा
    3. राज्य विधानसभा
    4. राष्ट्रपति
    5. उप-राष्ट्रपति
  • प्रावधान : संविधान में आयोग का प्रावधान 26 नवंबर, 1949 को भाग-15 के अनुच्छेद 324 से 329 तक में किया गया है।
  • स्थापना : 25 जनवरी, 1950 (संविधान के अनुसार)
  • राष्ट्रीय मतदाता दिवस :-
    • भारत में प्रतिवर्ष 25 जनवरी के दिन राष्ट्रीय मतदाता दिवस मनाया जाता है, क्योंकि भारत में 25 जनवरी 1950 को निर्वाचन आयोग का गठन किया गया था।
    • भारत में पहली बार ‘राष्ट्रीय मतदाता दिवस’ 25 जनवरी 2011 को मनाया गया था।
  • आयोग ने अपना स्वर्ण जयंती वर्ष 2001 में मनाया था।
  • मुख्यालय : नई दिल्ली

अनुच्छेदप्रावधान
324𑇐 भारत निर्वाचन आयोग की संरचना
𑇐 मुख्य निर्वाचन आयुक्त की नियुक्ति प्रक्रिया
325𑇐 किसी भी व्यक्ति को लिंग, जाति, धर्म या मूलवंश के आधार पर मतदान से वंचित नहीं किया जा सकता।
326𑇐 मतदान का अधिकार
𑇐 61वें संविधान संशोधन, 1989 द्वारा इसमें वयस्क मताधिकार की आयु 18 वर्ष की गई। (पहले वयस्क मताधिकार की आयु 21 वर्ष थी।)
𑇐 इसके तहत अनिवासी भारतीय (NRI), मानसिक विकृतचित तथा कैदी को मतदान अधिकार से वंचित किया जा सकता है।
327𑇐 निर्वाचन के संबंध में उपबंध करने की संसद की शक्ति। (संसद निर्वाचन संबंधी नियम भी बना सकती है।)
328𑇐 निर्वाचन के संबंध में उपबंध करने की राज्य विधानमंडल की शक्ति। (राज्य विधानमंडल निर्वाचन संबंधी नियम भी बना सकती है।)
329𑇐 निर्वाचन संबंधी मामलों में न्यायालय का हस्तक्षेप वर्जित है। अर्थात् आयोग द्वारा किसी भी प्रकार का कानून बनाये जाने पर न्यायालय किसी भी प्रकार से हस्तक्षेप नहीं कर सकता है।

61वां संविधान संशोधन अधिनियम, 1988

लोकसभा में पेश13 दिसंबर, 1988 (तत्कालीन जल संसाधन मंत्री बी. शंकरानंद द्वारा)
लोकसभा में पारित15 दिसंबर, 1988
राज्यसभा में पारित20 दिसंबर, 1988
राष्ट्रपति द्वारा स्वीकृति28 मार्च, 1989
लागू28 मार्च, 1989
प्रधानमंत्री (PM)राजीव गांधी
राष्ट्रपतिरामास्वामी वेंकटरमण
(आर. वेंकटरमण)

समयसदस्य संख्यापद
25 जनवरी, 1950 से 15 अक्टूबर, 1989 तक1𑇐 मुख्य निर्वाचन आयुक्त- 1
16 अक्टूबर, 1989 से 31 दिसंबर, 1989 तक3𑇐 मुख्य निर्वाचन आयुक्त- 1
𑇐 निर्वाचन आयुक्त- 2
1 जनवरी, 1990 से 30 सितंबर, 1993 तक1𑇐 मुख्य निर्वाचन आयुक्त- 1
1 अक्टूबर, 1993 से वर्तमान तक3𑇐 मुख्य निर्वाचन आयुक्त- 1
𑇐 निर्वाचन आयुक्त- 2

