सामान्य जानकारी
| क्र. सं. | लोक देवी का नाम | जन्म स्थान | मुख्य मंदिर | मेला | निम्न की कुलदेवी | निम्न की इष्टदेवी |
|---|---|---|---|---|---|---|
| 1 | करणी माता | सुआप, फलौदी | देशनोक (बीकानेर) | राठौड़ वंश (बीकानेर) | ||
| 2 | जीण माता | रेवासा (सीकर) | चौहान वंश | |||
| 3 | सकराय माता | उदयपुरवाटी (झुंझुनूं) | खंडेलवाल | चौहान वंश | ||
| 4 | आशापुरा माता | नाडौल (पाली) | चौहान वंश एवं बिस्सा ब्राह्मण | |||
| 5 | आई माता | बिलाड़ा (जोधपुर) | सिरवी समाज | |||
| 6 | सच्चियाय माता | ओसियां (जोधपुर) | ओसवाल (बनिया) एवं खर्रा (मारवाड़) | |||
| 7 | लटियाल माता | फलौदी | कल्ला ब्राह्मण | |||
| 8 | चामुंडा माता | मेहरानगढ़ (जोधपुर) | ||||
| 9 | तन्नौट/तनोट माता | तन्नौट (जैसलमेर) | ||||
| 10 | स्वांगिया माता | भादरिया (जैसलमेर) | भाटी राजवंश (जैसलमेर) | |||
| 11 | सुंधा माता | सुंधा पर्वत, जसवन्तपुरा की पहाड़ियां, भीनमाल (जालौर) | ||||
| 12 | शीतला माता | चाकसू (जयपुर) | चैत्र कृष्ण अष्टमी | |||
| 13 | कैला देवी | त्रिकूट पर्वत (करौली) | चैत्र शुक्ल अष्टमी | जादौन राजवंश (करौली) | ||
| 14 | ब्राह्मणी माता | सोरसन (बारां) | माघ शुक्ल सप्तमी | |||
| 15 | आवरी माता | निकुम्भ (चित्तौड़गढ़) | ||||
| 16 | बडली माता | आकोला (चित्तौड़गढ़) | ||||
| 17 | महामाया | मावली (उदयपुर) | ||||
| 18 | अम्बिका माता | जगत (उदयपुर) | ||||
| 19 | आमज माता | रींछेड (राजसमंद) | ||||
| 20 | त्रिपुर सुन्दरी | उमराई (बांसवाड़ा) | ||||
| 21 | माता रानी भटियाणी/भटियानी | जोगीदास, जैसलमेर | जसोल (बालोतरा) | भाद्रपद शुक्ल त्रियोदशी | ||
| 22 | रानी सती | झुंझुनूं | भाद्रपद अमावस्या | |||
| 23 | नारायणी माता | बरवा पहाड़ी (अलवर) | नाई जाति | |||
| 24 | कैवाय माता | किणसरिया (डीडवाना) | दहिया राजपूत | |||
| 25 | भंवाल माता | भंवाल गाँव (नागौर) | ||||
| 26 | हर्षद माता | आभानेरी (दौसा) | ||||
| 27 | नागणेची माता | नगाणा (बालोतरा) | राठौड़ वंश | |||
| 28 | जमवाय माता | जमवारामगढ़ (जयपुर) | कच्छवाहा वंश | |||
| 29 | शिला माता | आमेर (जयपुर) | कच्छवाहा वंश (आमेर) | |||
| 30 | ब्रह्माणी माता | पल्लू (हनुमानगढ़) | ||||
| 31 | बरवड़ी माता | चित्तौड़गढ़ | सिसोदिया (गुहिल) वंश (मेवाड़) | |||
| 32 | छींक माता | जयपुर | माघ शुक्ल सप्तमी | |||
| 33 | धौलागढ़ देवी | बहतु कलां (अलवर) | वैशाख कृष्ण पंचम से एकादशी तक | |||
