राजस्थान राज्य एवं अधीनस्थ सेवाएँ संयुक्त प्रतियोगी (मुख्य) परीक्षा
पाठ्यक्रम वर्ष
2023
पाठ्यक्रम भाषा
हिन्दी
परीक्षा की योजना एवं पाठ्यक्रम-
मुख्य परीक्षा में प्रविष्ट किये जाने वाले अभ्यर्थियों की संख्या, उस वर्ष में परीक्षा के माध्यम से भरी जाने वाली रिक्तियों की कुल अनुमानित संख्या का 15 गुणा होगी, किन्तु उक्त रेंज में उन समस्त अभ्यर्थियों को, जिन्होंने वही अंक प्राप्त किये हैं, जैसा आयोग द्वारा किसी निम्नतर रेंज के लिए नियत किया जाये, मुख्य परीक्षा में प्रवेश दिया जायेगा।
लिखित परीक्षा में चार प्रश्न-पत्र होंगे जो वर्णनात्मक/ विश्लेषणात्मक होंगे।
अभ्यर्थी को चारों प्रश्नपत्र देने होंगे जिनमें संक्षिप्त, मध्यम, दीर्घ उत्तर वाले और वर्णनात्मक प्रकार के प्रश्नों वाले प्रश्नपत्र भी होंगे।
सामान्य हिन्दी और सामान्य अंग्रेजी का स्तरमान सीनियर सैकैण्डरी स्तर का होगा।
प्रत्येक प्रश्न-पत्र के लिए अनुज्ञात समय 3 घण्टे होगा।
प्रश्न पत्र
I
प्रश्न पत्र विषय
सामान्य ज्ञान एवं सामान्य अध्ययन
प्रश्न पत्र की भाषा
हिन्दी व अंग्रेजी
प्रश्न पत्र का प्रकार
लिखित परीक्षा
समय
3 घंटे
अधिकतम अंक
200
प्रश्न पत्र- I (सामान्य ज्ञान एवं सामान्य अध्ययन)
इकाई- I (इतिहास)
इकाई- II (अर्थव्यवस्था)
इकाई- III (समाजशास्त्र, प्रबंधन, लेखांकन एवं अंकेक्षण)
इकाई- I (इतिहास)-
खंड- अ (राजस्थान का इतिहास, कला, संस्कृति, साहित्य, परम्परा और धरोहर)
खंड- ब (भारतीय इतिहास एवं संस्कृति)
खंड- स (आधुनिक विश्व का इतिहास- 1950 ई. तक)
खंड- अ (राजस्थान का इतिहास, कला, संस्कृति, साहित्य, परम्परा और धरोहर)-
प्रागैतिहासिक काल से 18वीं शताब्दी के अवसान तक राजस्थान के इतिहास के प्रमुख युगांतकारी घटनाएं, महत्वपूर्ण राजवंश, उनकी प्रशासनिक एवं राजस्व व्यवस्था।
19वी-20वीं शताब्दी की प्रमुख घटनाएं: किसान एवं जनजाति आन्दोलन, राजनीतिक जागृति, स्वतन्त्रता संग्राम और एकीकरण।
राजस्थान की धरोहर: प्रदर्शन व ललित कलाएँ, हस्तशिल्प व वास्तुशिल्प, राजस्थान में विश्व विरासत के प्रमुख स्थल और राजस्थान में पर्यटन, मेले, पर्व, लोक संगीत व लोक नृत्य।
राजस्थानी साहित्य की महत्वपूर्ण कृतियाँ एवं राजस्थान की बोलियाँ।
राजस्थान के संत, लोक देवता एवं महत्वपूर्ण विभूतियाँ।
खंड- ब (भारतीय इतिहास एवं संस्कृति)-
भारतीय धरोहर: सिन्धु सभ्यता से लेकर ब्रिटिश काल तक के भारत की ललित कलाएँ, प्रदर्शन कलाएँ, वास्तुकला एवं साहित्य।
प्राचीन एवं मध्यकालीन भारत के धार्मिक आन्दोलन और धर्म दर्शन।
19वीं शताब्दी के प्रारम्भ से 1965 ई. तक आधुनिक भारत का इतिहास: महत्वपूर्ण घटनाक्रम, व्यक्तित्व और मुद्दे।
भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन- इसके विभिन्न चरण व धाराएँ, प्रमुख योगदानकर्ता और देश के भिन्न-भिन्न भागों से योगदान।
19वीं तथा 20वीं शताब्दी में सामाजिक- धार्मिक सुधार आन्दोलन।
स्वातंत्र्योत्तर सुदृढ़ीकरण और पुनर्गठन- देशी रियासतों का विलय तथा राज्यों का भाषायी आधार पर पुनर्गठन।
खंड- स (आधुनिक विश्व का इतिहास- 1950 ई. तक)-
पुनर्जागरण व धर्म सुधार।
अमेरिकी स्वतंत्रता संग्राम, फ्रांसीसी क्रांति 1789 ई. व औद्योगिक क्रांति।
एशिया व अफ्रीका में साम्राज्यवाद और उपनिवेशवाद।
विश्व युद्धों का प्रभाव।
इकाई- II (अर्थव्यवस्था)-
खंड- अ (भारतीय अर्थशास्त्र)
खंड- ब (वैश्विक अर्थव्यवस्था)
खंड- स (राजस्थान की अर्थव्यवस्था)
खंड- अ (भारतीय अर्थशास्त्र)-
कृषि- भारतीय कृषि में वृद्धि एवं उत्पादकता की प्रवृत्तियाँ।
खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र और खाद्य प्रबंधन।
कृषिगत सुधार और चुनौतियाँ।
औद्योगिक क्षेत्र की प्रवृत्तियाँ- औद्योगिक नीति एवं औद्योगिक वित्त।
उदारीकरण, वैश्वीकरण, निजीकरण और आर्थिक सुधार।
अवसंरचना और आर्थिक वृद्धि।
स्फीति, कीमतें और मांग/ पूर्ति प्रबंधन।
केन्द्र-राज्य वित्तीय संबंध और नवीनतम वित्त आयोग।
राजकोषीय उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबंधन अधिनियम और भारत में राजकोषीय सुधार।
बजटीय प्रवृतियाँ और राजकोषीय नीति।
भारत में कर सुधार।
अनुदान- नकद हस्तान्तरण और अन्य संबंधित मुद्दे।
राजस्व और व्यय की प्रवृतियाँ।
आर्थिक गतिविधियों में सरकार की भूमिका।
निजी, सार्वजनिक और मेरिट वस्तुऐं।
सामाजिक क्षेत्र- गरीबी, बेरोजगारी और असमानता।
स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा नीति।
प्रभावी नियामक की समस्या।
आर्थिक विकास में राज्य की भूमिका को पुनर्भाषित करना और रोजगार उन्मुख वृद्धि व्यूह रचना।
खंड- ब (वैश्विक अर्थव्यवस्था)-
वैश्विक आर्थिक मुद्दे और प्रवृत्तियाँ : विश्व बैंक, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व व्यापार संगठन की भूमिका।
सतत् विकास एवं जलवायु परिवर्तन।
खंड- स (राजस्थान की अर्थव्यवस्था)-
कृषि परिदृश्य- उत्पादन एवं उत्पादकता।
जल संसाधन और सिंचाई।
कृषि विपणन।
डेयरी एवं पशुपालन।
ग्रामीण विकास और ग्रामीण अवसंरचना।
पंचायती राज और राज्य वित्त आयोग।
औद्योगिक विकास का संस्थागत ढ़ाँचा।
औद्योगिक वृद्धि और नव प्रवृत्तियाँ।
खादी और ग्रामोद्योग।
अवसंरचना विकास- विद्युत और परिवहन।
अवसंरचना में निजी विनियोग और सार्वजनिक-निजी सहभागिता परियोजनाएं- दृष्टिकोण और सम्भावनाएं।
राजस्थान की प्रमुख विकास परियोजनाएं।
राज्य बजट और राजकोषीय प्रबंधन- मुद्दे और चुनौतियाँ।
राजस्थान की आर्थिक कल्याण योजनाएं।
सामाजिक न्याय और सशक्तिकरण।
बुनियादी सामाजिक सेवाएं- शिक्षा व स्वास्थ्य।
गरीबी, बेरोजगारी और सतत् विकास लक्ष्य।
इकाई- III (समाजशास्त्र, प्रबंधन, लेखांकन एवं अंकेक्षण)-
खंड- अ (समाजशास्त्र)
खंड- ब (प्रबंधन)
खंड- स (लेखांकन एवं अंकेक्षण)
खंड- अ (समाजशास्त्र)-
भारत में समाजशास्त्रीय विचारों का विकास-
भारतीय समाज में जाति और वर्ग : प्रकृति, उद्भव, प्रकार्य और चुनौतियां
परिवर्तन की प्रक्रियाएं : संस्कृतिकरण, पश्चिमीकरण, लौकिकीकरण, भूमण्डलीकरण
भारतीय समाज के समक्ष चुनौतियां : दहेज, तलाक एवं बाल विवाह के मुद्दे, भ्रष्टाचार, साम्प्रदायिकता, निर्धनता, बेरोजगारी, मादक पदार्थ व्यसन, कमजोर तबके विशेषकर दलित, वृद्ध और द्विव्यांग।
राजस्थान में जनजातीय समुदाय : भील, मीणा, गरासिया- समस्याएं व कल्याण।
खंड- ब (प्रबंधन)-
विपणन की आधुनिक अवधारणा, विपणन मिश्रण- उत्पाद, मूल्य, स्थान और संवर्धन, आपूर्ति श्रंखला प्रबंधन, प्रचालन तंत्र, इ-वाणिज्य, इ-विपणन, व्यवसाय तथा निगम आचारनीति।
धन के अधिकतमकरण की अवधारणा, वित्त के स्रोत- अल्पकालीन तथा दीर्घकालीन, पूँजी संरचना, पूँजी की लागत, लाभों का विभाजन, बैंकिंग एवं गैर बैंकिंग वित्तीय संस्थान, शेयर बाजार, बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ, विदेशी प्रत्यक्ष निवेश, विदेशी संस्थागत निवेश।
नेतृत्व के सिद्धांत तथा शैलियाँ, समूह व्यवहार, व्यक्तिगत व्यवहार, अभिवृत्ति, मूल्य, टीम निर्माण, अभिप्रेरण के सिद्धांत, संघर्ष-प्रबंधन, समय-प्रबंधन, तनाम-प्रबंधन, प्रशिक्षण, विकास तथा आकलन प्रणाली।