वर्तमान संरचना

क्र. सं.पदवर्तमान सदस्यकार्यकालविशेषताएं
1मुख्य निर्वाचन आयुक्तज्ञानेश कुमार19-02-2025
से
लगातार
𑇐 ये भारत के वर्तमान मुख्य निर्वाचन आयुक्त हैं।
𑇐 ये भारत के 26वें निर्वाचन आयुक्त हैं।
𑇐 ये केरल कैडर के 1988 बैच के IAS अधिकारी हैं।
𑇐 ये भारत के मुख्य निर्वाचन आयुक्त बनने से पहले भारत के निर्वाचन आयुक्त के पद पर कार्यरत थे।
2निर्वाचन आयुक्तडॉ. सुखबीर सिंह संधु15-03-2024
से
लगातार
𑇐 ये भारत के वर्तमान निर्वाचन आयुक्त हैं।
𑇐 ये उत्तराखंड कैडर के 1988 बैच के IAS अधिकारी हैं।
𑇐 ये भारत के निर्वाचन आयुक्त बनने से पहले जुलाई 2021 से जनवरी 2024 तक उत्तराखंड सरकार में मुख्य सचिव के पद पर कार्यरत थे।
𑇐 इन्होंने लगभग 8 वर्षों तक 3 अलग-अलग राजनीतिक दलों के 4 मुख्यमंत्रियों के प्रमुख सचिव के रूप में कार्य किया।
3निर्वाचन आयुक्तडॉ. विवेक जोशी19-02-2025
से
लगातार
𑇐 ये भारत के वर्तमान निर्वाचन आयुक्त हैं।
𑇐 ये हरियाणा कैडर के 1989 बैच के IAS अधिकारी हैं।
𑇐 ये भारत के निर्वाचन आयुक्त बनने से पहले हरियाणा सरकार में मुख्य सचिव के पद पर कार्यरत थे।
कुल3

क्र. सं.स्तरअधिकारी
1केंद्रीय𑇐 मुख्य निर्वाचन आयुक्त- 1
𑇐 निर्वाचन आयुक्त- 2
2राज्य𑇐 राज्य/मुख्य निर्वाचन अधिकारी
3जिला𑇐 जिला निर्वाचन अधिकारी
4उप-खण्ड𑇐 उप-जिला निर्वाचन अधिकारी
5मतदान केंद्र𑇐 पीठासीन अधिकारी

नोट :- राज्य/मुख्य निर्वाचन अधिकारी, भारत निर्वाचन आयोग का भाग होता है।

मुख्य निर्वाचन आयुक्त
(CEC)
निर्वाचन आयुक्त
(EC)
योग्यता𑇐 मूल संविधान में उल्लेख नहीं, 2023 के अधिनियम से संविधान में जोड़ा।
𑇐 अब- ऐसा व्यक्ति जो भारत सरकार के सचिव के समतुल्य रैंक का पद धारण कर रहा है या धारण कर चुका है तथा जो सत्यनिष्ठ व्यक्ति हो, जिनके पास चुनावों के प्रबंधन और संचालन का ज्ञान और अनुभाव हो।
𑇐 मूल संविधान में उल्लेख नहीं, 2023 के अधिनियम से संविधान में जोड़ा।
𑇐 अब- ऐसा व्यक्ति जो भारत सरकार के सचिव के समतुल्य रैंक का पद धारण कर रहा है या धारण कर चुका है तथा जो सत्यनिष्ठ व्यक्ति हो, जिनके पास चुनावों के प्रबंधन और संचालन का ज्ञान और अनुभाव हो।
नियुक्ति𑇐 पहले- राष्ट्रपति द्वारा चयन समिति की सिफारिश पर, जिसमें निम्नलिखित 3 सदस्य होंगे-
1. प्रधानमंत्री (अध्यक्ष)
2. लोकसभा में विपक्ष का नेता
3. भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI)
𑇐 अब- राष्ट्रपति द्वारा चयन समिति की सिफारिश पर, जिसमें निम्नलिखित 3 सदस्य होंगे-
1. प्रधानमंत्री (अध्यक्ष)
2. लोकसभा में विपक्ष का नेता
3. प्रधानमंत्री द्वारा नामिक कैबिनेट मंत्री
𑇐 पहले- राष्ट्रपति द्वारा प्रधानमंत्री व मंत्रिपरिषद की सिफारिश पर
𑇐 अब- राष्ट्रपति द्वारा चयन समिति की सिफारिश पर, जिसमें निम्नलिखित 3 सदस्य होंगे-
1. प्रधानमंत्री (अध्यक्ष)
2. लोकसभा में विपक्ष का नेता
3. प्रधानमंत्री द्वारा नामिक कैबिनेट मंत्री
पुनर्नियुक्तनहीं𑇐 नहीं (नियुक्ति केवल CEC के पद पर की जा सकती है, समान पद पर नहीं।)
𑇐 जब किसी EC को CEC नियुक्त किया जायेगा तब उसका कार्यकाल EC तथा CEC के रूप में 6 वर्ष की कुल अवधि से अधिक नहीं होगा।
शपथराष्ट्रपतिराष्ट्रपति
कार्यकाल𑇐 1972 से पहले कार्यकाल का निर्धारण नहीं किया गया था।
𑇐 6 वर्ष या 65 वर्ष की आयु जो भी पहले हो। (1972 के अनुसार)
𑇐 1972 से पहले कार्यकाल का निर्धारण नहीं किया गया था।
𑇐 6 वर्ष या 65 वर्ष की आयु जो भी पहले हो। (1972 के अनुसार)
वेतन व भत्ते𑇐 निर्धारण- संसद
𑇐 पहले- सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के समान।
𑇐 अब- कैबिनेट सचिव के समान।
𑇐 भारत की संचित निधि पर भारित नहीं।
𑇐 कटौती नहीं की जा सकती।
𑇐 वर्तमान- 2.5 लाख रुपये प्रतिमाह
𑇐 निर्धारण- संसद
𑇐 पहले- सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के समान।
𑇐 अब- कैबिनेट सचिव के समान।
𑇐 भारत की संचित निधि पर भारित नहीं।
𑇐 कटौती नहीं की जा सकती।
𑇐 वर्तमान- 2.5 लाख रुपये प्रतिमाह
दर्जा𑇐 पहले- सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के समान।
𑇐 अब- कैबिनेट सचिव के समान।
𑇐 पहले- सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के समान।
𑇐 अब- कैबिनेट सचिव के समान।
त्यागपत्रराष्ट्रपतिराष्ट्रपति
निष्कासनराष्ट्रपति द्वारा संसद में महाभियोग प्रक्रिया के माध्यम सेराष्ट्रपति द्वारा मुख्य निर्वाचन आयुक्त की सिफारिश पर