| 34 | बाणमाता | चित्तौड़गढ़ | गुहिल वंश (मेवाड़) | |||
| 35 | आवड़ माता | जैसलमेर | भाटी राजवंश (जैसलमेर) | |||
| 36 | ज्वाला माता | जोबनेर (जयपुर) | कछवाह राजवंश की खंगारोत शाखा | |||
| 37 | दधीमती माता | गोठ मांगलोद गाँव (नागौर) | दाधीच ब्राह्मण | |||
| 38 | कंठेसरी माता | आदिवासी | ||||
| 39 | राजेश्वरी माता | भरतपुर | जाट राजवंश (भरतपुर) | |||
| 40 | भदाणा माता | कोटा | ||||
| 41 | मरकंडी माता | निमाज (पाली) | ||||
| 42 | क्षेमकरी/खीमेल माता | भीनमाला (जालौर) | ||||
| 43 | जिलाड़ी माता | बहरोड़ (अलवर) | ||||
| 44 | नकटी माता | जय भवानीपुरा (जयपुर) | ||||
| 45 | वाकल माता | वीरातरा (बाड़मेर) | ||||
| 46 | अधर देवी/अर्बुद माता | माउंट आबू (सिरोही) | ||||
| 47 | घेवर माता | राजसमंद | ||||
| 48 | जल देवी | सांसेरा (राजसमंद) | ||||
| 49 | पिपलाद माता | ऊनवास (राजसमंद) | ||||
| 50 | भ्रमर माता | छोटी सादड़ी (प्रतापगढ़) | ||||
| 51 | पीपला माता | ओसियां (जोधपुर) | ||||
| 52 | तेमडेराय माता | देशनोक (बीकानेर) | ||||
| 53 | हिंगलाज माता | लासवेला (पाकिस्तान) |
विस्तृत जानकारी
1. करणी माता
| जन्म | 𑇐 सुआप, फलौदी (राजस्थान) 𑇐 इनका जन्म एक चारण परिवार में हुआ था। |
| बचपन का नाम | रिद्धि बाई |
| अन्य नाम | दाढ़ी वाली डोकरी |
| मुख्य मंदिर | 𑇐 देशनोक, बीकानेर जिला (राजस्थान) ➥ इस मंदिर का निर्माण बीकानेर महाराजा सूरतसिंह ने करवाया था। ➥ इस मंदिर का वर्तमान स्वरूप गंगासिंह द्वारा दिया गया। ➥ अलवर महाराजा बख्तावर सिंह ने इस मंदिर में छत्र चढ़ाया था। ➥ इस मंदिर को ‘चूहों का मंदिर’ भी कहा जाता है। ➥ इस मंदिर में पाये जाने वाले सफेद चूहों को ‘काबा’ कहते हैं एवं इनके दर्शन शुभ माने जाते हैं। ➥ इस मंदिर में सावन व भादो नामक दो बर्तन रखे हुए हैं। |
| प्रतीक | संवली या चील |
| विशेषताएं | 𑇐 यह देशनोक (बीकानेर) स्थित नेहड़ी जी के मंदिर में रहती थी। (नेहड़ = बिलौने की लकड़ी) 𑇐 यह तेमडेराय माता की पूजा करती थी, जिनका मंदिर भी देशनोक (बीकानेर) में ही स्थित है। 𑇐 यह बीकानेर के राठौड़ वंश की इष्टदेवी हैं। 𑇐 इन्होंने जोधपुर के मेहरानगढ़ किले की नींव रखी थी। 𑇐 इनके आशीर्वाद से बीकानेर की स्थापना हुई थी। |
2. जीण माता
| अन्य नाम | मधुमक्खियों की देवी |