निष्कासन प्रक्रिया (मुख्य निर्वाचन आयुक्त)

आधार1. कदाचार या दुर्व्यवहार
2. असमर्थता
प्रक्रियासर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के समान
(महाभियोग द्वारा)
महाभियोग का प्रावधानभाग-4, अनुच्छेद 124 (4)
निष्कासनसंसद में महाभियोग प्रस्ताव पारित होने पर राष्ट्रपति द्वारा

मुख्य निर्वाचन आयुक्त के खिलाफ महाभियोग प्रक्रिया :-

  • महाभियोग प्रक्रिया लोकसभा के 100 सदस्यों या राज्यसभा के 50 सदस्यों द्वारा हस्ताक्षरित प्रस्ताव से शुरू होती है।
  • यदि प्रस्ताव स्वीकार कर लिया जाता है, तो लोकसभा अध्यक्ष या राज्यसभा सभापति द्वारा एक जांच समिति का गठन किया जाता है, जिसमें तीन सदस्य शामिल होते हैं जो निम्न हैं-
    1. सर्वोच्च न्यायालय का न्यायाधीश
    2. किसी भी उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश
    3. प्रतिष्ठित न्यायविद
  • यह समिति आरोप तय करती है और मुख्य निर्वाचन आयुक्त से लिखित जवाब मांगती है।
  • यह समिति आरोपों की गहन जांच करती है।
  • जांच के बाद समिति यह निर्धारित करती है कि आरोप सही हैं या नहीं। जिसके बाद समिति अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करती है।
  • यदि जांच में वह दोषी नहीं पाया जाता है, तो आगे कोई कार्रवाई नहीं होती लेकिन यदि जांच में वह दोषी पाया जाता है तो उसी सदन में प्रस्ताव पर बहस होती है जिसमें प्रस्ताव पेश किया गया था।
  • मुख्य निर्वाचन आयुक्त या उसके प्रतिनिधि को अपना पक्ष रखने का अधिकार है।
  • उसके बाद, प्रस्ताव पर मतदान होता है।
  • प्रस्ताव पारित होने के लिए विशेष बहुमत की आवश्यकता होती है। (उस सदन में उपस्थित सदस्यों का कम से कम दो-तिहाई बहुमत।)
  • अगर मतदान करने वालों में से दो-तिहाई सदस्यों का समर्थन मिलता है, तो इस प्रस्ताव को पारित मान लिया जाता है।
  • फिर यही प्रक्रिया संसद के दूसरे सदन में दोहराई जाती है।
  • यह प्रस्ताव दोनों सदनों में पारित होने पर अनुच्छेद 124 (4) के तहत राष्ट्रपति के समक्ष प्रस्तुत किया जाता है।, जिसके बाद राष्ट्रपति द्वारा मुख्य निर्वाचन आयुक्त को पद से हटाया जाता है।

नोट :- अब तक भारत में किसी भी मुख्य निर्वाचन आयुक्त के खिलाफ महाभियोग नहीं लाया गया है।

निर्वाचन आयोग (निर्वाचन आयुक्त सेवा शर्त और कारबार का संव्यवहार) अधिनियम, 1991 :-