| मुख्य मंदिर | 𑇐 रेवासा गाँव, दांता रामगढ़ तहसील, सीकर जिला (राजस्थान) ➥ इस मंदिर का निर्माण चौहान राजा पृथ्वीराज-प्रथम के शासनकाल में सामंत हट्टड मोहिल ने करवाया था। ➥ औरंगजेब ने इस मंदिर में छत्र चढ़ाया था। ➥ केंद्र सरकार द्वारा इस मंदिर को घी भेजा जाता है। |
| विशेषताएं | 𑇐 यह चौहान वंश की इष्टदेवी हैं। 𑇐 इनका लोक गीत राजस्थान में सबसे लम्बा लोक गीत है, जिसे कनफटे जोगी ‘डमरू व सांरगी’ के साथ गाते हैं। 𑇐 इनके मंदिर का पास ही इनके भाई हर्ष का मंदिर (रैवासा) भी स्थित है, जिसका निर्माण चौहान राजा गूवक-प्रथम ने करवाया था। |
3. सकराय माता
| अन्य नाम | शाकम्भरी माता |
| मुख्य मंदिर | उदयपुरवाटी, झुंझुनूं जिला (राजस्थान) |
| अन्य मंदिर | 1. सांभर, जयपुर (राजस्थान) 2. सहारनपुर (उत्तर प्रदेश) |
| विशेषताएं | 𑇐 यह चौहानों की इष्टदेवी हैं। 𑇐 यह खंडेलवालों की कुल देवी है। |
4. आशापुरा माता
| मुख्य मंदिर | 𑇐 नाडौल, पाली जिला (राजस्थान) ➥ इस मंदिर का निर्माण नाडौल के लक्ष्मणराज चौहान ने करवाया था। |
| अन्य मंदिर | मोदरां, जालौर जिला (राजस्थान) |
| विशेषताएं | 𑇐 यह चौहानों एवं बिस्सा ब्राह्मणों की कुल देवी हैं। 𑇐 इनकी पूजा करते समय महिलाएं घूंघट रखती है तथा हाथों में मेहंदी नहीं लगाती है। |
5. आई माता
| मुख्य मंदिर | 𑇐 बिलाड़ा, जोधपुर जिला (राजस्थान) ➥ इस मंदिर में दीपक की ज्योति से केसर टपकती है। ➥ इस मंदिर को बड़ेर कहते हैं। |
| गुरु | लोक देवता रामदेव जी |
| विशेषताएं | 𑇐 यह सिरवी समाज की कुल देवी हैं। 𑇐 इन्होंने सामाजिक भेदभाव कम करने का प्रयास किया। जैसे- हिन्दू मुस्लिम एकता को बढ़ावा देना तथा छूआछूत कम करना। 𑇐 इनके मुख्य मंदिर को बड़ेर कहते हैं। 𑇐 इनके अन्य मंदिर को दरगाह कहते हैं। |
6. सच्चियाय माता
| मुख्य मंदिर | ओसियां, जोधपुर जिला (राजस्थान) |
| विशेषताएं | यह ओसवालों (बनिया) एवं खर्रा (मारवाड़) की कुल देवी हैं। |
ओसियां (जोधपुर) के अन्य मंदिर :-
- पीपला माता मंदिर
- सूर्य मंदिर
- हरिहर मंदिर
- महावीर मंदिर
7. लटियाल माता
| अन्य नाम | खेजड़ बेरी राय भवानी |
| मुख्य मंदिर | फलौदी (राजस्थान) |
| विशेषताएं | यह कल्ला ब्राह्मणों की कुल देवी हैं। |
8. चामुंडा माता
| मुख्य मंदिर | 𑇐 मेहरानगढ़, जोधपुर जिला (राजस्थान) ➥ इस मंदिर का निर्माण राव जोधा ने करवाया था। ➥ इस मंदिर में लगी मूर्ति राव जोधा द्वारा मंडोर (जोधपुर) से मेहरानगढ़ (जोधपुर) लायी गयी थी। |
| विशेषताएं | पहले यह मंडोर (जोधपुर) के प्रतिहारों की प्रमुख देवी थी। |
मेहरानगढ़ दुखांतिका :-