  • प्रकाशित : 25 जनवरी, 1991
  • प्रारंभ : 25 जनवरी, 1991
  • कार्यकाल (CEC, EC) : 6 वर्ष या 65 वर्ष की आयु जो भी पहले हो।
    • जब किसी EC को CEC नियुक्त किया जायेगा तब उसका कार्यकाल EC तथा CEC के रूप में 6 वर्ष की कुल अवधि से अधिक नहीं होगा।
  • वेतन, भत्ते और सेवा की अन्य शर्तें (CEC, EC) : सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के समान (भारत की संचित निधि पर भारित नहीं)
  • त्यागपत्र (CEC, EC) : राष्ट्रपति को संबोधित स्वहस्ताक्षरित लेख द्वारा
  • दर्जा (CEC, EC) : सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के समान।
  • निष्कासन : CEC को संसद में महाभियोग प्रक्रिया से तथा EC को CEC की सिफारिश पर राष्ट्रपति द्वारा पद से हटाया जा सकता है।

अनूप बर्नवाल बनाम भारत संघ मामला, 2023 :-

  • निर्णय की तिथि : 02 मार्च, 2023
  • सर्वोच्च न्यायालय की 5 न्यायाधीशों की पीठ ने सर्वसम्मति से निर्णय सुनाया कि CEC और EC की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा चयन समिति की सिफारिश पर की जाएगी जिसमें निम्नलिखित शामिल होंगे-
    1. प्रधानमंत्री (अध्यक्ष)
    2. लोकसभा में विपक्ष के नेता (यदि लोकसभा में विपक्ष के नेता को मान्यता नहीं दी गई है, तो लोकसभा में सबसे बड़े विपक्षी दल का नेता)
    3. भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI)
  • इस निर्णय में यह स्पष्ट किया गया है कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा उपबंधित उक्त मानक तब तक लागू रहेंगे, जब तक संसद द्वारा विधि नहीं बना दी जाती है।
  • संसद ने इस मामले में सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश के प्रत्युत्तर में “मुख्य निर्वाचन आयुक्त और अन्य निर्वाचन आयुक्त (नियुक्ति, सेवा शर्तें और पदावधि) अधिनियम, 2023” पारित किया।

मुख्य निर्वाचन आयुक्त और अन्य निर्वाचन आयुक्त (नियुक्ति, सेवा शर्तें और पदावधि) अधिनियम, 2023 :-

  • राज्यसभा में प्रस्ताव : 10 अगस्त, 2023 (विधि एवं न्याय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल द्वारा)
  • राज्यसभा में पारित : 12 दिसंबर, 2023
  • लोकसभा में पारित : 21 दिसंबर, 2023
  • मंत्रालय : विधि एवं न्याय
  • यह अधिनियम, “निर्वाचन आयोग (निर्वाचन आयुक्त सेवा शर्त और कारबार का संव्यवहार) अधिनियम, 1991” को निरस्त करता है।
  • उद्देश्य : इस अधिनियम का उद्देश्य CEC एवं EC की नियुक्ति प्रक्रिया में पारदर्शिता लाना है।
  • निर्वाचन आयोग निम्न से मिलकर बनेगा-
    • मुख्य निर्वाचन आयुक्त
    • निर्वाचन आयुक्तों की ऐसी संख्या जो, राष्ट्रपति द्वारा समय-समय पर तय की जाये।
  • योग्यता (CEC, EC) : ऐसा व्यक्ति जो भारत सरकार के सचिव के समतुल्य रैंक का पद धारण कर रहा है या धारण कर चुका है तथा जो सत्यनिष्ठ व्यक्ति हो, जिनके पास चुनावों के प्रबंधन और संचालन का ज्ञान और अनुभाव हो।
  • खोजबीन समिति :-
    • मंत्रिमंडल सचिव (अध्यक्ष)
    • भारत सरकार के सचिव रैंक के दो सदस्य
    • कार्य : CEC और EC की नियुक्ति हेतु पांच उम्मीदवारों को शॉर्ट लिस्ट करना।
  • नियुक्ति (CEC, EC) : राष्ट्रपति द्वारा चयन समिति की सिफारिश पर जिसमें निम्नलिखित शामिल होंगे-
    1. प्रधानमंत्री (अध्यक्ष)
    2. लोकसभा में विपक्ष का नेता (सदस्य)- यदि लोकसभा में विपक्ष के नेता को मान्यता नहीं दी गई है, तो लोकसभा में सबसे बड़े विपक्षी दल का नेता
    3. प्रधानमंत्री द्वारा नामित केंद्रीय कैबिनेट मंत्री। (सदस्य)
  • इस चयन समिति में कोई पद रिक्त होने पर भी चयन समिति की सिफारिशें मान्य होंगी।
  • चयन प्रक्रिया (CEC, EC) :-
    • इस अधिनियम के तहत सबसे पहले कानून मंत्रालय (खोजबीन समिति) CEC, EC की नियुक्ति के लिए उम्मीदवारों को शॉर्ट लिस्ट करेगा।
    • इसके बाद शॉर्ट लिस्ट उम्मीदवारों के नाम प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय चयन समिति के पास भेजा जायेगा।
    • चयन समिति के पास यह अधिकार है की वह शॉर्ट लिस्ट उम्मीदवार या उससे अलग किसी अन्य उम्मीदवार के नाम की सिफारिश भी कर सकती है।
    • चयन समिति अपनी सिफारिश के नाम को राष्ट्रपति के पास भेजेगी, जिसके बाद राष्ट्रपति द्वारा इन उम्मीदवारों के नाम पर अंतिम मुहर लगाई जाती है और अधिसूचना जारी कर नियुक्त किया जाता है।
  • कार्यकाल (CEC, EC) : 6 वर्ष या 65 वर्ष की आयु जो भी पहले हो
    • जब किसी EC को CEC नियुक्त किया जायेगा तब उसका कार्यकाल EC तथा CEC के रूप में 6 वर्ष की कुल अवधि से अधिक नहीं होगा।
  • पुनर्नियुक्त (CEC, EC) : नहीं
  • वेतन, भत्ते और सेवा की अन्य शर्तें (CEC, EC) : कैबिनेट सचिव के समान (भारत की संचित निधि पर भारित नहीं)
  • त्यागपत्र (CEC, EC) : राष्ट्रपति को संबोधित स्वहस्ताक्षरित लेख द्वारा
  • दर्जा (CEC, EC) : मंत्रिमंडल सचिव (कैबिनेट सचिव)
  • कार्य संचालन : आयोग के सभी कार्य संव्यवहार, यथासंभव, सर्वसम्मति से किया जाएगा और यदि CEC और EC की राय में किसी विषय पर मतभेद है तो ऐसे विषय पर विनिश्चय बहुमत के अनुसार किया जाएगा।
    • आयोग द्वारा निर्णय लेने की प्रक्रिया में सभी निर्वाचन आयुक्तों के पास समान अधिकार होते हैं।
  • निष्कासन : CEC को संसद में महाभियोग प्रक्रिया से तथा EC को CEC की सिफारिश पर राष्ट्रपति द्वारा पद से हटाया जा सकता है।

जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950-51 द्वारा आयोग की शक्तियां विस्तारित की गई है। जैसे-

  1. प्रशासनिक कार्य जैसे-
    • राष्ट्रपति व उपराष्ट्रपति के चुनावों की अधिसूचना जारी करना।
    • निम्न चुनाव करवाना-
      1. राष्ट्रपति
      2. उपराष्ट्रपति
      3. संसद (लोकसभा, राज्यसभा)
      4. राज्य विधानमंडल (विधानसभा, विधानपरिषद)
    • उप-चुनाव, मध्यावधी चुनाव करवाना।
    • चुनाव के कार्यक्रम की घोषणा करना।
    • मतदाता सूची तैयार करना, समय-समय पर संशोधन करना एवं सभी पात्र मतदाताओं को पंजीकृत करना।
    • राजनीतिक दलों का पंजीकरण करना। (पंजीकरण रद करने की शक्ति नहीं)
    • राजनीतिक दलों राष्ट्रीय व राज्य स्तर का विभाजन कर मान्यता देना।
    • राजनीतिक दलों को चुनाव चिह्न वितरित करना तथा इससे संबंधी विवाद का निस्तारण करना। (अधिनियम 1951 की धारा 19 (A) के अनुसार)
    • आदर्श आचार संहिता (MCC) का विनियमन करना।
    • संसद के परिसीमन अधिनियम के आधार पर निर्वाचन क्षेत्र का निर्धारण करना। (निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन करना।)
    • निर्वाचन संपन्न करवाने के लिए राष्ट्रपति व राज्यपाल से कर्मचारियों की आवश्यकता को लेकर आग्रह करना।
  2. सलाहकारी कार्य जैसे-
    • अनुच्छेद 103 के तहत किसी सांसद (MP) को अयोग्य घोषित करने के संबंध में राष्ट्रपति को सलाह देना।
    • अनुच्छेद 192 के तहत किसी विधायक (MLA) को अयोग्य घोषित करने के संबंध में राज्यपाल को सलाह देना।
  3. अर्द्धन्यायिक कार्य जैसे-
    • राजनीतिक दलों के आपसी विवादों का निपटारा करना।
  4. मतदाताओं की सुविधा हेतु विभिन्न कार्य करना जैसे- पेयजल, मतदाता विवरणिका, दिव्यांगों हेतु रैंप की व्यवस्था करना।
    • वर्तमान में विशेष योग्यजनों एवं वृद्धों के लिए घर पर ही मतदान की सुविधा की गई है।
  5. मतदाता जागरूकता कार्यक्रमों का क्रियान्वयन करना।

नोट :-

  • राष्ट्रपति व उपराष्ट्रपति के चुनावों की अधिसूचना भारत निर्वाचन आयोग द्वारा जारी की जाती है।
  • लोकसभा (MP) व राज्यसभा (MP) के चुनावों की अधिसूचना राष्ट्रपति द्वारा जारी की जाती है।
  • विधानसभा (MLA) व विधानपरिषद (MLC) के चुनावों की अधिसूचना राज्यपाल द्वारा जारी की जाती है।

क्र. सं.समितिगठनअध्यक्षसुझाव
1संथानम समिति1963पंडित के. संथानम𑇐 निर्वाचन प्रणाली में सुधार किया जाए।
2वी. एम. तारकुंडे समिति1974वी. एम. तारकुंडे
(विट्ठल महादेव तारकुंडे)
𑇐 मतदाता की आयु 21 वर्ष से घटाकर 18 वर्ष की जाए।
3दिनेश गोस्वामी समिति1990दिनेश गोस्वामी𑇐 मतदान में EVM का प्रयोग किया जाए।
4इंद्रजीत गुप्ता समिति1998इंद्रजीत गुप्ता𑇐 चुनाव में खर्च के लिए कोष का निर्धारण किया जाए।

  • आयोग के निर्णयों को सर्वोच्च न्यायालय एवं उच्च न्यायालय में उचित याचिका द्वारा चुनौती दी जा सकती है।
  • राष्ट्रपति एवं उपराष्ट्रपति के निर्वाचन से संबंधित मामले में याचिका केवल सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष ही दायर की जा सकती है।

  • आयोग के सदस्यों का कार्यकाल निश्चित है। (केवल महाभियोग द्वारा हटाया जा सकता है।)
  • आयोग के सदस्यों की नियुक्ति के बाद अलाभकारी परिवर्तन पर रोक हैं।
  • आयोग एक स्वतंत्र, स्थायी एवं संवैधानिक आयोग है।

  • आयोग के सदस्यों की संख्या, कार्यकाल एवं योग्यता का उल्लेख मूल संविधान में नहीं किया गया है।
  • आयोग के सदस्यों का वेतन संचित निधि पर भारित नहीं है।
  • संविधान के अनुसार आयोग के सदस्य के सेवानिवृति के बाद अन्य सरकारी नियुक्तियों पर रोक नहीं है।
  • आदर्श आचार संहिता का प्रभावी क्रियान्वयन न हो पाना।
  • मानव संसाधन (कर्मचारी) हेतु आयोग की सरकार पर निर्भरता।
  • आयोग में सरकार का अनावश्यक हस्तक्षेप।

  • मुख्य निर्वाचन आयुक्त द्वारा आदर्श आचार संहिता का प्रभावी क्रियान्वयन किया जाना चाहिए।
  • भारतीय निर्वाचन आयोग एवं राज्य निर्वाचन आयोग को साथ लाने हेतु संस्थागत तंत्र स्थापित किया जाना चाहिए ताकि दोनों एक दूसरे के अनुभवों को साझा कर सके।
  • आयोग में स्थायी कर्मचारियों की नियुक्ति की जानी चाहिए।
  • आयोग में सरकार के अनावश्यक हस्तक्षेप को कम किया जाना चाहिए।