- समय : 30 सितम्बर 2008
- स्थान : चामुंडा माता मंदिर, मेहरानगढ़ (जोधपुर)
- इस घटना की जाँच हेतु जसराज चोपड़ा आयोग बनाया गया था।
9. तन्नौट/तनोट माता
| अन्य नाम | 1. रुमाल की देवी 2. थार की वैष्णो देवी |
| मुख्य मंदिर | तन्नौट, जैसलमेर जिला (राजस्थान) |
| विशेषताएं | सीमा सुरक्षा बल (B.S.F.) के सैनिक इनकी पूजा करते हैं। |
10. स्वांगिया माता
| मुख्य मंदिर | भादरिया, जैसलमेर जिला (राजस्थान) |
| प्रतीक | 𑇐 सुगन चिड़ी ➥ जैसलमेर के राज चिह्न में सुगन चिड़ी के हाथ में मुड़ा हुआ भाला है। |
| विशेषताएं | 𑇐 स्वांग का शाब्दिक अर्थ ‘भाला’ होता है। 𑇐 यह जैसलमेर के भाटी राजवंश की कुल देवी हैं। 𑇐 भादरिया (जैसलमेर) में भूमिगत पुस्तकालय बना हुआ है। |
11. सुंधा माता
| अन्य नाम | चामुंडा माता |
| मुख्य मंदिर | 𑇐 सुंधा पर्वत, जसवन्तपुरा की पहाड़ियां, भीनमाल, जालौर जिला (राजस्थान) ➥ इस मंदिर का निर्माण जालौर के चौहान राजा चाचिगदेव ने करवाया था। ➥ इस मंदिर में 20 दिसंबर, 2006 को रज्जु मार्ग (रोप वे) स्थापित किया गया था, जो की राजस्थान का प्रथम रज्जु मार्ग है। इस रज्जु मार्ग की कुल लम्बाई 800 मीटर है। ➥ इस पर्वत को भालू संरक्षित क्षेत्र घोषित किया गया है। अर्थात् यहाँ भालू अभयारण्य स्थित है। |
| विशेषताएं | 𑇐 भीनमाल में पहाड़ियों की रेंज को जसवन्तपुरा की पहाड़ियां कहा जाता है। 𑇐 जसवन्तपुरा की पहाड़ियों में सुंधा नामक पहाड़ी भी स्थित है जिस पर चामुंडा माता का मंदिर बना हुआ है इसलिए चामुंडा माता को ही सुंधा माता कहा जाता है। |
12. शीतला माता
| अन्य नाम | चेचक रक्षक देवी |
| मुख्य मंदिर | 𑇐 चाकसू, जयपुर जिला, राजस्थान ➥ इस मंदिर का निर्माण जयपुर महाराजा माधोसिंह-द्वितीय ने करवाया था। |
| मेला | चैत्र कृष्ण अष्टमी |
| वाहन | गधा |
| विशेषताएं | 𑇐 कुम्हार जाति के लोग इनकी पूजा करते हैं। 𑇐 महिलाएं संतान प्राप्ति हेतु इनकी पूजा करती हैं। 𑇐 यह राजस्थान की एकमात्र ऐसी लोक देवी है, जिनकी खंडित मूर्ति की पूजा की जाती है। |
13. कैला देवी
| मुख्य मंदिर | 𑇐 त्रिकूट पर्वत, करौली जिला (राजस्थान) ➥ इस मंदिर के सामने बोहरा भक्त की छतरी है, जिसमें छोटे बच्चों का इलाज किया जाता है। |
| मेला | 𑇐 चैत्र शुक्ल अष्टमी ➥ यह मेला वर्ष में केवल एक बार भरता है। ➥ इसे लक्खी मेला भी कहा जाता है। |
| विशेषताएं | 𑇐 यह करौली के जादौन राजवंश की कुल देवी हैं। 𑇐 इनके भक्तों को लांगुरिया कहा जाता है। 𑇐 इनके भक्तों द्वारा लांगुरिया गीत गाए जाते हैं। 𑇐 इन्हें भगवान श्री कृष्ण की बहन माना जाता है। |
14. ब्राह्मणी माता
| मुख्य मंदिर | सोरसन, बारां जिला (राजस्थान) |
| मेला | 𑇐 माघ शुक्ल सप्तमी ➥ यह मेला गधों का मेला होता है। |
| विशेषताएं | यह राजस्थान की एकमात्र ऐसी लोक देवी है, जिनकी पीठ की पूजा की जाती है। |
15. आवरी माता
| मुख्य मंदिर | 𑇐 निकुम्भ, चित्तौड़गढ़ जिला (राजस्थान) ➥ इस मंदिर मे लकवाग्रस्त लोगो का ईलाज किया जाता है। |
16. बडली माता
| मुख्य मंदिर | 𑇐 आकोला, चित्तौड़गढ़ जिला (राजस्थान) ➥ इस मंदिर में दो तिबारियां बनी हुई हैं, जहाँ बच्चों का ईलाज किया जाता है। |
17. महामाया
| अन्य नाम | शिशुरक्षक लोक देवी |
| मुख्य मंदिर | मावली, उदयपुर जिला (राजस्थान) |
18. अम्बिका माता
| मुख्य मंदिर | 𑇐 जगत, उदयपुर जिला (राजस्थान) ➥ इस मंदिर को “मेवाड़ का खजुराहो” कहा जाता है। |
| विशेषताएं | 𑇐 खजुराहो के मंदिर मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में स्थित हैं, जिनका निर्माण मध्य प्रदेश के चन्देल वंश के राजाओं ने करवाया था। |
19. आमज माता
| मुख्य मंदिर | रींछेड, राजसमंद जिला (राजस्थान) |
| विशेषताएं | भील जनजाति के लोक इनकी पूजा करते हैं। |
20. त्रिपुर सुन्दरी
| अन्य नाम | तुरताई माता |
| मुख्य मंदिर | उमराई (तलवाड़ा के पास), बांसवाड़ा जिला (राजस्थान) |
| विशेषताएं | लोहार जाति के लोग इनकी पूजा करते हैं। |
21. माता रानी भटियाणी/भटियानी
| जन्म स्थान | जोगीदास, जैसलमेर जिला (राजस्थान) |
| अन्य नाम | भुआ सा |
| मुख्य मंदिर | 𑇐 जसोल, बालोतरा (राजस्थान) ➥ यहाँ इनके पुत्र लाल सिंह का मंदिर भी स्थित है। |
| मेला | भाद्रपद शुक्ल त्रियोदशी |
| विशेषताएं | ढोली जाति के लोग इनकी पूजा करते हैं। |
22. रानी सती
| वास्तविक नाम | नारायणी देवी |
| अन्य नाम | दादी सती |
| पति | तनधनदास अग्रवाल |
| मुख्य मंदिर | झुंझुनूं (राजस्थान) |
| मेला | भाद्रपद अमावस्या |
23. नारायणी माता
| मुख्य मंदिर | बरवा पहाड़ी, अलवर जिला (राजस्थान) |
| विशेषताएं | 𑇐 यह नाई जाति की कुल देवी हैं। 𑇐 मीणा जाती के लोग इनकी पूजा करते हैं। |
24. कैवाय माता
| मुख्य मंदिर | 𑇐 किणसरिया, डीडवाना (राजस्थान) ➥ इस मंदिर का निर्माण चौहान राजा दुर्लभराज के शासनकाल में चच्च दहिया ने करवाया था। |
| विशेषताएं | यह दहिया राजपूतों की कुल देवी हैं। |
25. भंवाल माता