क्र. सं.मुख्य निर्वाचन आयुक्तकार्यकालविशेष
1सुकुमार सेन21-03-1950
से
19-12-1958
𑇐 ये भारत के पहले मुख्य निर्वाचन आयुक्त हैं।
2के.वी.के. सुन्दरम20-12-1958
से
30-09-1967
𑇐 ये भारत के सर्वाधिक कार्यकाल वाले मुख्य निर्वाचन आयुक्त हैं।
3एस.पी. सेन वर्मा01-10-1967
से
30-09-1972
4डॉ. नगेन्द्र सिंह01-10-1972
से
06-02-1973
5टी. स्वामीनाथन07-02-1973
से
17-06-1977
6एस.एल. शकधर18-06-1977
से
17-06-1982
7आर.के. त्रिवेदी18-06-1982
से
31-12-1985
8आर.वी.एस. पेरी शास्त्री01-01-1986
से
25-11-1990
9श्रीमती वी.एस. रमादेवी
(कार्यवाहक)
26-11-1990
से
11-12-1990
𑇐 ये भारत की पहली और एकमात्र महिला मुख्य निर्वाचन आयुक्त हैं।
𑇐 ये भारत की सबसे कम कार्यकाल वाली मुख्य निर्वाचन आयुक्त हैं।
10टी.एन. शेषन12-12-1990
से
11-12-1996
11डॉ. एम.एस. गिल12-12-1996
से
13-06-2001
12श्री जे.एम. लिंगदोह14-06-2001
से
07-02-2004
13श्री टी.एस. कृष्णमुर्ति08-02-2004
से
15-05-2005
14श्री बी.बी. टंडन16-05-2005
से
29-06-2006
15श्री एन. गोपालस्वामी30-06-2006
से
20-04-2009
16नवीन बी. चावला21-04-2009
से
29-07-2010
17डॉ. एस. वाई कुरैशी30-07-2010
से
10-06-2012
18श्री वी.एस. संपत11-06-2012
से
15-01-2015
19श्री एच.एस. ब्रह्मा16-01-2015
से
18-04-2015
20डॉ. नसीम जैदी19-04-2015
से
05-07-2017
21श्री ए.के. जोति06-07-2017
से
22-01-2018
22श्री ओ.पी. रावत23-01-2018
से
01-12-2018
23श्री सुनील अरोड़ा02-12-2018
से
12-04-2021
24श्री सुशील चंद्रा13-04-2021
से
14-05-2022
25श्री राजीव कुमार15-05-2022
से
18-02-2025
𑇐 ये भारत के निर्वाचन आयुक्त के पद पर भी रहे।
26श्री ज्ञानेश कुमार19-02-2025
से
लगातार
𑇐 ये भारत के वर्तमान मुख्य निर्वाचन आयुक्त हैं।
𑇐 ये भारत के 26वें निर्वाचन आयुक्त हैं।
𑇐 ये केरल कैडर के 1988 बैच के IAS अधिकारी हैं।
𑇐 ये भारत के मुख्य निर्वाचन आयुक्त बनने से पहले भारत के निर्वाचन आयुक्त के पद पर कार्यरत थे।

क्र. सं.निर्वाचन आयुक्तकार्यकालविशेष
1श्री वी. एस. सेगल16-10-1989
से
02-01-1990
2श्री एस. एस. धनोआ16-10-1989
से
02-01-1990
3डॉ. जी. वी. जी. कृष्णमूर्ति01-10-1993
से
30-09-1999
4श्री अशोक लवासा23-01-2018
से
31-08-2020
5श्री राजीव कुमार01-09-2020
से
14-05-2022
𑇐 ये भारत के मुख्य निर्वाचन आयुक्त के पद पर भी रहे।
6श्री अनूप चंद्र पाण्डेया09-06-2021
से
14-02-2024
𑇐 पुस्तक : Governance in Ancient India
7श्री अरुण गोयल21-11-2022
से
09-03-2024
8श्री ज्ञानेश कुमार15-03-2024
से
18-02-2025
𑇐 ये भारत के वर्तमान मुख्य निर्वाचन आयुक्त हैं।
9डॉ. सुखबीर सिंह संधु15-03-2024
से
लगातार
𑇐 ये भारत के वर्तमान निर्वाचन आयुक्त हैं।
𑇐 ये उत्तराखंड कैडर के 1988 बैच के IAS अधिकारी हैं।
𑇐 ये भारत के निर्वाचन आयुक्त बनने से पहले जुलाई 2021 से जनवरी 2024 तक उत्तराखंड सरकार में मुख्य सचिव के पद पर कार्यरत थे।
𑇐 इन्होंने लगभग 8 वर्षों तक 3 अलग-अलग राजनीतिक दलों के 4 मुख्यमंत्रियों के प्रमुख सचिव के रूप में कार्य किया।
10डॉ. विवेक जोशी19-02-2025
से
लगातार
𑇐 ये भारत के वर्तमान निर्वाचन आयुक्त हैं।
𑇐 ये हरियाणा कैडर के 1989 बैच के IAS अधिकारी हैं।
𑇐 ये भारत के निर्वाचन आयुक्त बनने से पहले हरियाणा सरकार में मुख्य सचिव के पद पर कार्यरत थे।

  • निर्वाचन आयोग ने 2009 में निर्वाचन प्रबंधन के अभिन्न अंग के रूप में मतदाता शिक्षा एवं निर्वाचन सहभागिता को औपचारिक रूप से अपनाया है।
  • आयोग का नई दिल्ली में एक पृथक सचिवालय है।

प्रकारपरिभाषा
आम चुनावप्रत्येक 5 वर्ष में चुनाव होना।
मध्यावधि चुनावराज्य विधानमण्डल एवं लोकसभा की समाप्ति से पहले ही चुनाव करवाना।
स्नेप चुनावजब लोकसभा एवं विधानसभा अचनाक भंग हो जाये तब चुनाव की घोषणा करना स्नेप चुनाव कहलाता है।
उप-चुनावजब लोकसभा या विधानसभा का कोई भी सदस्य त्याग पत्र देता है या किसी कारण से मृत्यु हो जाती है तो रिक्त पद को भरने के लिए चुनाव करवाना उप चुनाव कहलाता है।