| मुख्य मंदिर | 𑇐 भंवाल गाँव, नागौर जिला (राजस्थान) ➥ इस मंदिर में ढाई प्याले (2½) शराब चढ़ाई जाती है। |
| विशेषताएं | भंवाल गाँव के नाम पर ही इस माता का नाम भंवाल माता पड़ा है। |
26. हर्षद माता
| मुख्य मंदिर | 𑇐 आभानेरी, दौसा जिला (राजस्थान) ➥ यह मंदिर पहले एक विष्णु मंदिर था अर्थात्, इस मंदिर से स्थान पर पहले विष्णु मंदिर स्थित था। ➥ इस मंदिर का निर्माण प्रतिहार शासनकाल में चौहानों ने करवाया था। ➥ इस मंदिर के सामने चांद बावडी बनी हुई है। |
27. नागणेची माता
| अन्य नाम | चकेश्वरी माता |
| मुख्य मंदिर | 𑇐 नगाणा, बालोतरा (राजस्थान) ➥ इस मंदिर में लगी माता की मूर्ति राव धूहड़ कर्नाटक से लाये थे। |
| अन्य मंदिर | 1. मेहरानगढ़ (जोधपुर) ➥ इस मंदिर का निर्माण राव जोधा ने करवाया था। 2. घड़सीसर रोड, पवनपुरी (बीकानेर) ➥ इस मंदिर का निर्माण राव बीका ने करवाया था। लेकिन कहा जाता है कि इसका निर्माण लगभग 16वीं शताब्दी में राव रायसिंह ने करवाया था। ➥ राव बीका ने जब बीकानेर की स्थापना के लिए जोधपुर छोड़ा तब अपने साथ 14 शाही और पवित्र मूर्तियां लाये थे जिनमें से एक मूर्ति नागणेची माता की थी। ➥ इस मंदिर के गर्भगृह में नागणेची माता की चाँदी की 18 भुजाओं वाली मूर्ति स्थापित है, जिसे राव बीका जोधपुर से लाये थे। ➥ इस मंदिर की सिढ़ियों के पास चामुण्डा माता का मंदिर एवं महादेव का मंदिर भी बना हुआ है। ➥ इस मंदिर में प्रतिवर्ष चैत्र नवरात्रि तथा आसोज नवरात्रि पर्व मनाये जाते हैं। ➥ इस मंदिर में स्थानीय मेला भी लगता है। |
| विशेषताएं | यह राठौड़ वंश की कुलदेवी हैं। |
28. जमवाय माता
| मुख्य मंदिर | 𑇐 जमवारामगढ़, जयपुर (राजस्थान) ➥ इस मंदिर का निर्माण कच्छवाहा राजा दूल्हेराय ने करवाया था। |
| विशेषताएं | यह कच्छवाहा वंश की कुलदेवी हैं। |
29. शिला माता
| मुख्य मंदिर | 𑇐 आमेर, जयपुर (राजस्थान) ➥ इस मंदिर में लगी माता की मूर्ति आमेर का राजा मानसिंह पूर्वी बंगाल के राजा केदार को हराकर वहाँ से लेकर आया था। |
| विशेषताएं | यह आमेर के कच्छवाहा वंश की इष्टदेवी हैं। |
30. ब्रह्माणी माता
| मुख्य मंदिर | 𑇐 पल्लू, हनुमानगढ़ जिला (राजस्थान) ➥ इस मंदिर में कालिका माता की मूर्ति भी लगी हुई है। |
31. बरवड़ी माता
| अन्य नाम | अन्नपूर्णा माता |
| मुख्य मंदिर | 𑇐 चित्तौड़गढ़ (राजस्थान) ➥ इस मंदिर का निर्माण मेवाड़ के राणा हम्मीर सिसोदिया ने करवाया था। |
| विशेषताएं | यह मेवाड़ के सिसोदिया (गुहिल) वंश की इष्टदेवी हैं। |