वर्गलोकसभा चुनावविधानसभा चुनाव
सामान्य25,000 रुपये12,500 रुपये
आरक्षित10,000 रुपये5,000 रुपये

नोट :- यदि चुनाव में डाले गए कुल वैध मतों का 16.66% या (1/6) मत प्राप्त नहीं होता है तो जमानत राशि जब्त हो जाती है।

  • EVM का पूरा नाम : Electronic Voting Machine (इलेक्‍ट्रॉनिक वोटिंग मशीन)
  • भारत में EVM मशीन की शुरुआत सन् 1991 में की गई थी।
  • भारत में बैलट यूनिट (BU) और कंट्रोल यूनिट (CU) से युक्त EVM का प्रयोग पहली बार अप्रैल, 1982 में केरल राज्य के परुर विधानसभा निर्वाचन-क्षेत्र के उपचुनाव में किया गया था। इस समय परुर विधानसभा में 50 बूथों पर EVM का प्रयोग कर चुनाव करवाये गये थे।
  • केरल राज्य के बाद नवम्बर, 1998 में राजस्थान के 5 विधानसभा, मध्य प्रदेश के 5 विधानसभा एवं दिल्ली के 6 विधानसभा निर्वाचन-क्षेत्रों के उपचुनाव के दौरान EVM का प्रयोग बड़े पैमाने पर किया गया था।
  • भारत में पहली बार सम्पूर्ण राज्य में EVM का प्रयोग सन् 1999 में गोवा विधानसभा आम चुनाव में किया गया था।
  • भारत में लोकसभा चुनाव में पहली बार EVM का प्रयोग 2004 में किया गया था। (सम्पूर्ण आम चुनाव)
  • भारत में सन् 2009 में सभी लोकसभा व विधानसभा आम चुनावों में EVM का प्रयोग होने लगा था।
  • वर्तमान में EVM के M3 मॉडल और VVPAT का उपयोग किया जाता है। पूर्ववर्ती मॉडलों की तरह, M3 EVM/VVPAT भी गैर-नेटवर्कशुदा, पूर्णतया पृथक इकाइयां हैं जो अपने स्वयं के पावर-पैक/बैटरियों पर चलती हैं।

  • VVPAT पूरा नाम : Voter Verifiable Paper Audit Trail (मतदाता सत्यापनीय पेपर आडिट ट्रेल)
  • सुब्रमण्यम स्वामी के द्वारा इसकी सिफारिश की गई थी।
  • VVPAT में उमीदवार का नाम एवं चुनाव चिह्न EVM में पेपर पर निकल कर आता है। जिस से मतदाता को यह पुष्टि हो जाती है की उसका मत सही पड़ा है या नहीं।
  • भारत में EVM के साथ VVPAT का प्रयोग पहली बार वर्ष 2013 में नागालैंड के नोकसेन विधानसभा निर्वाचन-क्षेत्र के उपचुनाव में किया गया था।
  • सम्पूर्ण भारत में VVPAT का प्रयोग 2014 में किया गया था।

  • NOTA का पूरा नाम : None of the above (उपर्युक्त में से कोई नहीं)
  • सर्वोच्च न्‍यायालय ने 27 सितंबर, 2013 में रिट याचिका सं. 2004 का 161 (ग) में दिए गए अपने निर्णय में यह निर्देश दिया है कि मतपत्रों एवं EVM में ‘NOTA’ का विकल्‍प होना चाहिए।
  • भारत में NOTA का प्रयोग पहली बार 2013 में छत्तीसगढ़ राज्य में किया गया था।
  • सम्पूर्ण भारत में NOTA का प्रयोग 2014 में 16वीं लोकसभा आम चुनाव में किया गया था।

  • सर्विस वोटर दो प्रकार से मतदान कर सकते हैं। जैसे-
    1. डाक मतपत्र
    2. प्रॉक्सी मतदान
  • प्रॉक्सी मतदान :-
    • भारत में प्रॉक्सी मतदान का अधिकार 22 सितम्बर, 2003 को दिया गया था।
    • निम्न दो श्रेणियों के सर्विस वोटर को प्रॉक्सी मतदान का अधिकार दिया गया है-
      1. सशस्त्र बलों के सदस्य (थल सेना, नौसेना और वायु सेना)
      2. अर्धसैनिक बलों के सदस्य जैसे- केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF), सीमा सुरक्षा बल (BSF), सीमा सशस्त्र बल (SSB), भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP), केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF), असम राइफल्स आदि।
    • इसमें व्यक्ति मतदान के लिए अपना प्रतिनिधि चुनता है, लेकिन इसकी सूचना निर्वाचन आयोग को देना जरूरी है।

Leave a Comment

error: Content is protected !!